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राज्य में बंद होते जा रहे सिनेमा हॉल और सरकार मांग रही सिर्फ सुझाव

राज्य स्थापना के 18 साल बाद भी फिल्म नीति को लेकर सरकारें महज सुझाव मांगने तक ही सीमित हैं. जिसके चलते प्रदेश के सिनेमा घर लगातार बंद होते जा रहे हैं. जिससे क्षेत्रीय फिल्मों को बड़ा नुकसान हो रहा है.

सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने मांगा सुझाव.
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Published : Jul 22, 2019, 4:57 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में क्षेत्रीय फिल्मों को संरक्षित करने के लिए सरकार के तमाम दावे फेल होते नजर आ रहे हैं. राज्य सरकार इतने सालों बाद भी नीति बनाए जाने को लेकर महज सुझाव तक ही सीमित रह गई हैं. जिसके चलते प्रदेश में क्षेत्रिय फिल्मों को सिनेमाघर नहीं मिलता. वहीं, एक बार फिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सिनेमा से जुड़े लोगों भरोसा दिलाते हुए उनसे सुझाव मांगे हैं.

सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने मांगा सुझाव.

बता दें कि प्रदेश के उत्तरकाशी, पौड़ी, श्रीनगर, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और चंपावत में सिनेमा हॉल या तो नहीं है या फिर बंदी के कगार पर है. जिस कारण प्रेदश में बन रही फिल्मों को बाजार नहीं मिल रहा है और उन्हें आर्थिक नुकसान से गुजरना पड़ रहा है.

पढ़ें: इस गांव के ग्रामीणों के दु:खों का निवारण करते हैं भूत देवता, पढ़े रोचक गाथा

वहीं, इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर सिनेमा से जुड़े लोगों को भरोसा दिलाते हुए उनसे फिल्म नीति को लेकर सुझाव मांगे हैं. सीएम त्रिवेंद्र की मानें तो राज्य में ही फिल्मों का निर्माण होना चाहिए और साथ ही बाजार भी मिलना चाहिए, जिसके लिए गंभीर चिंतन की जरूरत है.

देहरादून: उत्तराखंड में क्षेत्रीय फिल्मों को संरक्षित करने के लिए सरकार के तमाम दावे फेल होते नजर आ रहे हैं. राज्य सरकार इतने सालों बाद भी नीति बनाए जाने को लेकर महज सुझाव तक ही सीमित रह गई हैं. जिसके चलते प्रदेश में क्षेत्रिय फिल्मों को सिनेमाघर नहीं मिलता. वहीं, एक बार फिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सिनेमा से जुड़े लोगों भरोसा दिलाते हुए उनसे सुझाव मांगे हैं.

सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने मांगा सुझाव.

बता दें कि प्रदेश के उत्तरकाशी, पौड़ी, श्रीनगर, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और चंपावत में सिनेमा हॉल या तो नहीं है या फिर बंदी के कगार पर है. जिस कारण प्रेदश में बन रही फिल्मों को बाजार नहीं मिल रहा है और उन्हें आर्थिक नुकसान से गुजरना पड़ रहा है.

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वहीं, इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर सिनेमा से जुड़े लोगों को भरोसा दिलाते हुए उनसे फिल्म नीति को लेकर सुझाव मांगे हैं. सीएम त्रिवेंद्र की मानें तो राज्य में ही फिल्मों का निर्माण होना चाहिए और साथ ही बाजार भी मिलना चाहिए, जिसके लिए गंभीर चिंतन की जरूरत है.

Intro:summary- उत्तराखंड में क्षेत्रीय फिल्मों को संरक्षित करने के लिए तमाम दावों के बीच बंद होते सिनेमाघर एक बड़ी परेशानी बन गए हैं.. ऐसे में राज्य स्थापना के 18 साल बाद भी अब तक फिल्म नीति को लेकर सरकारें महज सुझाव मांगे जाने तक ही सीमित है।


राज्य में क्षेत्रीय फिल्मों के लिए सिनेमाघरों का ना होना एक बड़ी परेशानी बन गया है... हालत यह है कि राज्य सरकारें इतने सालों बाद भी नीति बनाए जाने को लेकर महज सुझाव तक ही सीमित रह गई हैं।


Body:प्रदेश के लिए इससे शर्म की बात क्या होगी कि राज्य स्थापना के 18 साल बाद भी सरकारें फिल्मों की नीति के लिए सुझाव मांग रही है। प्रदेश में क्षेत्रीय फिल्मों का निर्माण तो हो रहा है लेकिन इनको बाजार न मिल पाने के कारण आर्थिक नुकसान से जूझना पड़ रहा है। हालत यह है कि प्रदेश के अधिकतर पर्वतीय क्षेत्रों में सिनेमा हॉल ही मौजूद नहीं है...कई जगह तो सिनेमा हॉल बंद हो चुके हैं तो कुछ जगह बंद होने की कगार पर खड़े हैं। प्रदेश में उत्तरकाशी, पौड़ी, श्रीनगर, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और चंपावत तक में सिनेमाहॉल या तो नहीं है या फिर बंदी के कगार पर है। इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर सिनेमा से जुड़े लोगों को भरोसा दिलाते हुए उनसे फिल्म नीति को लेकर सुझाव मांगे हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की मानें तो उत्तराखंड में फिल्में बनाए जाने के साथ उनके लिए बाजार में उपलब्ध होना चाहिए और इसके लिए गंभीर चिंतन की जरूरत है और एक बड़े बदलाव को भी किया जाना जरूरी है।

बाइट त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री उत्तराखंड


Conclusion:राज्य में क्षेत्रीय फिल्मों के खराब हालातों ने स्थानीय कलाकारों के मनोबल को भी तोड़ने का काम किया है.. जबकि इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार राज्य सरकारें रही है जिन्होंने फिल्म नीति पर गंभीरता से आज तक कोई विचार नहीं किया।
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