देहरादून: उत्तराखंड में जब से सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुआ, तब से लेकर अब तक तकरीबन 11.5 लाख से ज्यादा आरटीआई लगाई जा चुकी हैं. अब तक कुल RTI के 4.4% मामले दूसरी अपील तक पहुंचे हैं.
उत्तराखंड में सूचना आयोग द्वारा यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि अब कोविड-19 महामारी का प्रभाव कम हो चुका है. लिहाजा सूचना का अधिकार अधिनियम का आमजन बिना रोक-टोक लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए आयोग द्वारा चार कमिश्नर नियुक्त किए गए हैं. यानी कि अब पिछले 2 सालों में कोविड-19 महामारी के चलते सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी जाने वाली सूचनाओं और उनकी शिकायतों के मामले सुनने में जो समस्याएं सामने आ रही थी. वह अब सामने नहीं आएंगी.
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उत्तराखंड में लगाई गई अब तक 11 लाख से ज्यादा RTI: उत्तराखंड सूचना आयोग से मिली जानकारी के अनुसार नवंबर 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद से जून 2022 तक प्रदेश में 11 लाख 56 हजार 694 सूचनाएं आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गईं. इनमें से 1 लाख 15 हजार 135 मामले प्रथम अपील के लिए और मात्र 51 हजार 397 मामले सेकंड अपील के लिए आयोग में आए. यानी कि कुल आरटीआई के केवल 4.4% मामले ही सेकंड अपील तक पहुंचे. बाकी के मामलों से हम आरटीआई एक्ट के सक्सेस रेट का अंदाजा लगा सकते हैं.
मुख्य सूचना आयुक्त अनिल चन्द्र पुनेठा ने बताया कि 5 जनवरी 2022 को मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में पदभार संभालने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त के अतिरिक्त तीन राज्य सूचना आयुक्त विवेक शर्मा, विपिन चन्द्र और अर्जुन सिंह आयोग में नियुक्त किए गए. उन्होंने बताया कि कोविड महामारी के कारण कुछ समय तक सभी कार्यालय लॉकडाउन के कारण बन्द रहे. या फिर सीमित स्टाफ के साथ खोले गए. इस दौरान आयोग ने मोबाइल के माध्यम से सेकंड अपीलों और शिकायतों का निस्तारण किया. उन्होंने बताया कि इस साल जनवरी से जून तक यानी 6 महीनों में आयोग ने 1,598 द्वितीय अपीलों और शिकायतों की सुनवाई करते हुए कुल 1,097 वादों का निस्तारण किया.
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इन विभागों में लगती है सबसे ज्यादा RTI: उत्तराखंड सूचना आयोग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 2 वर्षों में सबसे ज्यादा आरटीआई राजस्व और गृह विभाग में लगाई गई हैं जो कि कुल आरटीआई की तकरीबन 30 फीसदी हैं. वहीं सेकंड अपील में सबसे ज्यादा राजस्व विभाग और शिक्षा विभाग के मामले देखने को मिले हैं. इस तरह से आरटीआई लगने के मामले में टॉप 5 विभागों की बात करें तो इसमें राजस्व, गृह विभाग, शिक्षा, वित्त और वन विभाग आते हैं. वहीं अगर उन विभागों की बात करें जिन पर सबसे कम आरटीआई लगाई जाती हैं, तो ऐसे पांच विभागों में प्रोटोकॉल, राज्य पुनर्गठन, धर्मस्य, आईटी और आपदा प्रबंधन विभाग ऐसे हैं.
इस जिले के लोग लगाते हैं सबसे ज्यादा RTI: वहीं इसके अलावा अगर बात करें प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आरटीआई लगाने वाले लोगों की तो देहरादून जिला आरटीआई लगाने के मामले में सबसे आगे है. सूचना आयोग से मिली जानकारी के अनुसार सेकंड अपील में- देहरादून से 37 फीसदी, हरिद्वार से 23 फीसदी, उधम सिंह नगर से 11 फीसदी, नैनीताल से 8 फीसदी, पौड़ी से 6 फीसदी, टिहरी और अल्मोड़ा से 3 फीसदी, चमोली और उत्तरकाशी से 2 फीसदी, पिथौरागढ़ से 1.5 फीसदी,
चंपावत, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग से 1 फीसदी से कम लोगों द्वारा आरटीआई की सेकंड अपील फाइल की गई है.
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यही नहीं राज्य के बाहर से भी लोग खूब आरटीआई लगा रहे हैं. आयोग से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे लोग जो कि राज्य के बाहर से RTI लगा रहे हैं, वह तकरीबन 4.5 फीसदी हैं. वहीं आरटीआई लगाने में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. विगत दो वर्ष में आयोग को प्राप्त द्वितीय अपील और शिकायत में 7 से 8 प्रतिशत महिलाओं के द्वारा द्वितीय अपील और शिकायत की गयी है.
सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है?: मुख्य रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ 2005 में एक अधिनियम लागू किया गया, जिसे सूचना का अधिकार यानी RTI कहा गया. इसके अंतर्गत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी ले सकता है. बस शर्त यह है की RTI के तहत पूछी जाने वाली जानकारी तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए. यानि हम किसी सरकारी विभाग से उसके विचार नहीं पूछ सकते. जैसे आप के इलाके में विकास के कामों के लिए कितने पैसे खर्च हुए हैं और कहां खर्च हुए हैं. आपके इलाके की राशन की दुकान में कब और कितना राशन आया. स्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल में कितने पैसे खर्च हुए हैं, जैसे सवाल आप सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पता कर सकते हैं.
प्रयोग एवं फायदे: कोई भी नागरिक, किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकता है. ये अधिकार एक आम नागरिक के पास है जो सरकार के काम या प्रशासन में और भी पारदर्शिता लाने का काम करता है. भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम है.
इसका उपयोग हम तथ्यों की जानकारी पाने के लिए कर सकते है. जैसे, “डिस्पेंसरी में कितनी दवाइयां आती हैं. पार्क और साफ सफाई में कितना खर्च हुआ. किसी सरकारी दफ्तर में कितनी नियुक्तियां हुईं? इसके अलावा सड़क बनाने के लिए कितने पैसे आये और कहा पर खर्च हुए?
सभी गवर्मेंट डिपार्टमेंट, प्रधानमंत्री, मुख्यमत्री, बिजली कंपनियां, बैंक, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, राष्ट्रपति, पुलिस, बिजली कंपनियां, RTI act के अन्दर आते हैं. लोगों ने RTI के इस्तेमाल से कई ऐसी जानकारी हासिल की हैं जिनसे उनकी रोजमर्रा की समस्याएं सुलझ गई हैं. सरकार की सुरक्षा से सम्बंधित जानकारी या गोपनीय जानकारी इस अधिकार के अंतर्गत नहीं आती हैं.
कैसे प्राप्त करें जानकारी?: हर सरकारी विभाग में जन सूचना अधिकारी होता है. आप अपने आवेदन पत्र उसके पास जमा करवा सकते हैं. आवेदन पत्र का फॉर्मेट इन्टरनेट से डाउनलोड कर सकते हैं या फिर एक सफेद कागज पर अपना आवेदन (एप्लीकेशन) लिख सकते हैं, जिसमे जन सूचना अधिकारी आपकी मदद करेगा. RTI की एप्लीकेशन आप किसी भी भारतीय भाषा जैसे हिंदी, इंग्लिश या किसी भी स्थानीय भाषा में दे सकते हैं.
अपने आवेदन पत्र की फोटो कॉपी करवा कर जन सूचना अधिकारी से रिसीविंग जरूर ले लें. https://rtionline.gov.in/ इस साइट पर जा कर केंद्र सरकार के किसी भी विभाग से जानकारी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं. आवेदन पत्र डालने के 30 दिन के अन्दर आपको जवाब मिल जाएगा. यदि ऐसा नहीं होता है तो आप कोर्ट में अपील कर सकते हैं. किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदन पत्र के साथ 10/- रुपये की फीस है. ये फीस गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए माफ है.