देहरादून: देश में चार से आठ वर्ष के आयु वर्ग के नब्बे प्रतिशत से अधिक बच्चों का नामांकन किसी-न-किसी स्कूलों में कराया जाता है. 14वीं शिक्षा वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) ने सर्वे जारी किया है, जो चौकाने वाले हैं. उत्तराखंड के 56 गांवों से 985 घरों के 1252 बच्चों पर किया गया है. सर्वे पर ध्यान दें तो प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी खराब है. अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते हैं.
एएसईआर ने उत्तराखंड में प्रारंभिक शिक्षा के ताजा आंकड़े जारी किये हैं. इस सर्वे में पाया गया है कि 4 से 8 साल तक की उम्र के बच्चों को उनके अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना ज्यादा पसंद करते हैं. इसके अलावा सर्वे में पाया गया कि 5 साल की उम्र में, 72 .4% बच्चे चीजों को आसानी से समझ सकते हैं. जबकि 38.5% बच्चों में कठिन चीजों के पैटर्न की पुनरावृत्ति दिखाई देती है.
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एएसईआर 2019 'प्रारंभिक वर्ष' का आयोजन उत्तराखंड के एक जिले में किया गया था. यह सर्वेक्षण 56 गांवों के 985 घरों के 1252 बच्चों पर किया गया. इस सर्वेक्षण में 4 से 8 आयु वर्ग के बच्चों को लिया गया. जिसमें बच्चों के प्री-स्कूल और स्कूल में नामांकन की स्थिति दर्ज की गई. सर्वेक्षण में बच्चों के सामाजिक और भावनात्मक विकास का आंकलन करने की गतिविधियां भी शामिल की गई हैं.
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प्री-स्कूल और स्कूल नामांकन के लिए भी एएसईआर ने सर्वे जारी किया है. प्री-स्कूल और स्कूल में 4 साल की उम्र के बच्चों ने अधिकतम निजी स्कूलों में दाखिला लिया. जबकि प्री-स्कूल में 5 वर्ष की आयु में - अधिकतम संख्या में बच्चे निजी (57.2), कम से कम सरकारी प्री में नामांकित होते हैं.
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इस सर्वे में पाया गया कि चार साल तक के उम्र के बच्चों को 27.7 फीसदी लोग आगनबाड़ी केंद्रों में शुरुआती शिक्षा के लिए भेजेते हैं. जबकि 1.5 फीसदी लोग सरकारी स्कूलों में भेजते हैं. वहीं बात अगर प्राइवेट स्कूलों की करें को 58.2 फीसदी लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजते हैं. जबकि पांच साल की उम्र में ये आंकड़ा आगनबाड़ी केंद्रों में 9.4, सरकारी स्कूलों में 2.0 और प्राइवेट स्कूलों में 31.1 फीसदी हो जाता है.