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देवभूमि के इस गांव में सांप के काटने पर लोग नहीं कराते इलाज, ऐसे उतर जाता है जहर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती.

मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु.
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Published : May 30, 2019, 1:09 PM IST

विकासनगर: आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

देवभूमि के इस गांव में सांप के काटने पर लोग नहीं कराते इलाज.

सांप के काटने पर नहीं होता असर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोगों का कहना है कि नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने पर जहर उतर जाता है और पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोग मानते हैं कि सांप तभी काटते हैं जब नाग नाराज होते हैं, जिसे लोग दोष मानते हैं. प्रत्येक साल अगस्त माह में लोग नाग देवता की उपासना के लिए तीन दिन का व्रत रखते हैं.

गुफा में भी होती नाग देवता की पूजा

नाग देवता की प्रसाद के रूप में जो भोग बनाया जाता है उसमें विशेष आटे का प्रयोग किया जाता है. जिसमें रोट दाल शुद्ध घी से भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के उपरांत व्रत खोला जाता है. वहीं, सुरेऊ गांव के करीब 60 परिवारों में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. साथ ही गांव से लगते दूसरे गांव भी नाग देवता की महिमा सुनकर मंदिर में पूजा- अर्चना के लिए आते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव की बसायत से पहले यहां नाग देवता का वास नगाया गुफा में था. जहां पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से गुफा में पूजा-अर्चना करता है उसे नाग देवता अपने दर्शन देते हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण

स्थानीय ग्रामीण केदार सिंह का कहना है गांव के किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो उसे उपचार की जरूरत नहीं पड़ती. गांव के लोग जमा होकर जैसे ही नाग देवता का स्मरण करते हैं वैसे-वैसे जहर उतरता रहता है. साल में नाग देवता के लिए स्थानीय लोग तीन दिन का व्रत रखते हैं. गांव के बुजुर्ग छोटू सिंह का कहना है कि पीढ़ियों से नाग देवता का वास हमारे साथ है. क्षेत्र की बहन-बेटी या किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो नाग देवता की शक्ति हमें उस जहर से बचाती है. जिसे लोग नाग देवता की शक्ति मानते हैं.

नाग देवता की उपासना के लिए लोग प्रसाद के लिए विशेष आटा तैयार करते हैं. वह वर्ष में एक बार 3 दिनों का कठोर व्रत रखते हैं. ग्रामीण खजान सिंह चौहान का कहना है कि नाग देवता का अगस्त माह में व्रत रखा जाता है बताया कि नाग देवता किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हमारे ऊपर नाग देवता की बड़ी कृपा है. हम लोग अन्य लोगों को भी सांपों को मारने से रोकते हैं. मंदिर के भंडारी परम सिंह कहते हैं कि हमारे ऊपर नाग देवता की हमेशा ही कृपा बनी रहती है. गलती से कभी सांप अगर काट भी लेता है तो जहर नहीं चढ़ता है.

वहीं, प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि गांव से ऊंचाई पर स्थित लगाया पहाड़ी में नाग देवता का वास है. जिसके कारण लोगों ने गांव में नाग देवता का मंदिर स्थापित किया है. यहां आसपास के गांव के लोग भी नाग देवता की पूजा अर्चना करने आते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर में नाग देवता के साक्षात रूप में दर्शन होते हैं. उनका कहना है कि इस मंदिर की महिमा इतनी फैल गई है कि लोग दूर-दूर से यहां नाग देवता के दर्शन करने आते हैं. सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना चाहिए.

आवश्यक नोट: ईटीवी भारत ऐसे किसी भी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता. लोगों में जो धारणा है यह उनकी आस्था से जुड़ी है. सांप के काटने पर इलाज जरूरी कराना चाहिए.

विकासनगर: आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

देवभूमि के इस गांव में सांप के काटने पर लोग नहीं कराते इलाज.

सांप के काटने पर नहीं होता असर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोगों का कहना है कि नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने पर जहर उतर जाता है और पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोग मानते हैं कि सांप तभी काटते हैं जब नाग नाराज होते हैं, जिसे लोग दोष मानते हैं. प्रत्येक साल अगस्त माह में लोग नाग देवता की उपासना के लिए तीन दिन का व्रत रखते हैं.

गुफा में भी होती नाग देवता की पूजा

नाग देवता की प्रसाद के रूप में जो भोग बनाया जाता है उसमें विशेष आटे का प्रयोग किया जाता है. जिसमें रोट दाल शुद्ध घी से भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के उपरांत व्रत खोला जाता है. वहीं, सुरेऊ गांव के करीब 60 परिवारों में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. साथ ही गांव से लगते दूसरे गांव भी नाग देवता की महिमा सुनकर मंदिर में पूजा- अर्चना के लिए आते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव की बसायत से पहले यहां नाग देवता का वास नगाया गुफा में था. जहां पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से गुफा में पूजा-अर्चना करता है उसे नाग देवता अपने दर्शन देते हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण

स्थानीय ग्रामीण केदार सिंह का कहना है गांव के किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो उसे उपचार की जरूरत नहीं पड़ती. गांव के लोग जमा होकर जैसे ही नाग देवता का स्मरण करते हैं वैसे-वैसे जहर उतरता रहता है. साल में नाग देवता के लिए स्थानीय लोग तीन दिन का व्रत रखते हैं. गांव के बुजुर्ग छोटू सिंह का कहना है कि पीढ़ियों से नाग देवता का वास हमारे साथ है. क्षेत्र की बहन-बेटी या किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो नाग देवता की शक्ति हमें उस जहर से बचाती है. जिसे लोग नाग देवता की शक्ति मानते हैं.

नाग देवता की उपासना के लिए लोग प्रसाद के लिए विशेष आटा तैयार करते हैं. वह वर्ष में एक बार 3 दिनों का कठोर व्रत रखते हैं. ग्रामीण खजान सिंह चौहान का कहना है कि नाग देवता का अगस्त माह में व्रत रखा जाता है बताया कि नाग देवता किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हमारे ऊपर नाग देवता की बड़ी कृपा है. हम लोग अन्य लोगों को भी सांपों को मारने से रोकते हैं. मंदिर के भंडारी परम सिंह कहते हैं कि हमारे ऊपर नाग देवता की हमेशा ही कृपा बनी रहती है. गलती से कभी सांप अगर काट भी लेता है तो जहर नहीं चढ़ता है.

वहीं, प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि गांव से ऊंचाई पर स्थित लगाया पहाड़ी में नाग देवता का वास है. जिसके कारण लोगों ने गांव में नाग देवता का मंदिर स्थापित किया है. यहां आसपास के गांव के लोग भी नाग देवता की पूजा अर्चना करने आते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर में नाग देवता के साक्षात रूप में दर्शन होते हैं. उनका कहना है कि इस मंदिर की महिमा इतनी फैल गई है कि लोग दूर-दूर से यहां नाग देवता के दर्शन करने आते हैं. सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना चाहिए.

आवश्यक नोट: ईटीवी भारत ऐसे किसी भी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता. लोगों में जो धारणा है यह उनकी आस्था से जुड़ी है. सांप के काटने पर इलाज जरूरी कराना चाहिए.

Intro:उत्तराखंड के देहरादून जिले तहसील कालसी के जौनसार बावर के सुरेऊ गांव में नाग देवता का रहस्य पूर्ण मंदिर .
गांव के लोग नाग देवता की करते हैं पूजा ग्रामीणों का कहना है सांप के काटने पर नहीं चढ़ता जहर घर में घुसने पर नहीं मारते ग्रामीणों ने बताया कि प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने पर नाग देवता को हाथ जोड़कर नवाते हैं शीश नहीं करते कोई नुकसान कभी दबने पर या कोई दोस्त लगने पर ही काटते हैं सांप वर्ष में रखा जाता है 3 दिन का कठोर व्रत.


Body:उत्तराखंड के देहरादून जिले में जौनसार बावर का एक ऐसा गांव जहां के लोगों को सांप के काटने पर नहीं चढ़ता है जहर हम बात कर रहे हैं देहरादून जिले के कालसी ब्लॉक के तहत सुरेऊ गांव की जहां के ग्रामीणों को सांप की नहीं होती है दहशत यह बात ईटीवी भारत से ग्रामीणों ने मुखातिब की स्थानीय ग्रामीण केदार सिंह का कहना है कि जब से कोई सूर्य गांव बसा होगा तो गांव वालों को पता चला कि गांव से ऊपर ऊंचाई वाले क्षेत्र में लगाया पार्टी पर एक छोटी सी गुफा है वहां छोटा सा एक मंदिर है जहां नाग देवता विराजते हैं और गांव वालों को किसी सांप ने अगर काटा तो उसका जहर नहीं चढ़ा तो गांव वालों ने नाग देवता का मंदिर गांव के पास बना कर पूजा-अर्चना शुरू की उसके बाद से ही ग्रामीणों ने 3 दिन का कठोर व्रत रखना शुरू किया जिसके मात्र जल ही पीकर 3 दिन गुजारने के उपरांत व्रत खोला जाता है नाग देवता की ऐसी शक्ति है बताया कि कई लोगों को सांप के काटने पर भी जहर नहीं चढ़ा ना ही कोई झाड़-फूंक कराया ना ही कोई दवाइयां ली नाग देवता की साक्षात ऐसी शक्ति दिखाई देती है
गांव के बुजुर्ग छोटू सिंह का कहना है कि पीढ़ियों से नाग देवता का वास हमारे साथ है हमारे वहां जहां तक भी हैं बहन बुआ बेटी अगर सांप काट भी देते हैं तो उन्हें जहर नहीं चढ़ता यही वह शक्ति है जो हमें मरने से बचाती है हम सभी ग्रामवासी सच्चे मन से नाग देवता की पूजा अर्चना करते हैं
ग्रामीण महिला सणगी का कहना है कि हमें रास्ते में या घर में मिले सांप या फिर कई दिनों तक भी घर में दिखे तो भी हम लोग सांप को नहीं मारते खुद ही चले जाते हैं हम लोग प्रसाद के लिए विशेष आटा तैयार करते हैं वह वर्ष में एक बार 3 दिनों का कठोर व्रत करते हैं
ग्रामीण खजान सिंह चौहान का कहना है कि नाग देवता का अगस्त माह में व्रत रखा जाता है बताया कि नाग देवता किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हमारे ऊपर नाग देवता की बड़ी कृपा बनी रहती है हम लोग अन्य लोगों को भी सांप को मारने से रोकते हैं हमारा कहना है कि सांप को नहीं माना चाहिए क्योंकि वह साक्षात स्वरूप नाग देवता है
मंदिर के भंडारी परम सिंह कहते हैं कि हमारे ऊपर नाग देवता की हमेशा ही कृपा बनी रहती है गलती से कभी सांप अगर काट भी लेता है तो जहर नहीं चढ़ता हम लोग नाग देवता रूप में पूजते हैं
वहीं प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि गांव से ऊंचाई पर स्थित लगाया पहाड़ी में नाग देवता का वास है वास होने के कारण हम लोगों ने गांव में मंदिर को स्थापित किया है और सभी ग्रामीण व आसपास के गांव के लोग भी नाग देवता की पूजा अर्चना करते हैं उनका कहना है कि अन्य देवताओं का साक्षात दर्शन नहीं होता जबकि नाग देवता का सांप के रूप में साक्षात दर्शन लोगों को होता है हमें सांप को नहीं मानना चाहिए यही इनका कहना है



Conclusion:सुरेऊ गांव के लोगों में नाग देवता के प्रति सच्ची आस्था व सच्ची श्रद्धा देखने को मिली ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव के साथ साथ ही आसपास के गांव के लोग भी नाग देवता को पूजा अर्चना करते हैं बताया कि यही कारण है कि नाग देवता की कृपा सभी ग्रामीणों पर बनी रहती है हम लोग सांप को नहीं मारते और हमारा यह भी मानना है कि साक्षात नाग देवता दर्शन देते हैं और 3 दिन का कठोर व करके नाग देवता की पूजा अर्चना करते हैं प्रसाद में हम लोग विशेष तौर पर आटा तैयार करके उसका रोड आटे से बना हुआ चिल्डा वरदान जी से पूजा अर्चना करते हैं और भोग लगाकर उपवास को तोड़ते हैं यही कारण है कि सच्ची शरदा रखने वाले ग्रामीणों में यह आस्था भरी हुई है कि नाक साक्षात रूप में दर्शन देते हैं और कोई भी ग्रामीण बच्चे महिलाएं बुजुर्ग आदि सांप को देखने से भयभीत नहीं होते

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