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उत्तराखंडः हड़ताल पर रहे 'भगवान', परेशान हुए मरीज और तीमारदार - देहरादून में मरीज बेहाल

पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल का असर प्रदेश में भी दिखाई दिया. सभी प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लीनिक्स की ओपीडी सेवा बंद रही. यही नहीं एम्स ऋषिकेश में जूनियर डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार किया.

उत्तराखंड में हड़ताल पर 'भगवान'
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Published : Jun 17, 2019, 6:05 PM IST

देहरादून/ऋषिकेशः पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई हिंसक घटना का विरोध देहरादून में भी देखने को मिला. पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत सोमवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े तमाम निजी चिकित्सकों ने अपने नर्सिंग होम्स और क्लीनिक्स की ओपीडी को बंद रखा. यही नहीं ऋषिकेश एम्स में भी जूनियर डॉक्टर्स ने ओपीडी बंद रखा और कार्य बहिष्कार किया.

उत्तराखंड में हड़ताल पर 'भगवान'


पश्चिम बंगाल में डॉक्टर के साथ हुई हिंसक घटना का विरोध दर्ज कराने के लिए प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के राजकीय चिकित्सकों ने सवेरे 8 बजे से 10 बजे तक ओपीडी का कार्य बहिष्कार किया. सवेरे दस बजे के बाद सभी सरकारी चिकित्सक ओपीडी में मरीजों को देखने के लिए बैठे दिखाई दिए.

मगर विरोधस्वरूप सभी चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया. निजी चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार किए जाने के बाद सरकारी अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ के दबाव को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज में ओपीडी के निर्धारित समय को बढ़ाकर दोपहर दो बजे के बजाय ढाई बजे कर दिया गया. इस दौरान निजी डॉक्टरों के 24 घंटे के कार्य बहिष्कार की वजह से सरकारी अस्पतालों में मरीजों को घंटों कतार में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ी. सोमवार को निजी डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार से मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

पढ़ेंः उत्तराखंड में भी डॉक्टरों की हड़ताल का बड़ा असर, इलाज के लिए भटक रहे मरीज


उत्तराखंड की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ब्रांच के महासचिव डॉक्टर डीडी चौधरी ने कहा कि उत्तराखंड में डॉक्टर की सुरक्षा के लिए कुछ दिनों डीजीपी अनिल रतूड़ी को इस संबंध में निवेदन किया था. उन्होंने स्टैंडर्ड ऑपरेटिव प्रोटोकॉल के तहत सभी पुलिस स्टेशन में दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि यदि डॉक्टर के साथ मारपीट की घटनाएं घटती है, तो उस परिस्थिति में पुलिस का क्या काम होगा?

पढ़ें: आज देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल, ममता मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधियों से करेंगी मुलाकात


डीडी चौधरी ने आगे बताया कि डॉक्टरों के साथ बढ़ रही हिंसक वारदातों को देखते हुए नेशनल सिक्योरिटी एक्ट की आवश्यकता है. जिसमें मारपीट की घटनाओं को अंजाम देने वाले मरीजों के परिजनों पर गैर जमानती वारंट का चार्ज लगना चाहिए और कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान हो. एक्ट जब तक प्रभावी नहीं होगा, तब तक पूरे राष्ट्र में ऐसी तोड़फोड़ की घटनाएं होती रहेंगी.

पढ़ेंः 24 जून से उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र, त्रिवेंद्र कैबिनेट का भी जल्द होगा विस्तार

ऋषिकेश में डॉक्टर्स का विरोध
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स के विरोध की आग प्रदेश की तीर्थनगरी में दिखाई दी. ऋषिकेश में भी सभी प्राईवेट डॉक्टर्स दिनभर विरोध में नजर आए. ऋषिकेश एम्स में ओपीडी पूरी तरह ठप रही.


सोमवार को एम्स में जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी के बाहर बैठकर प्रदर्शन किया. पश्चिम बंगाल में डॉक्टर पर हमले की निंदा करते हुए जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर सभी जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान किया है. जब तक डॉक्टर्स के साथ न्याय नहीं होता, तब तक वे अपना प्रोटेस्ट जारी रखेंगे.

पढे़ं- जैव विविधता के क्षेत्र में बड़ा योगदान दे रहा फाइकस गार्डन, विलुप्त हो रहे पौधों का यहां हो रहा संरक्षण


गौरतलब है कि एम्स ऋषिकेश में शुक्रवार को जूनियर डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल में हुए हमले के विरोध में काली पट्टी बांधकर कार्य किया था, जिसके बाद से सभी जूनियर डॉक्टरों ने एम्स ऋषिकेश परिसर में विरोध प्रदर्शन कर कार्य बहिष्कार किया. डॉक्टरों की मांग है कि उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो, साथ ही डॉक्टर्स के लिए भी एक अलग से कड़ा कानून बनाया जाए जिससे कि डॉक्टरों पर हमले न हों.


डॉक्टरों के साथ हो रही हिंसक वारदातों के बाद अब सभी चिकित्सक प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं. इसी क्रम में भारतीय चिकित्सा संघ से जुड़े करीब दो हजार से ज्यादा निजी चिकित्सकों ने अस्पताल और नर्सिंग होम बंद रखकर अपना विरोध जताया.

देहरादून/ऋषिकेशः पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई हिंसक घटना का विरोध देहरादून में भी देखने को मिला. पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत सोमवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े तमाम निजी चिकित्सकों ने अपने नर्सिंग होम्स और क्लीनिक्स की ओपीडी को बंद रखा. यही नहीं ऋषिकेश एम्स में भी जूनियर डॉक्टर्स ने ओपीडी बंद रखा और कार्य बहिष्कार किया.

उत्तराखंड में हड़ताल पर 'भगवान'


पश्चिम बंगाल में डॉक्टर के साथ हुई हिंसक घटना का विरोध दर्ज कराने के लिए प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के राजकीय चिकित्सकों ने सवेरे 8 बजे से 10 बजे तक ओपीडी का कार्य बहिष्कार किया. सवेरे दस बजे के बाद सभी सरकारी चिकित्सक ओपीडी में मरीजों को देखने के लिए बैठे दिखाई दिए.

मगर विरोधस्वरूप सभी चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया. निजी चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार किए जाने के बाद सरकारी अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ के दबाव को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज में ओपीडी के निर्धारित समय को बढ़ाकर दोपहर दो बजे के बजाय ढाई बजे कर दिया गया. इस दौरान निजी डॉक्टरों के 24 घंटे के कार्य बहिष्कार की वजह से सरकारी अस्पतालों में मरीजों को घंटों कतार में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ी. सोमवार को निजी डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार से मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

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उत्तराखंड की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ब्रांच के महासचिव डॉक्टर डीडी चौधरी ने कहा कि उत्तराखंड में डॉक्टर की सुरक्षा के लिए कुछ दिनों डीजीपी अनिल रतूड़ी को इस संबंध में निवेदन किया था. उन्होंने स्टैंडर्ड ऑपरेटिव प्रोटोकॉल के तहत सभी पुलिस स्टेशन में दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि यदि डॉक्टर के साथ मारपीट की घटनाएं घटती है, तो उस परिस्थिति में पुलिस का क्या काम होगा?

पढ़ें: आज देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल, ममता मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधियों से करेंगी मुलाकात


डीडी चौधरी ने आगे बताया कि डॉक्टरों के साथ बढ़ रही हिंसक वारदातों को देखते हुए नेशनल सिक्योरिटी एक्ट की आवश्यकता है. जिसमें मारपीट की घटनाओं को अंजाम देने वाले मरीजों के परिजनों पर गैर जमानती वारंट का चार्ज लगना चाहिए और कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान हो. एक्ट जब तक प्रभावी नहीं होगा, तब तक पूरे राष्ट्र में ऐसी तोड़फोड़ की घटनाएं होती रहेंगी.

पढ़ेंः 24 जून से उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र, त्रिवेंद्र कैबिनेट का भी जल्द होगा विस्तार

ऋषिकेश में डॉक्टर्स का विरोध
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स के विरोध की आग प्रदेश की तीर्थनगरी में दिखाई दी. ऋषिकेश में भी सभी प्राईवेट डॉक्टर्स दिनभर विरोध में नजर आए. ऋषिकेश एम्स में ओपीडी पूरी तरह ठप रही.


सोमवार को एम्स में जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी के बाहर बैठकर प्रदर्शन किया. पश्चिम बंगाल में डॉक्टर पर हमले की निंदा करते हुए जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर सभी जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान किया है. जब तक डॉक्टर्स के साथ न्याय नहीं होता, तब तक वे अपना प्रोटेस्ट जारी रखेंगे.

पढे़ं- जैव विविधता के क्षेत्र में बड़ा योगदान दे रहा फाइकस गार्डन, विलुप्त हो रहे पौधों का यहां हो रहा संरक्षण


गौरतलब है कि एम्स ऋषिकेश में शुक्रवार को जूनियर डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल में हुए हमले के विरोध में काली पट्टी बांधकर कार्य किया था, जिसके बाद से सभी जूनियर डॉक्टरों ने एम्स ऋषिकेश परिसर में विरोध प्रदर्शन कर कार्य बहिष्कार किया. डॉक्टरों की मांग है कि उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो, साथ ही डॉक्टर्स के लिए भी एक अलग से कड़ा कानून बनाया जाए जिससे कि डॉक्टरों पर हमले न हों.


डॉक्टरों के साथ हो रही हिंसक वारदातों के बाद अब सभी चिकित्सक प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं. इसी क्रम में भारतीय चिकित्सा संघ से जुड़े करीब दो हजार से ज्यादा निजी चिकित्सकों ने अस्पताल और नर्सिंग होम बंद रखकर अपना विरोध जताया.

Intro:पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई हिंसक घटना के विरोध में आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े तमाम निजी चिकित्सकों ने अपने नर्सिंग होम्स और क्लिनिक्स की ओपीडी बंद रखकर अपना भारी आक्रोश व्यक्त किया है, निजी डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार पर जाने के बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ देखी गई। डॉक्टर के साथ हुई हिंसक घटना का विरोध दर्ज कराने के लिए प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के राजकीय चिकित्सकों ने भी सवेरे 8:00 बजे से लेकर 10 बजे तक ओपीडी का कार्य बहिष्कार किया,सवेरे दस बजे के बाद सभी सरकारी चिकित्सक ओपीडी में मरीजों को देखने के लिए बैठे, मगर विरोध स्वरूप सभी चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर पश्चिम बंगाल में हुई चिकित्सक के साथ मार पिटाई की घटना पर अपना विरोध जताते हुए आक्रोश व्यक्त किया, निजी चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार किए जाने के बाद सरकारी अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ के दबाव को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज में ओपीडी के निर्धारित समय को बढ़ाकर दोपहर दो बजे की बजाय ढाई बजे कर दिया गया , इस दौरान निजी डॉक्टरों के 24 घंटे के कार्यबहिष्कार की वजह से सरकारी अस्पतालों मे मरीजों को घंटों कतार मे लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ी।
summary- निजी डॉक्टर के कार्य बहिष्कार के बाद मरीजों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा बंगाल इंसान में जूनियर डॉक्टर पर हुए हमले का विरोध करते हुए प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के चिकित्सकों ने भी काली पट्टी बांधकर सवेरे 8:00 बजे से सवेरे 10:00 बजे तक ओपीडी का कार्य बहिष्कार किया जिसके बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों का भारी दबाव देखने को मिला।


Body: उत्तराखंड की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ब्रांच के महासचिव डॉक्टर डीडी चौधरी ने कहा कि उत्तराखंड डॉक्टर की सुरक्षा के लिए कुछ दिनों पूर्व डीजीपी अनिल लकड़ी को इस संबंध में निवेदन किया गया था उन्होंने स्टैंडर्ड ऑपरेटिव प्रोटोकॉल के तहत सभी पुलिस स्टेशन में दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि यदि डॉक्टर के साथ मारपीट की घटनाएं घटती हैं तो उस परिस्थिति में पुलिस को कैसे काम करना है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर के साथ बढ़ रही हिंसक वारदातों को देखते हुए नेशनल सिक्योरिटी एक्ट की आवश्यकता है, जिसमें मारपीट की घटनाओं को अंजाम देने वाले मरीजों के परिजनों पर non-bailable offence का चार्ज लगना चाहिए और कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान होना चाहिए। एक्ट जब तक प्रभावी नहीं होगा तब तक पूरे राष्ट्र में ऐसी तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया जाएगा, क्योंकि मरीजों के परिजनों में यह मानसिकता उत्पन्न हो गई है कि उनका मरीज मरना नहीं चाहिए, जबकि कई बीमारियां ऐसी होती है जिसमें मरीज का मरना तय है ।कोई डॉक्टर ऐसा नहीं चाहता कि उनका मरीज मर जाए ,ऐसे में हिंसक अराजकता निंदनीय और चिंता का विषय है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो चिकित्सक मरीज का शत-प्रतिशत इलाज करने में असमर्थ हो जाएंगे और मरीज को दूसरी जगह रेफर कर देंगे ।इससे नुकसान मरीज को उठाना पड़ेगा ऐसे में हिंसक वारदातों को अंजाम देने वालों का साथ छोड़कर समाज को डॉक्टरों का साथ देना चाहिए।

बाईट- डॉ डी डी चौधरी, महासचिव, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

बाईट-मरीज़ महिला


Conclusion: गौरतलब है पश्चिम बंगाल में जून में डॉक्टर पर हुए हमले की चिंगारी पूरे देश में फैल गई है, डॉक्टरों के साथ हो रही हिंसक वारदातों के बाद अब सभी चिकित्सक प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं इसी क्रम में भारतीय चिकित्सा संघ से जुड़े करीब दो हजार निजी चिकित्सकों ने अस्पताल और नर्सिंग होम बंद रखकर अपना विरोध जता है, तो वही प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के 1700 राजकीय चिकित्सकों ने सवेरे 8 से 10 बजे तक ओपीडी का कार्यबहिष्कार करते हुए आक्रोश व्यक्त किया।
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