हल्द्वानी: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. आधी रात से ही मंदिरों के बाहर भक्तों को भीड़ देखने को मिल रही है. भक्त शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने के लिए लाइनों में लगे हुए है. पूरे वर्ष आने वाली शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि का महत्व अधिक है. इस बार महाशिवरात्री पर हम आपकों भगवान शिव के एक विशेष धाम के बारे में बताते है. यहां पर शिवरात्रि के दिन दूर-दराज से लोग जलाभिषेक करने आते हैं. मान्यता के अनुसार यहां दर्शन मात्र से ही भगवान शिव खुश होकर मांगी गई मुरादे पूरी करते हैं.
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हल्द्वानी मुख्यालय से 16 किमी दूर टांडा के घने जंगलों के बीच कहार महादेव मंदिर है. इस क्षेत्र को जंगली जानवारों का गढ़ माना जाता है. इस इलाके में शिवरात्रि के दिन ही चहल-पहल देखने को मिलती है. महाशिवरात्रि के दिन दूर-दराज से भक्त यहां भोले का जलाभिषेक करने आते हैं.
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प्राचीन कहार महादेव मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार जंगल में रहने वाले (गुर्जर कहार) दूधिया इसी रास्ते से शहर में अपना दूध बेचने जाया करते थे. इस दौरान रास्ते में एक जगह दूधियाओं की कैन से थोड़ा सा दूध अपने आप पेड़ के पास गिर जाया करता था. ऐसे उनके साथ रोज हुआ करता था. इसके बाद वहां से गुजरने वाले दूधियाओं ने वहां एक शिवलिंग की स्थापना की. इसके बाद जब भी कोई दुधियां वहां से गुजरता तो वो दुध से भगवान शिव का अभिषेक करता था.
धीरे-धीरे इस जगह के प्रति लोगों की आस्था बढ़ने लगी और आसपास के गांव वाले भी यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करने आने लगे. लोगों की इस शिवालय के प्रति बढ़ती आस्था को देखते हुए बाद में यहां एक मंदिर का निर्माण कराया गया. इस मंदिर का नाम कहार महादेव मंदिर रखा गया. आज भी यहां से गुजरने वाले दूधियां इस मंदिर में दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते है.
महाशिवरात्रि के मौके पर बड़ी सख्या में कांवड़िए यहां पहुचते और भगवान शिव का जलाभिषेक करते है. मान्यता के अनुसार शिवरात्रि के दिन जो भी भक्त इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करता है. उसकी मनोकामना पूर्ण होती है. ऐसे में शिवरात्रि के दिन दूरदराज से लोग यहां दूध से भगवान शिव का अभिषेक करने आते है.