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मंगला गौरी व्रत 2021: सावन मास का तीसरा व्रत आज, इन मुहूर्त में भूलकर भी न करें पूजा

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Published : Aug 10, 2021, 8:53 AM IST

मान्यता है कि संतान और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना के लिए मां मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत में एक बार भोजन कर माता पार्वती की अराधना की जाती है. ये व्रत सुहागिनों के लिए विशेष होता है.

mangla gauri vrat 2021
mangla gauri vrat 2021

देहरादून: सावन माह का सोमवार जहां भगवान शिव की पूजा को समर्पित है तो वहीं, मंगलवार को माता पार्वती की पूजा करने का विधान है. सावन के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती के मंगला गौरी रूप के लिए व्रत (Mangla Gauri Vrat 2021) रखा जाता है. सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज यानी 10 अगस्त दिन मंगलवार को है. मान्यता है कि माता गौरी की कृपा से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वैवाहिक जीवन सुखी रहता है. इस व्रत में विधि-विधान से मां मंगला गौरी की पूजा करने के बाद व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से मंगला गौरी की पूजा पूर्ण मानी जाती है.

मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) का विधानमां मंगला गौरी अखंड सौभाग्य, सुखी और मंगल वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देती हैं. मान्यता है कि संतान और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना के लिए मां मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत में एक बार भोजन कर माता पार्वती की अराधना की जाती है. ये व्रत सुहागिनों के लिए विशेष होता है.

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि: शास्त्रों के अनुसार जो स्त्रियां सावन मास में इस दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं, उनके पति पर आने वाला संकट टल जाता है और वह लंबे समय तक दांपत्य जीवन का आनंद प्राप्त करती हैं. इस दिन व्रती को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर संकल्प करना चाहिए कि मैं संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान कर रही हूं. तत्पश्चात आचमन एवं मार्जन कर चैकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता की प्रतिमा व चित्र के सामने उत्तराभिमुख बैठकर प्रसन्न भाव में एक आटे का दीपक बनाकर उसमें 16 बातियां जलानी चाहिए.

पढ़ें- Horoscope Today 10 August 2021 राशिफल : वृषभ, मिथुन, तुला और वृश्चिक के लिए सकारात्मक दिन

इसके बाद 16 लड्डू, 16 फल, 16 पान, 16 लवंग और इलायची के साथ सुहाग की सामग्री और मिठाई माता के सामने रखकर अष्ट गंध एवं चमेली की कलम से भोजपत्र पर लिखित मंगला गौरी यंत्र स्थापित कर विधिवत विनियोग, न्यास एवं ध्यान कर पंचोपचार से उस पर श्री मंगला गौरी का पूजन कर उक्त मंत्र-कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम् ।नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्।इस मंत्र का जप 64,000 बार करना चाहिए. उसके बाद मंगला गौरी की कथा सुनें.

साथ ही मंगला गौरी का 16 बत्तियों वाले दीपक से आरती करें. कथा सुनने के बाद सोलह लड्डू अपनी सास को तथा अन्य सामग्री ब्राह्मण को दान कर दें.

आज के अशुभ मुहूर्त: राहुकाल- दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक. यमगंड: सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक. गुलिक काल: दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक. दुर्मुहूर्त काल: सुबह 08 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. इसके बाद मध्य रात्रि 11 बजकर 22 मिनट से 12 बजकर 05 मिनट तक. वर्ज्य काल: दोपहर 05 बजकर 46 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक.

देहरादून: सावन माह का सोमवार जहां भगवान शिव की पूजा को समर्पित है तो वहीं, मंगलवार को माता पार्वती की पूजा करने का विधान है. सावन के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती के मंगला गौरी रूप के लिए व्रत (Mangla Gauri Vrat 2021) रखा जाता है. सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज यानी 10 अगस्त दिन मंगलवार को है. मान्यता है कि माता गौरी की कृपा से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वैवाहिक जीवन सुखी रहता है. इस व्रत में विधि-विधान से मां मंगला गौरी की पूजा करने के बाद व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से मंगला गौरी की पूजा पूर्ण मानी जाती है.

मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) का विधानमां मंगला गौरी अखंड सौभाग्य, सुखी और मंगल वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देती हैं. मान्यता है कि संतान और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना के लिए मां मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत में एक बार भोजन कर माता पार्वती की अराधना की जाती है. ये व्रत सुहागिनों के लिए विशेष होता है.

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि: शास्त्रों के अनुसार जो स्त्रियां सावन मास में इस दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं, उनके पति पर आने वाला संकट टल जाता है और वह लंबे समय तक दांपत्य जीवन का आनंद प्राप्त करती हैं. इस दिन व्रती को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर संकल्प करना चाहिए कि मैं संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान कर रही हूं. तत्पश्चात आचमन एवं मार्जन कर चैकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता की प्रतिमा व चित्र के सामने उत्तराभिमुख बैठकर प्रसन्न भाव में एक आटे का दीपक बनाकर उसमें 16 बातियां जलानी चाहिए.

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इसके बाद 16 लड्डू, 16 फल, 16 पान, 16 लवंग और इलायची के साथ सुहाग की सामग्री और मिठाई माता के सामने रखकर अष्ट गंध एवं चमेली की कलम से भोजपत्र पर लिखित मंगला गौरी यंत्र स्थापित कर विधिवत विनियोग, न्यास एवं ध्यान कर पंचोपचार से उस पर श्री मंगला गौरी का पूजन कर उक्त मंत्र-कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम् ।नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्।इस मंत्र का जप 64,000 बार करना चाहिए. उसके बाद मंगला गौरी की कथा सुनें.

साथ ही मंगला गौरी का 16 बत्तियों वाले दीपक से आरती करें. कथा सुनने के बाद सोलह लड्डू अपनी सास को तथा अन्य सामग्री ब्राह्मण को दान कर दें.

आज के अशुभ मुहूर्त: राहुकाल- दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक. यमगंड: सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक. गुलिक काल: दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक. दुर्मुहूर्त काल: सुबह 08 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. इसके बाद मध्य रात्रि 11 बजकर 22 मिनट से 12 बजकर 05 मिनट तक. वर्ज्य काल: दोपहर 05 बजकर 46 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक.

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