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Maha Shivratri 2019: हल्द्वानी के इस मंदिर में करे दूध से भगवान शिव का अभिषेक, होगी सभी मनोकामना पूरी

हल्द्वानी मुख्यालय से 16 किमी दूर टांडा के घने जंगलों के बीच कहार महादेव मंदिर है. इस क्षेत्र को जंगली जानवारों का गढ़ माना जाता है. इस इलाके में शिवरात्रि के दिन ही चहल-पहल देखने को मिलती है. महाशिवरात्रि के दिन दूर-दराज से भक्त यहां भोले का जलाभिषेक करने आते हैं.

महाशिवरात्रि
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Published : Mar 4, 2019, 3:13 AM IST

Updated : Mar 4, 2019, 6:06 AM IST

हल्द्वानी: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. आधी रात से ही मंदिरों के बाहर भक्तों को भीड़ देखने को मिल रही है. भक्त शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने के लिए लाइनों में लगे हुए है. पूरे वर्ष आने वाली शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि का महत्व अधिक है. इस बार महाशिवरात्री पर हम आपकों भगवान शिव के एक विशेष धाम के बारे में बताते है. यहां पर शिवरात्रि के दिन दूर-दराज से लोग जलाभिषेक करने आते हैं. मान्यता के अनुसार यहां दर्शन मात्र से ही भगवान शिव खुश होकर मांगी गई मुरादे पूरी करते हैं.

महाशिवरात्रि

पढ़ें-शिवरात्रि के लिए सजा बाबा काशी विश्वनाथ का दरबार, यहां साक्षात विराजमान हैं भोलेनाथ

हल्द्वानी मुख्यालय से 16 किमी दूर टांडा के घने जंगलों के बीच कहार महादेव मंदिर है. इस क्षेत्र को जंगली जानवारों का गढ़ माना जाता है. इस इलाके में शिवरात्रि के दिन ही चहल-पहल देखने को मिलती है. महाशिवरात्रि के दिन दूर-दराज से भक्त यहां भोले का जलाभिषेक करने आते हैं.

पढ़ें-महाशिवरात्रि: हाथ में तिरंगा और कांधे पर कांवड़, शिवभक्ति और 'राष्ट्र'भक्ति से सराबोर हरिद्वार

प्राचीन कहार महादेव मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार जंगल में रहने वाले (गुर्जर कहार) दूधिया इसी रास्ते से शहर में अपना दूध बेचने जाया करते थे. इस दौरान रास्ते में एक जगह दूधियाओं की कैन से थोड़ा सा दूध अपने आप पेड़ के पास गिर जाया करता था. ऐसे उनके साथ रोज हुआ करता था. इसके बाद वहां से गुजरने वाले दूधियाओं ने वहां एक शिवलिंग की स्थापना की. इसके बाद जब भी कोई दुधियां वहां से गुजरता तो वो दुध से भगवान शिव का अभिषेक करता था.

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धीरे-धीरे इस जगह के प्रति लोगों की आस्था बढ़ने लगी और आसपास के गांव वाले भी यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करने आने लगे. लोगों की इस शिवालय के प्रति बढ़ती आस्था को देखते हुए बाद में यहां एक मंदिर का निर्माण कराया गया. इस मंदिर का नाम कहार महादेव मंदिर रखा गया. आज भी यहां से गुजरने वाले दूधियां इस मंदिर में दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते है.

महाशिवरात्रि के मौके पर बड़ी सख्या में कांवड़िए यहां पहुचते और भगवान शिव का जलाभिषेक करते है. मान्यता के अनुसार शिवरात्रि के दिन जो भी भक्त इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करता है. उसकी मनोकामना पूर्ण होती है. ऐसे में शिवरात्रि के दिन दूरदराज से लोग यहां दूध से भगवान शिव का अभिषेक करने आते है.

हल्द्वानी: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. आधी रात से ही मंदिरों के बाहर भक्तों को भीड़ देखने को मिल रही है. भक्त शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने के लिए लाइनों में लगे हुए है. पूरे वर्ष आने वाली शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि का महत्व अधिक है. इस बार महाशिवरात्री पर हम आपकों भगवान शिव के एक विशेष धाम के बारे में बताते है. यहां पर शिवरात्रि के दिन दूर-दराज से लोग जलाभिषेक करने आते हैं. मान्यता के अनुसार यहां दर्शन मात्र से ही भगवान शिव खुश होकर मांगी गई मुरादे पूरी करते हैं.

महाशिवरात्रि

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हल्द्वानी मुख्यालय से 16 किमी दूर टांडा के घने जंगलों के बीच कहार महादेव मंदिर है. इस क्षेत्र को जंगली जानवारों का गढ़ माना जाता है. इस इलाके में शिवरात्रि के दिन ही चहल-पहल देखने को मिलती है. महाशिवरात्रि के दिन दूर-दराज से भक्त यहां भोले का जलाभिषेक करने आते हैं.

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प्राचीन कहार महादेव मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार जंगल में रहने वाले (गुर्जर कहार) दूधिया इसी रास्ते से शहर में अपना दूध बेचने जाया करते थे. इस दौरान रास्ते में एक जगह दूधियाओं की कैन से थोड़ा सा दूध अपने आप पेड़ के पास गिर जाया करता था. ऐसे उनके साथ रोज हुआ करता था. इसके बाद वहां से गुजरने वाले दूधियाओं ने वहां एक शिवलिंग की स्थापना की. इसके बाद जब भी कोई दुधियां वहां से गुजरता तो वो दुध से भगवान शिव का अभिषेक करता था.

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धीरे-धीरे इस जगह के प्रति लोगों की आस्था बढ़ने लगी और आसपास के गांव वाले भी यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करने आने लगे. लोगों की इस शिवालय के प्रति बढ़ती आस्था को देखते हुए बाद में यहां एक मंदिर का निर्माण कराया गया. इस मंदिर का नाम कहार महादेव मंदिर रखा गया. आज भी यहां से गुजरने वाले दूधियां इस मंदिर में दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते है.

महाशिवरात्रि के मौके पर बड़ी सख्या में कांवड़िए यहां पहुचते और भगवान शिव का जलाभिषेक करते है. मान्यता के अनुसार शिवरात्रि के दिन जो भी भक्त इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करता है. उसकी मनोकामना पूर्ण होती है. ऐसे में शिवरात्रि के दिन दूरदराज से लोग यहां दूध से भगवान शिव का अभिषेक करने आते है.

Intro:स्लग- घने जंगलों के बीच में स्थित है कहार महादेव मंदिर क्या है आस्था।
रिपोर्टर भावनाथ पंडित
एंकर- उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है । पहाड़ को देवी देवताओं का वास कहा जाता है।
हल्द्वानी से 16 किलोमीटर दूर टांडा के घने जंगलों में प्राचीन कहार महादेव मंदिर का महाशिवरात्रि के मौके पर विशेष महत्व माना जाता है । शिवरात्रि के दिन भक्त यहां अपने मनोकामना के लिए महादेव का आराधना करते हैं और मनोकामना को पूर्ण की कामना करते हैं।
आइए जानते हैं इस घने जंगलों के बीच कहार महादेव मंदिर की क्या है महत्वता........


Body:हल्द्वानी मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर टांडा के घने जंगलों के बीच छोटा सा कहार महादेव की मंदिर जहां जंगली जानवरों का गढ़ माना जाता है। सुनसान इलाके में इस मंदिर में केवल चहल-पहल शिवरात्रि के दिन ही देखने को मिलता है। जहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच भगवान शिव का आराधना कर अपने मनोकामना को पूर्ण की कामना करते हैं।
प्राचीन कहार महामंदिर की आस्था की बात करें तो कहा जाता है कि जंगल में रहने वाले (गुर्जर कहार ) जो दूध का कारोबार करते थे । दूधिया इसी रास्ते शहर में अपने दूध को बेचने को जाते थे ।इस दौरान वहां से आने जाने वाले दूधियो की दूध से भरी कैन एक पेड़ के नीचे गिर उसमें से थोड़ा दूध गिर जाता था। जो सभी दूधियो के साथ हुआ करता था। जिसके बाद वहां दूधिया ने एक शिव लिंग की स्थापना की और वहां से गुजरते समय उस पर दूध का अभिषेक करना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे इस मंदिर की मान्यता बढ़ने लगी और आसपास के ग्रामीण इलाके के लोकी भी आस्था इस मंदिर के प्रति बढ़ने लगी जिसके बाद मंदिर का नाम का हर महादेव रखा गया। आज भी वहां से गुजरने वाले दूधिया उस मंदिर में दूध चढ़ाते हैं और अपनी मनोकामना की कामना करते हैं।


Conclusion:महाशिवरात्रि के मौके पर कावड़ियों द्वारा भी मंदिर में पहुच जलाभिषेक किया जाता है और मंदिर में अपना पड़ाव बनाते हैं।
यही नहीं कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन जो भी भक्त इस मंदिर में आकर भगवान शिव का जलाभिषेक करता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसे में शिवरात्रि के दिन दूरदराज से लोग पहुंच अपनी मनोकामना के लिए दूध से अभिषेक करते हैं।
बाइट - शैलेंद्र दुमका स्थानीय निवासी
बाइट- स्थानीय निवासी
Last Updated : Mar 4, 2019, 6:06 AM IST
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