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मसूरी की इस पहाड़ी से कभी बरसते थे तोप के गोले, जानिए रोचक इतिहास - मसूरी में गन हिल

मसूरी भले ही आज सैलानियों की पहली पंसद है, लेकिन मसूरी आज से ही नहीं देश की आजादी के पहले से ही लोगों के दिलो में बसती आयी है. यही वजह है कि देश की आजादी से पहले अंग्रेजों ने भी मसूरी शहर को विकसित करने में अपना पूरा योगदान दिया था. उसी दौर का एक मशहूर रोचक किस्सा आज भी मसूरी की गन हिल नामक पहाड़ी पर ताजा है.

gun hill
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Published : Feb 9, 2019, 6:56 AM IST

मसूरी: वैसे तो पहाड़ों की रानी की सुंदरता विश्व विख्यात है. लेकिन मसूरी में कुछ एसी जगहें भी हैं जिनका इतिहास इतना रोचक है कि जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी. ऐसी ही एक कहानी है मसूरी के आज के समय में मशहूर पर्यटक स्थल गन हिल की. आइये, आपको बताते हैं कि आखिर क्या है गन हिल का रोचक इतिहास.

मसूरी स्थित गन हिल का इतिहास
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मसूरी भले ही आज सैलानियों की पहली पंसद है, लेकिन मसूरी आज से ही नहीं देश की आजादी के पहले से ही लोगों के दिलो में बसती आयी है. यही वजह है कि देश की आजादी से पहले अंग्रेजो ने भी मसूरी शहर को विकसित करने में अपना पूरा योगदान दिया था. उसी दौर का एक मशहूर रोचक किस्सा आज भी मसूरी की गन हिल नामक पहाड़ी पर ताजा है.

पढे़ं- थारू जनजाति के सात गांवों की सुधरेगी तस्वीर, केंद्र सरकार की इस योजना का मिलेगा लाभ

लोग बताते हैं कि इस पहाड़ी पर अंग्रेजों के दौर में एक तोप रखी गयी थी, जिससे हर घंटे गाड़ियां सेट करने के लिए गोले दागे जाते थे और तोप के नाम पर इस पहाड़ी का नाम गन हिल रखा गया था. आज भी लोग उन किस्सों को याद कर मुस्कुरा देते हैं कि जब इस पहाड़ी से तोप के गोले दागे जाते थे और वह घास-फूस के गोले किसी के घरों पर गिरते थे.

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ये किस्सा अपने आप मे बयां करने के लिए काफी है कि किस तरह से दौर बदला है. उस समय जब गाड़ियां बहुत महंगी हुआ करती थी या फिर पूरे शहर कुछ ही नामचीन लोगों के पास घड़ियां होती थी तो समय मिलाने के लिए अंग्रेजों ने इस तरकीब को इजाद किया था. शहर के बीच मौजूद ऊंची पहाड़ी से घंटे के हिसाब से घास के गोले इस पहाड़ी से दागे जाते.

ऐसे ही रोचक किस्से के साथ इस प्रथा का अंत भी हुआ. स्थानीय लोग बताते हैं कि एक दिन पहाड़ी के नीचे मौजूद मॉल रोड पर ब्रिटिश महिला पर इस गन हिल से दागा गया गोला गिर गया जिसके बाद हुए बवाल के बाद ये प्रथा बंद हो गयी.

आज गन हिल पर वो तोप तो मौजूद नहीं है लेकिन फिर भी इस पहाड़ी का नाम गन हिल है और लोगों के जहन में तोप के किस्से अभी भी ताजा हैं. लेकिन चिंता की बात ये है कि धीरे-धीरे ये किस्से और इनसे जुड़ी बातें लोगों के जहन से मिटने लगी हैं. ऐसे में सरकारी अमले को चाहिए कि वो इन विरासतों को ताजा रखे और केवल प्राकृतिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी ऐसी जगहों का वजूद जिंदा रखें.

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मसूरी: वैसे तो पहाड़ों की रानी की सुंदरता विश्व विख्यात है. लेकिन मसूरी में कुछ एसी जगहें भी हैं जिनका इतिहास इतना रोचक है कि जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी. ऐसी ही एक कहानी है मसूरी के आज के समय में मशहूर पर्यटक स्थल गन हिल की. आइये, आपको बताते हैं कि आखिर क्या है गन हिल का रोचक इतिहास.

मसूरी स्थित गन हिल का इतिहास
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मसूरी भले ही आज सैलानियों की पहली पंसद है, लेकिन मसूरी आज से ही नहीं देश की आजादी के पहले से ही लोगों के दिलो में बसती आयी है. यही वजह है कि देश की आजादी से पहले अंग्रेजो ने भी मसूरी शहर को विकसित करने में अपना पूरा योगदान दिया था. उसी दौर का एक मशहूर रोचक किस्सा आज भी मसूरी की गन हिल नामक पहाड़ी पर ताजा है.

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लोग बताते हैं कि इस पहाड़ी पर अंग्रेजों के दौर में एक तोप रखी गयी थी, जिससे हर घंटे गाड़ियां सेट करने के लिए गोले दागे जाते थे और तोप के नाम पर इस पहाड़ी का नाम गन हिल रखा गया था. आज भी लोग उन किस्सों को याद कर मुस्कुरा देते हैं कि जब इस पहाड़ी से तोप के गोले दागे जाते थे और वह घास-फूस के गोले किसी के घरों पर गिरते थे.

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ये किस्सा अपने आप मे बयां करने के लिए काफी है कि किस तरह से दौर बदला है. उस समय जब गाड़ियां बहुत महंगी हुआ करती थी या फिर पूरे शहर कुछ ही नामचीन लोगों के पास घड़ियां होती थी तो समय मिलाने के लिए अंग्रेजों ने इस तरकीब को इजाद किया था. शहर के बीच मौजूद ऊंची पहाड़ी से घंटे के हिसाब से घास के गोले इस पहाड़ी से दागे जाते.

ऐसे ही रोचक किस्से के साथ इस प्रथा का अंत भी हुआ. स्थानीय लोग बताते हैं कि एक दिन पहाड़ी के नीचे मौजूद मॉल रोड पर ब्रिटिश महिला पर इस गन हिल से दागा गया गोला गिर गया जिसके बाद हुए बवाल के बाद ये प्रथा बंद हो गयी.

आज गन हिल पर वो तोप तो मौजूद नहीं है लेकिन फिर भी इस पहाड़ी का नाम गन हिल है और लोगों के जहन में तोप के किस्से अभी भी ताजा हैं. लेकिन चिंता की बात ये है कि धीरे-धीरे ये किस्से और इनसे जुड़ी बातें लोगों के जहन से मिटने लगी हैं. ऐसे में सरकारी अमले को चाहिए कि वो इन विरासतों को ताजा रखे और केवल प्राकृतिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी ऐसी जगहों का वजूद जिंदा रखें.

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योजनाओं की समीक्षा के साथ-साथ आउटपुट पर भी पैनी नजर एक्टिव मोड में त्रिवेंद्र सरकार।
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