देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार से कार्यकर्ता मायूस हैं, वहीं पार्टी के बड़े नेताओं हरीश रावत और रणजीत रावत की लड़ाई और बयानबाजी पर अब कार्यकर्ता असहज नजर आ रहे हैं. कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार बड़े नेताओं की सार्वजनिक छींटाकशी से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है. पदाधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस के प्रभारी देवेंद्र यादव ने भी पार्टी के नेताओं को निर्देश दिए हैं कि किसी प्रकार की सार्वजनिक बयानबाजी न करें.
कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरीमा दसौनी का कहना है कि यह बहुत ही दुखद है कि जिस प्रकार से पार्टी के दो बड़े नेताओं की सोशल मीडिया पर बयानबाजी चल रही है. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है. अब उन्हें अपने हाईकमान पर पूरा विश्वास है कि वह इस मामले का संज्ञान लेकर इस पर उचित कार्रवाई करेंगे.
वहीं गरिमा दसौनी ने भाजपा को लेकर कहा कि उनको कोई हक नहीं कि कांग्रेस के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी करें. क्योंकि हम पूर्व में देख चुके हैं कि किस प्रकार से भाजपा के विधायकों ने अपने प्रदेश अध्यक्ष पर आरोप लगाए थे. ऐसे में उन्हें कांग्रेस के मामले में बोलने का कोई हक नहीं है.
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कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि आज भाजपा में मुख्यमंत्री को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. इससे साफ है कि लोकतंत्र के जनादेश के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. विधायकों पर दबाव बनाया जा रहा है. अंत में दिल्ली से ही एक नाम चयनित कर भाजपा हाईकमान विधायकों पर थोप देंगे और सबको वह मानने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
बीजेपी ले रही कांग्रेस की चुटकी: कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान पर बीजेपी चुटकी ले रही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता रविन्द्र जुगरान ने कहा कि हरीश रावत फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रहे हैं. हरीश रावत पर जो आरोप लगे हैं, कांग्रेस को उसकी जांच करानी चाहिए.
देश को कांग्रेस की जरूरत: उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा कांग्रेस व हरीश रावत की हार से निराश हैं. प्रदीप टम्टा ने कहा कि हरीश रावत ने उत्तराखंड के बुनियादी सवालों को उठाया, वह राज्य की जनता को एक नया मॉडल देते. लेकिन वह जनता के फैसले का सम्मान करते हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को समझाने में कहां पर कमी रह गई, कांग्रेस इसकी समीक्षा करेगी. उन्होंने कहा कि देश को आज कांग्रेस की जरूरत है. इसलिए वह दोबारा राज्य के बुनियादी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे और लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए लड़ेंगे.