देहरादून: BJP हाईकमान ने एक बार फिर चौंकाया है. पार्टी ने कम चर्चित और मीडिया में चेहरा कम दिखाने वाले नेता महेंद्र भट्ट को उत्तराखंड बीजेपी का अध्यक्ष बनाया है. महेंद्र भट्ट वो नेता हैं जब बीजेपी को उत्तराखंड में 47 सीटों के साथ बंपर मैंडेट मिला तो वो चमोली जिले की बदरीनाथ सीट गंवा बैठे थे. इसके बावजूद बीजेपी ने महेंद्र भट्ट को उत्तराखंड बीजेपी का सर्वेसर्वा बनाकर फिर संदेश दिया कि उनकी अपनी पार्टी के हर नेता-कार्यकर्ता पर नजर रहती है.
महेंद्र भट्ट के बारे में जानें: 50 साल के महेंद्र भट्ट 1991 से 1996 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश सह मंत्री, जिला संयोजक, जिला संगठन मंत्री, विभाग संगठन मंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं. वे 1997 में भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश सह मंत्री रहे. 1998 से 2000 में उत्तरांचल युवा मोर्चा में प्रदेश महामंत्री का दायित्व संभाला. इसके बाद 2000 से 2002 में राज्य निर्माण के समय उत्तरांचल प्रदेश युवा मोर्चा का प्रथम प्रदेश अध्यक्ष रहे. 32 साल की उम्र में पहली बार विधायक बनने वाले महेंद्र भट्ट ने अपनी पार्टी बीजेपी के लिए और भी बहुत कुछ किया है. इसी का ईनाम पार्टी हाईकमान ने उन्हें चुनाव हारने के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दिया है.
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खटीमा से हारने के बाद भी धामी को मुख्यमंत्री बनाया: 10 मार्च 2022 को जब उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे तो तत्कालीन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए थे. आम लोगों और राजनीतिक विश्लेषकों ने कौन बनेगा मुख्यमंत्री ये सोचने में ही दिमागी घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिए थे. तब बीजेपी हाईकमान ने हार के बावजूद पुष्कर सिंह धामी को फिर से मुख्यमंत्री बनाया था. मुख्यमंत्री बनने के बाद धामी ने चंपावत से उपचुनाव लड़ा और विधानसभा सदस्य बने.
तीरथ के हटने के बाद भी बीजेपी ने चौंकाया था: 2021 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया था. लेकिन सिर्फ 4 महीने के अंदर जब तीरथ सिंह रावत को सीएम पद से हटाया गया था तो तब पुष्कर सिंह धामी का सीएम की रेस में कहीं नाम भी नहीं था.
धामी को सीएम बनाकर चौंकाया था: जुलाई 2021 में जब तीरथ मुख्यमंत्री पद से हटाए गए थे तो राजनीति के पंडित रमेश पोखरियाल, धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, अजय भट्ट के नाम की चर्चा मुख्यमंत्री पद के लिए कर रहे थे. धन सिंह रावत तो खुद भी इतने उत्साहित हो गए थे कि अघोषित रूप से लोग उन्हें ही मुख्यमंत्री मानने लगे थे. इन सारे कयासों को धता बताते हुए बीजेपी हाईकमान ने पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था. खुद पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि उन्हें कतई भी अनुमान नहीं था कि वो सीएम बनने जा रहे हैं.
इसके अलावा अन्य राज्यों में भी बीजेपी चौंकाती रही है. देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 2017 में, हरियाणा में 2014 में और महाराष्ट्र में 2014 में जो नाम मुख्यमंत्री पद की चर्चा में नहीं थे उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया. योगी आदित्यनाथ, मनोहर लाल खट्टर और देवेंद्र फडणवीस को भी बीजेपी हाईकमान ने चौंकाने वाले निर्णय लेकर मुख्यमंत्री बनाया था.
यूपी में भी चौंकाया था: 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया था तो पहले योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद के सीन में कहीं नहीं थे. मनोज सिन्हा और केशव प्रसाद मौर्य में से किसी के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा थी. कहा तो ये भी जाता है कि मनोज सिन्हा का नाम लगभग तय ही हो गया था. अचानक बीजेपी हाईकमान ने योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाया और मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम पर मुहर लगा दी थी. योगी तब सांसद थे.
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर थे सरप्राइजिंग पैकेज: अक्टूबर 2014 में बीजेपी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीता तो मनोहर लाल खट्टर का नाम भी ज्यादा लोगों ने नहीं सुना था. अचानक बीजेपी हाईकमान ने खट्टर का नाम मुख्यमंत्री के लिए घोषित कर दिया था. मनोहर लाल खट्टर का नाम सुनकर आम कार्यकर्ता से लेकर राजनीतिक पंडित भी चौंक गए थे.
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देवेंद्र फडणवीस भी अचानक बने थे सीएम: 2014 में बीजेपी को महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों में 122 सीटों पर जीत मिली थी. शिवसेना 63 सीटें जीतकर राज्य की दूसरी बड़ी पार्टी बनी थी. तब देवेंद्र फडणवीस को लेकर कोई भी समीक्षक कुछ नहीं कह रहा था. अचानक बीजेपी ने अपने इस युवा नेता का नाम सीएम पद के लिए घोषित कर दिया. तब शिवसेना के सहयोग से बनी सरकार में देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री बने थे.