पौड़ीः वन मंत्री हरक सिंह रावत के दबाव में शासन के आदेशों को खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है. बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद शासन की ओर से लालढांग-चिलरखाल मोटर मार्ग पर चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश जारी किए थे उसके बावजूद भी वन मंत्री हरक सिंह रावत के दबाव में निर्माण कार्य वापस शुरू कर दिया है.
वहीं वन मंत्री हरक सिंह रावत के ओएसडी विनोद रावत रोजाना मौके पर पहुंचकर काम का निरीक्षण कर रहे हैं. मिनिस्ट्री के ओएसडी विनोद रावत का कहना है कि निर्माण कार्य कराने के आदेश सरकार दे चुकी और अब पूर्व में जारी आदेश कोई मायने नहीं रखता.
कोटद्वार की लाइफ लाइन लालढांग चिलरखाल मोटर मार्ग पर बन रहे पुल के निर्माण पर रोक के आदेशों से भड़के ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया. बड़ी संख्या में भाबर क्षेत्र के ग्रामीण निर्माण स्थल पर पहुंचे और सरकार के खिलाफ कई घंटों तक निर्माणाधीन पुल के पास धरना दिया.
इस दौरान मंत्री हरक सिंह रावत ने भी निर्माण कार्य का निरीक्षण किया. निर्माण कार्य पर रोक लगने के आदेशों के खिलाफ धरने पर बैठी महिलाओं का जमकर आक्रोश देखने को मिला. महिलाओं का कहना है कि निर्माण कार्य पूरा हो चुका है जिसमें लाखों रुपए बर्बाद हो चुके हैं.
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ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य रोका जाता है तो वह निर्माण स्थल पर ही धरने पर बैठे रहेंगे. वहीं ग्रामीण रोशनी देवी का कहना है कि रोड पर रोक लगने से ग्रामीण बहुत परेशान हैं. हम इस रोड से नही जा पाते हैं न ही आप आते.
इस रोड पर धूल इतनी भरी हुई कि घरों में धूल घुस जाती है. बच्चे सहित सभी वर्गों के लोग परेशान हैं. बरसात के समय सड़क का पानी घरों में घुस जाता है. गर्मियों में आजकल गाड़ियां जा भी रहीं हैं तो बहुत धूल उड़ा रही है ग्रामीणों की मांग है कि रोड पर रोक नहीं लगनी चाहिए और रोड बनना चाहिए ताकि गांव वालों को कोई दिक्कत ना हो.
वहीं वन मंत्री के ओएसडी का कहना है कि विधिवत तरीके से सड़क पीडब्ल्यूडी को हस्तांतरित हुई है. सड़क बनाने के लिए सारे नियम पूरे किए गए हैं. कुछ लोगों ने गलतफहमी उड़ाई है कि सड़क प्रोटेक्टेड एरिया के अंदर है. यह सड़क रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर है. रिजर्व फॉरेस्ट में डब्लू आई आई से अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है. सारे अधिकारी इस बात को जानते हैं.
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1980 से पहले भी है इस सड़क पर गंगा बस सर्विस के नाम से बस चलती थी. लालढांग रेंज में इस पर कार्य होने के साक्ष्य मौजूद हैं. तत्कालीन प्रमुख सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी एक कमेटी का गठन हुआ था.
दूसरी ओर हजारों की संख्या में ग्रामीण निर्माणाधीन पुल के सामने बैठे हैं. इस तपती धूप में बैठे कुछ लोगों से बात हुई है तो उन्होंने कहा कि हम अपने जीवन की अंतिम बेला पर हैं. अब हम सड़क बनवाकर ही जाएंगे या अपने प्राण त्याग कर ही जाएंगे. शासन में बैठे हुए अधिकारियों को यह बात मालूम होनी चाहिए.
अगर कोटद्वार की जनता से अन्याय किया गया तो इसका विरोध किया जाएगा.दूसरी ओर अधिकारी इस तरह निरंकुश रहे तो कोटद्वार की जनता क्या कदम उठा सकती है या सचिवालय में बैठे अधिकारियों को मालूम नहीं है.