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उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रस्ताव पर RTI एक्टिविस्ट ने खड़े किए कई सवाल

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Published : Jun 26, 2019, 11:08 AM IST

उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सरकार को भेजे गए पुराने कमर्शियल वाहनों को बाहर करने वाले प्रस्ताव को लेकर कमर्शियल वाहन स्वामियों में काफी रोष है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रस्ताव पर कई सवाल.

देहरादून: बीते दिनों उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सरकार को भेजे गए पुराने कमर्शियल वाहनों को बाहर करने वाले प्रस्ताव को लेकर कमर्शियल वाहन स्वामियों में काफी रोष है. वाहन स्वामियों का कहना है कि ऐसा करने से कई लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस प्रस्ताव को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट विजयवर्धन डंडरियाल ने कहा कि सिर्फ कमर्शियल वाहन पर ही कार्रवाई क्यों की जा रही है. क्या अन्य वाहनों से प्रदूषण नहीं फैलता.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रस्ताव पर कई सवाल.

बता दें कि बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एनजीटी के निर्देश पर उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने सड़क पर दौड़ रहे 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को सड़क से बाहर करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था. इस प्रस्ताव में चार शहर देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और काशीपुर के नाम शामिल हैं. लेकिन केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही ये कार्रवाई अमल में लायी जाएगी.

पढ़ें: 'लक्ष्मी' को दया मृत्यु दिए जाने की खबरें फर्जी, डीएफओ बोले- हो रहा सुधार

आंकड़ों की बात करें तो देहरादून, काशीपुर, हरिद्वार और ऋषिकेश में वर्तमान में करीब 21 हज़ार कमर्शियल वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं. जिसमें ट्रक, सिटी बस समेत अन्य वाहन शामिल हैं. गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य एक्ट के अनुसार डीजल वाहन 20 साल तक सड़क में दौड़ सकते हैं. लेकिन 15 साल बाद इन वाहनों का फिटनेस के आधार पर दोबारा रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है.

वहीं, आरटीआई एक्टिविस्ट विजयवर्धन डंडरियाल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस प्रस्ताव पर कई सवाल खड़े किए हैं. पीसीबी के इस प्रस्ताव पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि आखिर कॉमर्शियल वाहनों को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है? क्या इन शहरों में दौड़ रहे अन्य वाहनों से प्रदूषण नहीं फैलता. इसके अलावा क्या जो 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन पड़ोसी राज्यों से प्रदेश में प्रवेश करेंगे उन वाहनों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी?

देहरादून: बीते दिनों उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सरकार को भेजे गए पुराने कमर्शियल वाहनों को बाहर करने वाले प्रस्ताव को लेकर कमर्शियल वाहन स्वामियों में काफी रोष है. वाहन स्वामियों का कहना है कि ऐसा करने से कई लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस प्रस्ताव को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट विजयवर्धन डंडरियाल ने कहा कि सिर्फ कमर्शियल वाहन पर ही कार्रवाई क्यों की जा रही है. क्या अन्य वाहनों से प्रदूषण नहीं फैलता.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रस्ताव पर कई सवाल.

बता दें कि बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एनजीटी के निर्देश पर उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने सड़क पर दौड़ रहे 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को सड़क से बाहर करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था. इस प्रस्ताव में चार शहर देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और काशीपुर के नाम शामिल हैं. लेकिन केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही ये कार्रवाई अमल में लायी जाएगी.

पढ़ें: 'लक्ष्मी' को दया मृत्यु दिए जाने की खबरें फर्जी, डीएफओ बोले- हो रहा सुधार

आंकड़ों की बात करें तो देहरादून, काशीपुर, हरिद्वार और ऋषिकेश में वर्तमान में करीब 21 हज़ार कमर्शियल वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं. जिसमें ट्रक, सिटी बस समेत अन्य वाहन शामिल हैं. गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य एक्ट के अनुसार डीजल वाहन 20 साल तक सड़क में दौड़ सकते हैं. लेकिन 15 साल बाद इन वाहनों का फिटनेस के आधार पर दोबारा रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है.

वहीं, आरटीआई एक्टिविस्ट विजयवर्धन डंडरियाल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस प्रस्ताव पर कई सवाल खड़े किए हैं. पीसीबी के इस प्रस्ताव पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि आखिर कॉमर्शियल वाहनों को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है? क्या इन शहरों में दौड़ रहे अन्य वाहनों से प्रदूषण नहीं फैलता. इसके अलावा क्या जो 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन पड़ोसी राज्यों से प्रदेश में प्रवेश करेंगे उन वाहनों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी?

Intro:देहरादून- बीते दिनों एनजीटी के निर्देश पर बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) ने सड़क में दौड़ रहे 15 साल पुराने कॉमर्शियल वाहनों को सड़क से बाहर करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। जिस पर अब कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं ।

बता दें कि वर्तमान में उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जो प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है उसके तहत पहले चरण में देहरादून, काशीपुर , हरिद्वार और ऋषिकेश के 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी । लेकिन यह कार्रवाई तब ही सम्भव हो पाएगी पर केंद्र सरकार भी इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे।






Body:आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो इन चारों शहरों में वर्तमान में करीब 21 हज़ार कमर्शियल वाहन सड़क में दौड़ रहे हैं । जिसमें ट्रक , सिटी बस, इत्यादि शामिल है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिर्फ देहरादून शहर में ही लगभग 5 हज़ार कॉमर्शियल वाहन वर्तमान में दौड़ रहे हैं।


Conclusion:आरटीआई एक्टिविस्ट विजयवर्धन डंडरियाल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस पूरे प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए हैं । उनका साफ शब्दों में कहना है कि यदि इस प्रस्ताव के तहत सड़क में दौड़ रहे 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को सड़क से बाहर किया जाता है तो इससे कई लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। PCB के प्रस्ताव पर सवाल खड़े करते हुए उनका कहना था कि आखिर कॉमर्शियल वाहनों को ही सिर्फ टारगेट क्यों किया जा रहा है ? क्या इन शहरों में दौड़ रहे अन्य वाहनों से प्रदूषण नहीं फैलता। इसके अलावा क्या जो 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन पड़ोसी राज्यों से प्रदेश में प्रवेश करेंगे उन वाहनों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी ?

बाइट- विजयवर्धन डंडरियाल आरटीआई एक्टिविस्ट

गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य एक्ट के अनुसार डीजल वाहन 20 साल तक सड़क में दौड़ सकते हैं । बशर्तें 15 साल बाद इन वाहनों का फिटनेस के आधार पर दोबारा रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। लेकिन यदि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से राज्य सरकार को भेजे गए इसमें प्रस्ताव को केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी मिल जाती है तो जल्द ही देहरादून काशीपुर हरिद्वार ऋषिकेश के 15 साल पुराने सभी कमर्शियल वाहनों को सड़क से बाहर कर दिया जाएगा।

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