देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान कई सवालों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई. विपक्ष ने भू-कानून पर सरकार के लिखित जवाब को असंगत करार दिया तो धान खरीद के आंकड़ों पर भी सवाल उठाए गए. बहस के दौरान विधायक संजय गुप्ता की टिप्पणी पर विवाद बढ़ा तो विधानसभा अध्यक्ष ने टिप्पणी कार्यवाही से हटाने के निर्देश दिए.
सही सवाल पर दिया गलत जवाब: प्रश्नकाल की सूची में पहला प्रश्न कांग्रेस विधायक मनोज रावत की ओर से भू-कानून को लेकर था. केदारनाथ विधायक रावत ने प्रदेश में जमीन खरीद की सीमा निर्धारित करने को लेकर सरकार की तैयारी पर सवाल पूछा. लेकिन सरकार की तरफ से इसका लिखित जवाब मनोज रावत द्वारा एक दिन पहले पूछे गए भूमिहीन लोगों के सवाल पर दे दिया गया. इससे सत्ता पक्ष की बड़ी किरकिरी हुई.
उत्तेजित विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए. हालांकि संसदीय कार्यमंत्री बंशीधर भगत ने मौखिक जवाब देते हुए कहा कि कृषि भूमि के लिए 12.5 एकड़, आवासीय भूमि के लिए 250 वर्ग मीटर की सीमा पहले से ही लागू है. फिर भी सीएम इस विषय पर विचार के लिए उच्च स्तरीय समिति की घोषणा कर चुके हैं. विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप पर बाद में सरकार की तरफ से इस सवाल का सही लिखित जवाब दिया गया. तब कहीं जाकर बात बनी.
धान खरीद पर भी फंसे: अभी बात बनी ही थी कि विधायक काजी निजामुद्दीन के धान खरीद को लेकर पूछे गए सवाल पर भी सदन में तीखी बहस हो गई. काजी ने सरकार के आंकड़ों पर सवाल खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि खरीद के आंकड़ों से घोटाला होने का संदेह है. उन्होंने कहा कि 30 दिन में 15 लाख मीट्रिक टन खरीद संभव नहीं है. विपक्ष के कड़े तेवरों के बीच कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने मोर्चा संभाला. उनियाल ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय भी 10 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी, तो क्या वह भी घोटाला था.
कार्यवाही से हटाई गई विधायक की टिप्पणी: इस बीच विधायक संजय गुप्ता की एक टिप्पणी पर नेता विपक्ष ने ऐतराज जताया. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उक्त टिप्पणी सदन की कार्यवाही से हटाने के निर्देश दिए. प्रीतम सिंह ने खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैम्पियन की टिप्पणी पर भी कड़ा एतराज जताया. प्रीतम ने कहा कि चैम्पियन सदन की कार्यवाही को मनोरंजन का साधन न समझें. सत्र के दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने सरकार को घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी.
श्रम विभाग के आंकड़ों ने चौंकाया: श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक कोविड लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भर में सिर्फ 327 श्रमिकों की ही छंटनी हुई है. विधायकों ने श्रम न्यायालयों में चल रहे वादों को समयबद्ध तरीके से निपटाने पर भी जोर दिया. विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान सदन में विधायक मनोज रावत ने श्रम मंत्री से कोविड के कारण बेरोजगार हुए श्रमिकों की जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में श्रम मंत्री हरक सिंह ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यालयों को प्राप्त शिकायतों के अनुसार इस दौरान 327 श्रमिकों की सेवा समाप्त की गई.
सरकार बेरोजगार हुए लोगों के को विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं और मनरेगा के जरिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रही है. उन्होंने बताया कि कोविड काल में कौशल विकास विभाग के पोर्टल पर 25,317 प्रवासी श्रमिकों ने वापस लौटने की जानकारी दी थी, लेकिन इसमें से अब अधिकांश लौट गए हैं. वहीं विधायक देशराज कर्णवाल ने उद्योगों में श्रमिकों की बिना बताए छंटनी और कम वेतनमान दिए जाने को लेकर अपनी ही सरकार से सवाल किया.
विधायक सौरभ बहुगुणा ने कहा कि सितारगंज स्थित सिडकुल क्षेत्र में कई लोगों को नौकरी से निकाला गया है. ऐसे श्रमिक श्रम न्यायालय में चले गए हैं, लेकिन वहां वादों की सुनवाई सुस्त हो रही है. बहुगुणा ने श्रम न्यायालयों में दायर वादों की सुनवाई तय समय सीमा के भीतर करने को लेकर सवाल उठाया. श्रम मंत्री ने ऐसे वादों का समयबद्ध निस्तारण का आश्वासन दिया है.
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रेखा आर्य सवाल पर फंसी तो दौड़ते हुए आए सीएम धामी: मंगलवार को भी मंत्री रेखा आर्य सदन में सीधा जवाब नहीं दे पा रही थीं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने सदन में कर दिया कि गौरा देवी कन्याधन योजना के तहत हमेशा बजट की किल्लत रही है. उनके पास बजट की व्यवस्था नहीं है. इस पूरे वार्तालाप को अपने कार्यालय से सीएम धामी लाइव देख रहे थे. मंत्री को सवाल पर फंसता देख वो दौड़ते हुए आए. विभागीय मंत्री रेखा आर्य को रोकते हुए खुद ही सवाल का जवाब दिया.