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इंसाफ के लिए बेटी के साथ CM से मिलने पहुंची गैंगरेप पीड़िता, पुलिस ने जबरन थाने में बैठाया

हरिद्वार में साल भर पहले गैंगरेप की शिकार पीड़िता थक हार कर न्याय की गुहार लगाने राजधानी पहुंची. गुरुवार को आंखों में आंसू लिए अपनी नवजात बेटी और मां-बाप के साथ वह मुख्यमंत्री आवास पहुंची. पर यहां उसे जिन हालातों से गुजरना पड़ा उससे साफ तौर पर लगता है कि प्रदेश में पुलिस-प्रशासन संवेदनहीन हो चुका है.

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Published : Feb 20, 2020, 8:41 PM IST

Updated : Feb 21, 2020, 9:42 AM IST

इंसाफ
इंसाफ के लिए दर-दर भटकती गैंगरेप पीड़िता.

देहरादून: एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री मोदी 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' के नारे को बुलंद कर रहे हैं, वहीं प्रदेश में इसके ठीक उलट तस्वीर सामने आ रही है. यहां एक बेटी न्याय की आस में दर-दर भटकने को मजबूर है. गुरुवार को न्याय की मांग को लेकर एक गैंगरेप पीड़िता अपनी नवजात बच्ची और मां-बाप के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंची. जहां से पुलिस उसे और उसके परिजनों को उठाकर थाने ले गए, जहां उन्हें घंटों बिठाकर रखा गया. इसके बाद ये परिवार न्यास की आस में जनता दरबार पहुंचा. जहां भी पीड़िता को सीएम ने नहीं मिलने दिया गया.

मामला धर्मनगरी हरिद्वार क्षेत्र के पथरी थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाके का है, जहां साल भर पहले गैंगरेप की शिकार हुई पीड़िता थक हार कर न्याय की गुहार लगाने राजधानी पहुंची. गुरुवार को आंखों में आंसू लिए अपनी नवजात बेटी और मां-बाप के साथ वह मुख्यमंत्री आवास पहुंची.

पढ़ें- अंग्रेजों की पसंदीदा जगह थी ग्वालदम, उपेक्षा से हसीन वादियों के बीच बेरंग महसूस कर रहे लोग

जहां पुलिसकर्मियों ने उसे अंदर जाने से रोक दिया. उसके बाद पुलिसकर्मी उसे कैंट थाने ले आये जहां उन्हें 3 घंटे बिठाकर रखा गया. जहां रोती- बिलखती पीड़ित नवजात बच्ची को थाने की फर्श पर रखकर न्याय की गुहार लगाती रही. मगर मित्र पुलिस ने उसकी एक न सुनी. कई घंटे बीत जाने के बाद पुलिस के दो जवान पीड़िता को आईएसबीटी छोड़कर आये.

पढ़ें- फॉरेस्ट गार्ड भर्ती मामला: परीक्षा केंद्र से पेपर लीक होने का अंदेशा, ऑनलाइन परीक्षा की तैयारी में आयोग

मगर इंसाफ की आस में सीएम से मिलने राजधानी पहुंची पीड़िता ने यही हार नहीं मानी. वह आईएसबीटी से हरिद्वार न जाकर वापस विधानसभा पहुंच गई, लेकिन यहां भी उसे मित्र पुलिस का सामना करना पड़ा. विधानसभा पास बनने के बावजूद भी हरिद्वार पुलिस ने उसे और उसके परिजनों को अंदर जाने से रोक दिया. काफी मान-मनौव्वल के बाद केवल पीड़िता के पिता को ही मुख्यमंत्री से मिलने की इजाजत दी गई.

पढ़ें- प्रभारी सचिव ने PRD जवानों के वेतन में बढ़ोत्तरी के दिए आदेश, 1 जनवरी 2020 से होगा लागू

पीड़िता के पिता की शिकायत सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया. वहीं मामले में पीड़िता का कहना है कि अगर इस मामले में उसकी सुनवाई नहीं हुई तो वो नवजात बच्ची के साथ अपनी जान दे देगी. पीड़िता का कहना है कि हरिद्वार पुलिस ने इस मामले में अब तक सिर्फ एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. अब पुलिस इस मामले में कोई सुनवाई करने को तैयार नहीं है. पीड़िता ने बताया कि गैंगरेप के तीन आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं. पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की बजाय उन्हें धमकाने में लगी है.

पढ़ें- बदहाली की दास्ता बयां कर रहा मालवीय पार्क, कभी था कोटद्वार की शान

क्या था मामला?

मामला जून 2019 का है, जब हरिद्वार थाना पथरी ग्रामीण इलाके की लड़की का चार लोगों ने अपहरण कर लिया था. जिसके बाद उन्होंने उसे एक महीने तक अपने साथ रखकर गैंगरेप किया. जिसके बाद आरोपियों ने पीड़िता को उसके इलाके में छोड़ दिया. तब से पीड़िता का परिवार लगातार इस घटना की शिकायत को लेकर पुलिस के चक्कर काट रहा है. मामले में पुलिस मुख्यालय के हस्तक्षेप के बाद मुकदमा दर्ज किया गया. जिसके बाद गैंगरेप के आरोपियों में से एक चंगेज खान नाम के आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. जबकि इस मामले में अभी तीन आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.

देहरादून: एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री मोदी 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' के नारे को बुलंद कर रहे हैं, वहीं प्रदेश में इसके ठीक उलट तस्वीर सामने आ रही है. यहां एक बेटी न्याय की आस में दर-दर भटकने को मजबूर है. गुरुवार को न्याय की मांग को लेकर एक गैंगरेप पीड़िता अपनी नवजात बच्ची और मां-बाप के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंची. जहां से पुलिस उसे और उसके परिजनों को उठाकर थाने ले गए, जहां उन्हें घंटों बिठाकर रखा गया. इसके बाद ये परिवार न्यास की आस में जनता दरबार पहुंचा. जहां भी पीड़िता को सीएम ने नहीं मिलने दिया गया.

मामला धर्मनगरी हरिद्वार क्षेत्र के पथरी थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाके का है, जहां साल भर पहले गैंगरेप की शिकार हुई पीड़िता थक हार कर न्याय की गुहार लगाने राजधानी पहुंची. गुरुवार को आंखों में आंसू लिए अपनी नवजात बेटी और मां-बाप के साथ वह मुख्यमंत्री आवास पहुंची.

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जहां पुलिसकर्मियों ने उसे अंदर जाने से रोक दिया. उसके बाद पुलिसकर्मी उसे कैंट थाने ले आये जहां उन्हें 3 घंटे बिठाकर रखा गया. जहां रोती- बिलखती पीड़ित नवजात बच्ची को थाने की फर्श पर रखकर न्याय की गुहार लगाती रही. मगर मित्र पुलिस ने उसकी एक न सुनी. कई घंटे बीत जाने के बाद पुलिस के दो जवान पीड़िता को आईएसबीटी छोड़कर आये.

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मगर इंसाफ की आस में सीएम से मिलने राजधानी पहुंची पीड़िता ने यही हार नहीं मानी. वह आईएसबीटी से हरिद्वार न जाकर वापस विधानसभा पहुंच गई, लेकिन यहां भी उसे मित्र पुलिस का सामना करना पड़ा. विधानसभा पास बनने के बावजूद भी हरिद्वार पुलिस ने उसे और उसके परिजनों को अंदर जाने से रोक दिया. काफी मान-मनौव्वल के बाद केवल पीड़िता के पिता को ही मुख्यमंत्री से मिलने की इजाजत दी गई.

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पीड़िता के पिता की शिकायत सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया. वहीं मामले में पीड़िता का कहना है कि अगर इस मामले में उसकी सुनवाई नहीं हुई तो वो नवजात बच्ची के साथ अपनी जान दे देगी. पीड़िता का कहना है कि हरिद्वार पुलिस ने इस मामले में अब तक सिर्फ एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. अब पुलिस इस मामले में कोई सुनवाई करने को तैयार नहीं है. पीड़िता ने बताया कि गैंगरेप के तीन आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं. पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की बजाय उन्हें धमकाने में लगी है.

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क्या था मामला?

मामला जून 2019 का है, जब हरिद्वार थाना पथरी ग्रामीण इलाके की लड़की का चार लोगों ने अपहरण कर लिया था. जिसके बाद उन्होंने उसे एक महीने तक अपने साथ रखकर गैंगरेप किया. जिसके बाद आरोपियों ने पीड़िता को उसके इलाके में छोड़ दिया. तब से पीड़िता का परिवार लगातार इस घटना की शिकायत को लेकर पुलिस के चक्कर काट रहा है. मामले में पुलिस मुख्यालय के हस्तक्षेप के बाद मुकदमा दर्ज किया गया. जिसके बाद गैंगरेप के आरोपियों में से एक चंगेज खान नाम के आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. जबकि इस मामले में अभी तीन आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.

Last Updated : Feb 21, 2020, 9:42 AM IST
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