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उत्तराखंड में चौंकाने वाली है प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत, 'डबल इंजन' की पावर ही दे रही धोखा - Uttarakhand ETV bharat News

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश में 1 लाख 24 हजार आवास देने का लक्ष्य रखा गया लेकिन जैसे-जैसे समय निकलता गया इस योजना की गति धीमी होती गई. प्रदेश में इस योजना के पहला प्रोजेक्ट राजधानी देहरादून में लगाया गया. इसके लिए नगर निगम देहरादून ने 224 आवेदकों के साथ 60 वेटिंग यानी कुल 284 लाभार्थियों का सत्यापन किया.

उत्तराखंड में चौंकाने वाली है प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत
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Published : Sep 6, 2019, 5:09 PM IST

Updated : Sep 6, 2019, 11:06 PM IST

देहरादून: प्रदेश में डबल इंजन का नारा लगाकर सत्ता में आई त्रिवेंद्र सरकार ही पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की रफ्तार को धीमी कर रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उत्तराखंड में मौजूदा भाजपा सरकार ने 2022 तक 1 लाख 24 हजार बेघर लोगों को घर देने का लक्ष्य तय किया था लेकिन इस योजना के तहत अब तक मात्र 224 आवासों का ही आवंटन हो पाया है. जिनमें से भी केवल 130 जरुरतमंद ही इस योजना का सदुपयोग कर रहें है, बाकी के 75 से ज्यादा आवास ऐसे हैं जिन पर कब्जा लेने के बाद भी ताला लटका हुआ है.

उत्तराखंड में चौंकाने वाली है प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत


हर परिवार को छत मुहैया करवाने के उद्देश्य के पीएम मोदी ने 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी. जिसके तहत 2022 तक तक गरीबों को उनके सामर्थ्य के अनुसार तकरीबन 20 लाख आवास उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया था. इसी क्रम में उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा सरकार ने 2022 तक प्रदेश में 1 लाख 24 हजार आवास बनाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी प्रदेश में ये योजना रेंग-रेंग कर ही चल रही है. जिसके कारण प्रदेश के जरुरतमंद लोगों को इस योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें-कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लेने ऋषिकेश पंहुचे दीपक रावत, गंगा घाटों का किया निरीक्षण

सरकारों द्वारा गरीबों को घर उपलब्ध करवाने के नाम पर लायी गयी इस योजना की तस्वीर आंकड़ों के रूप में तो चमकती दिखाई देती है लेकिन जब बात धरातल की होती है तो ये हकीकत स्याह नजर आती है. जिससे सरकारों और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगते हैं. उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पंख देने के लिए लक्ष्य तो बड़ा रख दिया लेकिन शायद वे इसे गंभीरता से ले नहीं पाये, ऐसा हम नहीं कह रहे. राज्य में इस योजना के जो आंकड़े निकलकर सामने आये हैं वो इस ओर इशारा कर रहे हैं.

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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश में 1 लाख 24 हजार आवास देने का लक्ष्य रखा गया लेकिन जैसे-जैसे समय निकलता गया इस योजना की गति धीमी होती गई. प्रदेश में इस योजना के पहला प्रोजेक्ट राजधानी देहरादून में लगाया गया. इसके लिए नगर निगम देहरादून ने 224 आवेदकों के साथ 60 वेटिंग यानी कुल 284 लाभार्थियों का सत्यापन किया. जिसके बाद लॉटरी के माध्यम से सत्यापन कर नोडल एजेंसी देहरादून द्वारा मसूरी देहरादून प्राधिकरण को भेजे गये.

पढ़ें-नरेंद्र नगरः यहां खुद 'बीमार' है अस्पताल, लापरवाही मरीजों पर पड़ रही भारी

बता दें कि आवास बनवाने से लेकर लाभार्थियों को कब्जा दिलाने तक कि जिम्मेदारी एमडीडीए को दी गयी है लेकिन आवास लेने के मानक क्या होंगे? उनके सत्यापन की जिम्मेदारी देहरादून नगर निगम द्वारा तय की गई है. वहीं जब इस बारे में प्रधिकरण के सम्बन्धित अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने ईटीवी भारत को इस योजना में अब तक लाभ पाने वालों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 224 लाभार्थियों में से 205 अभ्यर्थियों को आवास का कब्जा दिया जा चुका है.

पढ़ें-उत्तराखंड में गोद अभियान की शुरुआत, मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने बच्चों को लिया गोद

ऐसे में पहला सवाल ये उठता है कि जब निगम ने 224 के साथ-साथ 60 वेटिंग आवेदकों का भी सत्यापन किया है तो अब तक केवल 205 लोगों को ही क्यों कब्जा दिया गया है? इतना ही नहीं बात अगर धरातल की करें तो कब्जा लेने वाले 205 लोगों में से 130 जरुरतमंद ही इस योजना का सदुपयोग कर रहें हैं. इस बात को खुद एमडीडीए के अधिकारी और कॉलोनी में रहने वाले लोग प्रमाण के साथ बता रहे हैं. एमडीडीए के अधिकारी ने बताया कि हाल ही में हुए रेजीडेंशियल वेलफेयर सोसाइटी के चुनावों में 224 मतों के सापेक्ष केवल आधी संख्या में ही मतदान हुआ था. जिससे साफ होता है कि 224 गरीबों को आवास उपलब्ध करवाने का डंका पीट रही सरकार को इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि प्रक्रिया के इतने सालों बाद भी 100 से ज्यादा आवास ऐसे लोगों को आवंटित किये गए हैं जिन्हें इनकी जरूरत ही नहीं है.

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उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर गरीबों को आवास देने की ये स्याह हकीकत है जो कि अब सबके सामने है. भले ही आंकड़ों से सरकार खुद की पीठ थपथपा रही हो लेकिन धरातलीय हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश के गरीब और जरुरतमंद लोगों को योजना से आस थी कि अब जल्द ही उन्हें उनके सपनों का आसियाना मिलेगा, जिससे उनके दिन बहुरेंगे लेकिन सरकार और अधिकारियों की उदासीनता के कारण उनका ये सपना हकीकत में तब्दील नहीं हो पा रहा है. इतने साल बीत जाने के बाद पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर पा रहा है.

देहरादून: प्रदेश में डबल इंजन का नारा लगाकर सत्ता में आई त्रिवेंद्र सरकार ही पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की रफ्तार को धीमी कर रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उत्तराखंड में मौजूदा भाजपा सरकार ने 2022 तक 1 लाख 24 हजार बेघर लोगों को घर देने का लक्ष्य तय किया था लेकिन इस योजना के तहत अब तक मात्र 224 आवासों का ही आवंटन हो पाया है. जिनमें से भी केवल 130 जरुरतमंद ही इस योजना का सदुपयोग कर रहें है, बाकी के 75 से ज्यादा आवास ऐसे हैं जिन पर कब्जा लेने के बाद भी ताला लटका हुआ है.

उत्तराखंड में चौंकाने वाली है प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत


हर परिवार को छत मुहैया करवाने के उद्देश्य के पीएम मोदी ने 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी. जिसके तहत 2022 तक तक गरीबों को उनके सामर्थ्य के अनुसार तकरीबन 20 लाख आवास उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया था. इसी क्रम में उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा सरकार ने 2022 तक प्रदेश में 1 लाख 24 हजार आवास बनाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी प्रदेश में ये योजना रेंग-रेंग कर ही चल रही है. जिसके कारण प्रदेश के जरुरतमंद लोगों को इस योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें-कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लेने ऋषिकेश पंहुचे दीपक रावत, गंगा घाटों का किया निरीक्षण

सरकारों द्वारा गरीबों को घर उपलब्ध करवाने के नाम पर लायी गयी इस योजना की तस्वीर आंकड़ों के रूप में तो चमकती दिखाई देती है लेकिन जब बात धरातल की होती है तो ये हकीकत स्याह नजर आती है. जिससे सरकारों और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगते हैं. उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पंख देने के लिए लक्ष्य तो बड़ा रख दिया लेकिन शायद वे इसे गंभीरता से ले नहीं पाये, ऐसा हम नहीं कह रहे. राज्य में इस योजना के जो आंकड़े निकलकर सामने आये हैं वो इस ओर इशारा कर रहे हैं.

पढ़ें-बेटी पैदा होने पर पत्नी को दिया तलाक, पुलिस ने शुरू की जांच

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश में 1 लाख 24 हजार आवास देने का लक्ष्य रखा गया लेकिन जैसे-जैसे समय निकलता गया इस योजना की गति धीमी होती गई. प्रदेश में इस योजना के पहला प्रोजेक्ट राजधानी देहरादून में लगाया गया. इसके लिए नगर निगम देहरादून ने 224 आवेदकों के साथ 60 वेटिंग यानी कुल 284 लाभार्थियों का सत्यापन किया. जिसके बाद लॉटरी के माध्यम से सत्यापन कर नोडल एजेंसी देहरादून द्वारा मसूरी देहरादून प्राधिकरण को भेजे गये.

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बता दें कि आवास बनवाने से लेकर लाभार्थियों को कब्जा दिलाने तक कि जिम्मेदारी एमडीडीए को दी गयी है लेकिन आवास लेने के मानक क्या होंगे? उनके सत्यापन की जिम्मेदारी देहरादून नगर निगम द्वारा तय की गई है. वहीं जब इस बारे में प्रधिकरण के सम्बन्धित अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने ईटीवी भारत को इस योजना में अब तक लाभ पाने वालों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 224 लाभार्थियों में से 205 अभ्यर्थियों को आवास का कब्जा दिया जा चुका है.

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ऐसे में पहला सवाल ये उठता है कि जब निगम ने 224 के साथ-साथ 60 वेटिंग आवेदकों का भी सत्यापन किया है तो अब तक केवल 205 लोगों को ही क्यों कब्जा दिया गया है? इतना ही नहीं बात अगर धरातल की करें तो कब्जा लेने वाले 205 लोगों में से 130 जरुरतमंद ही इस योजना का सदुपयोग कर रहें हैं. इस बात को खुद एमडीडीए के अधिकारी और कॉलोनी में रहने वाले लोग प्रमाण के साथ बता रहे हैं. एमडीडीए के अधिकारी ने बताया कि हाल ही में हुए रेजीडेंशियल वेलफेयर सोसाइटी के चुनावों में 224 मतों के सापेक्ष केवल आधी संख्या में ही मतदान हुआ था. जिससे साफ होता है कि 224 गरीबों को आवास उपलब्ध करवाने का डंका पीट रही सरकार को इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि प्रक्रिया के इतने सालों बाद भी 100 से ज्यादा आवास ऐसे लोगों को आवंटित किये गए हैं जिन्हें इनकी जरूरत ही नहीं है.

पढ़ें-देहरादून के जिला कारागार में भूख हड़ताल पर बैठा कैदी, ये है मांग

उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर गरीबों को आवास देने की ये स्याह हकीकत है जो कि अब सबके सामने है. भले ही आंकड़ों से सरकार खुद की पीठ थपथपा रही हो लेकिन धरातलीय हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश के गरीब और जरुरतमंद लोगों को योजना से आस थी कि अब जल्द ही उन्हें उनके सपनों का आसियाना मिलेगा, जिससे उनके दिन बहुरेंगे लेकिन सरकार और अधिकारियों की उदासीनता के कारण उनका ये सपना हकीकत में तब्दील नहीं हो पा रहा है. इतने साल बीत जाने के बाद पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर पा रहा है.

Intro:Special Story--- summary- स्याह है प्रधानमंत्री आवास योजना जमीनी हकीकत, 1 लाख 24 हाजर के लक्ष्य के आगे अब तक केवल 100 के करीब लाभार्थी एंकर- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उत्तराखंड में मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा 2022 तक 1 लाख 24 हजार बेघर लोगों को घर देने का लक्ष्य लिया गया है लेकिन इस योजना के तहत गरीबो की बात करें तो ईडब्ल्यूएस या एकॉमिकल विकर सेक्सन के तहर राज्य में अब तक मात्र 224 आवासों का आबंटन हुआ है लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि इन 224 लोगों में से भी केवल तकरीबन 130 ही जरुरत मंद है जिनको इस योजना का सदुपयोग कर रहें है, बाकी के 75 से ज्यादा आवास ऐसे हैं जिन पर कब्जा लेने के बाद भी ताला पड़ा है।


Body:वीओ- हर घर के सर पर छत के मकसद से पीएम मोदी द्वारा 25 जून 2015 को साल 2022 तक गरीबो को उनके सामर्थ्य के अनुसार तकरीबन 20 लाख आवास उपलब्ध करवाने का लक्ष्य लिया गया था और इसी योजना के क्रम में उत्तराखंड की मोजूद भाजपा सरकार द्वारा 2022 तक प्रदेश में 1 लाख 24 हजार आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया था। बाइट- शैलेश बगोली, सचिव आवास (ये बाइट अभी भेजी थोड़ी देर में अलग से भेजी जाएगी, अधिकारी उपलब्ध हो जाएंगे) सरकारों द्वारा गरीबों को घर उपलब्ध करवाने के नाम पर लायी गयी इस योजना की तस्वीर सरकारों द्वारा ऊपरी स्तर पर तो बड़े आंकड़ो के साथ तो काफी चमकीली दिखाई गई लेकिन आप योजना के जितने तय तक उतरेंगे आपको ये योजना उतनी ही स्याह नजर आएगी। प्रदेश स्तर पर सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1 लाख 24 हजार का बड़ा लक्ष्य तो रखा गया लेकिन जैसे जैसे आप धरातल की और जाएंगे ये आंकड़ा घटता चला जेएगा। प्रदेश में पहला प्रोजेक्ट राजधानी देहरादून में लगाया गया और इसके तहर नगर निगम देहरादून द्वारा 224 आवेदकों के साथ 60 वेटिंग यानी कुल 284 लाभार्थियों का सत्यापन कर लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से सत्यापन कर के नोडल एजेंसी देहरादून मसूरी देहरादून प्राधिकरण को भेजा गया। आपको बता दें कि आवास बनवाने से लेकर लाभार्थियों को कब्जा दिलाने तक कि जिम्मेदारी एमडीडीए को दी गयी है लेकिन आवास लेने के मानक क्या होंगे और उनके सत्यापन की जिम्मेदारी देहरादून नगर निगम द्वारा तय की गई। बाइट- विनय शंकर पांडे, नगर आयुक्त देहरादून अब जब इसी सम्बन्ध में प्रधिकरण सम्बन्धित अधिकारी से हमने सम्पर्क किया और योजना में अब तक लाभ पाने वालों की जानकारी ली तो बताया गया कि 224 लाभार्थियों में से 205 अभ्यर्थियों को कब्जा दिया जा चुका है। पहला सवाल यंहा पर ये उठता है कि जब निगम द्वारा 224 के साथ साथ 60 वेटिंग आवेदक भी सत्यापित किये गए हैं तो अभी तक केवल 205 लोगों को ही क्यों कब्जा दिया गया। इतना ही नही इससे एक स्तर नीचे अगर आप बात धरातल की करें तो भले ही कब्जा धारी 205 लोग है लेकिन इनमें से जरूरतमंद आधे से भी कम ये ओर ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 205 कब्जाधारियों में से वास्तविकता में केवल 100 के करीब ही लोग योजना के तहत मीले आवासों में रह रहे हैं। इस बात को खुद एमडीडीए के अधिकारी और कॉलोनी में रहने वाले लोग प्रमाण के साथ बता रहे हैं। एमडीडीए के अधिकारी ने बताया कि हाल ही में हुए रेजीडेंशियल वेलफेयर सोसाइटी के चुनावों में 224 मतों के सापेक्ष केवल आधी संख्या में ही मतदान हुआ था। जिससे साफ होता है कि 224 गरीबों को आवास उपलब्ध करवाने डंका पीट रही सरकार को इस बात से कोई फर्क नही पड़ता है कि प्रक्रिया के इतने सालों बाद भी 100 से ज्यादा आवास ऐसे लोगों को आबंटित किये गए है जिन्हें इनकी जरूरत ही नही है या फिर इनके पास इतना पैसा है कि ये इन घरों में ताला लगा कर कहि दूसरी जगह रह रहे हैं। बाइट- डीएस चौधरी, इंजीनियर एमडीडीए बाइट- कांति बल्लभ पाण्डे, स्थानीय निवासी


Conclusion:उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर गरीबो को आवास देने की ये हकीकत आपके सामने है। किस तफह से ऊपर से नीचे तक आंकड़े बदले हुए हैं साथ ही आंकड़ो की ये तस्वीर ऊपर से जो लाखों और हजारों के आंकड़े मे है वही आंकड़े किस तरह से सेकड़े में सिमट जा रहे है। यही नही ये केवल आंकड़े का खेल है अगले अंक में आपको धरातल पर जाकर इन घरों में रह रहे लोगों की हकीकत दिखाएंगे और बताएंगे कि किस तरह से सरकार की इस योजना को चूना लगाया जा रहा है और शासन प्रशासन बेखबर है।
Last Updated : Sep 6, 2019, 11:06 PM IST
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