ब्रसेल्स: यूरोपीय संघ ने 2035 से नई पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून पर समझौता किया, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना है. वहीं यूरोपीय संघ के देशों के वार्ताकार और यूरोपीय संसद इस बात पर सहमत हुए हैं कि कार निर्माता को 2035 तक कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 100% कटौती हासिल करनी चाहिए.
इससे यूरोपीय देशों में जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों को बेचना असंभव हो जाएगा. संसद के प्रमुख वार्ताकार जान हुइतेमा ने कहा, 'यह प्रतिबंध कार चालकों के लिए अच्छी खबर है. नई शून्य उत्सर्जन वाली कारें सस्ती हो जाएंगी, जिससे वे अधिक किफायती और सभी के लिए अधिक सुलभ हो जाएंगी.'
यूरोपीय संघ की जलवायु नीति के प्रमुख फ्रैंस टिमरमैन ने कहा कि समझौते ने उद्योग और उपभोक्ताओं को एक मजबूत संकेत दिया है. उन्होंने कहा, 'यूरोप शून्य-उत्सर्जन गतिशीलता में बदलाव को स्वीकार कर रहा है.' इस समझौते से 2030 से बेची जाने वाली नई कारों के लिए कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 55% की कटौती भी शामिल है.
नियामकों द्वारा अपने कार्बन फुटप्रिंट पर अंकुश लगाने के लिए कार निर्माताओं पर दबाव बढ़ाने के साथ, कई ने विद्युतीकरण में निवेश की घोषणा की है. वोक्सवैगन के बॉस थॉमस शेफर ने इस सप्ताह में कहा था कि 2033 से ब्रांड केवल यूरोप में इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन करेगा.