देहरादून (उत्तराखंड): पिथौरागढ़ उत्तराखंड का एक खूबसूरत जिला है. इसे जिले के सरमोली गांव को देश का सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव चुना गया है. भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने बीते 27 सितंबर को सरमोली गांव को इस खिताब से नवाजा. उत्तराखंड सरकार ने 700 से अधिक गांव की जानकारी केंद्र को इसके लिए भेजी थी. पिथौरागढ़ जिले का सरमोली गांव पर्यटन विभाग को सभी मनकों पर खरा उतरा. आखिर कैसे पिथौरागढ़ का एक छोटा सा गांव पर्यटन का हब बन गया? इस गांव को टूरिस्ट विलेज बनाने की सोच किसकी है, आइए बताते हैं.
समाजसेवी मल्लिका विर्दी ने संवारा सरमोली गांव: सरमोली गांव उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है. यह गांव हल्द्वानी से लगभग 11 घंटे की दूरी पर है. मुनस्यारी और इसके आसपास के खूबसूरत पहाड़ इस गांव को और भी खूबसूरत बनाते हैं. सरमोली गांव को संवारने के पीछे समाजसेवी मल्लिका विर्दी की बड़ी भूमिका रही है. मल्लिका विर्दी वर्तमान में सरमोली वन पंचायत की सरपंच हैं. मल्लिका विर्दी मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं.
-
Village Sarmouli in Munsiyari has been honored as the Best Tourism Village by the Ministry of Tourism, Government of India. This accolade recognizes their exceptional efforts in promoting tourism, preserving their cultural heritage, and providing outstanding hospitality. pic.twitter.com/MbTSs9ZMfN
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) September 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Village Sarmouli in Munsiyari has been honored as the Best Tourism Village by the Ministry of Tourism, Government of India. This accolade recognizes their exceptional efforts in promoting tourism, preserving their cultural heritage, and providing outstanding hospitality. pic.twitter.com/MbTSs9ZMfN
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) September 28, 2023Village Sarmouli in Munsiyari has been honored as the Best Tourism Village by the Ministry of Tourism, Government of India. This accolade recognizes their exceptional efforts in promoting tourism, preserving their cultural heritage, and providing outstanding hospitality. pic.twitter.com/MbTSs9ZMfN
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) September 28, 2023
1992 में पहली बार सिरमोली गांव आई थी मल्लिका विर्दी:मल्लिका विर्दी के पिता सेना में थे, जिसके कारण मल्लिका विर्दी पूरा देश घूम चुकी हैं. बचपन से ही मल्लिका विर्दी को प्रकृति से प्रेम था. साल 1992 में वह पहली बार सरमोली गांव आई. इसके बाद मल्लिका विर्दी यही होकर रह गई. मल्लिका विर्दी बताती हैं जब वे पहली बार सरमोली गांव आई थी तब यहां की आबादी बेहद कम थी. यहां संसाधनों की भी कमी थी. गांव के लोग किसी तरह जीवन गुजर बसर करते थे.
-
We are overjoyed to share that Sarmauli Village, Pithoragarh in the breathtaking Uttarakhand region has been crowned as the BEST TOURISM VILLAGE in the highly anticipated Best Tourism Village Competition 2023, presented by the esteemed Ministry of Tourism, Govt. of India. pic.twitter.com/JbXD3hEYQL
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) September 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">We are overjoyed to share that Sarmauli Village, Pithoragarh in the breathtaking Uttarakhand region has been crowned as the BEST TOURISM VILLAGE in the highly anticipated Best Tourism Village Competition 2023, presented by the esteemed Ministry of Tourism, Govt. of India. pic.twitter.com/JbXD3hEYQL
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) September 27, 2023We are overjoyed to share that Sarmauli Village, Pithoragarh in the breathtaking Uttarakhand region has been crowned as the BEST TOURISM VILLAGE in the highly anticipated Best Tourism Village Competition 2023, presented by the esteemed Ministry of Tourism, Govt. of India. pic.twitter.com/JbXD3hEYQL
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) September 27, 2023
मल्लिका विर्दी को पहाड़ों से प्रेम, प्रकृति से लगाव: मल्लिका विर्दी बताती हैं उन्होंने यहां आकर पहाड़ों को करीब से महसूस किया. जिसके कारण उन्होंने पहाड़ों में ही जीवन बिताने की ठान ली. मल्लिका विर्दी ने बताया इस काम में उनके पति ने उनका साथ ही दिया. उन्होंने यहां जमीन खरीदी. जिसके बाद उन्होंने इस पर मकान बनाया. खेती बाड़ी शुरू की. इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन में भी हिस्सा लिया. इसके कुछ समय बाद वे सरमोली गांव की सरपंच बनी. अभी तीसरी बार मल्लिका विर्दी सरमोली वन पंचायत की सरपंच हैं.
'माटी' से मल्लिका विर्दी ने शुरुआत, हासिल की सफलता: मल्लिका विर्दी ने बताया सरमोली गांव से जुड़ने के बाद हमनें फैसला किया कि कैसे इस गांव को अपने पैरों पर खड़ा किया जाये. इसके लिए महिला समूह को इकट्ठा किया. एक समूह बनाया गया. जिसका नाम माटी रखा गया. मल्लिका बताती हैं वे हमेशा से ही महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत देखना चाहती थी. इसके लिए उन्होंने कोशिशें की. जिसके लिए उन्होंने सरमोली गांव को पर्यटन के हिसाब से विकसित करने का फैसला लिया.
साल 2003 में गांव में पहला होमस्टे शुरू: साल 2003 में सरमोली गांव में पहली बार होमस्टे के तहत काम शुरू किया गया. एक साल में ही अच्छे खासे पर्यटकों ने सरमोली गांव पहुंचने लगे. जिससे वे हैरान थी. इसके बाद उन्होंने धीरे धीरे प्रयासों को प्रयोग का रूप दिया. जिसके कारण सरमोली गांव पर्यटन गांव के रूप में तब्दील हो गया. मल्लिका विर्दी ने बताय हमने अपने संगठन के तहत गांव में कई तरह के बदलाव किये. पर्यावरण से लेकर पहाड़ों में शराबबंदी के मुद्दों को हमनें मिलकर उठाया. जिसका बड़े पैमाने पर असर भी हुआ.
सरमोली गांव में आभासी नहीं बल्कि कराया जाता है रुहानी एहसास: मल्लिका विर्दी ने बताया हमनें अपने गांव को पर्यटकों के हिसाब से विकसित किया. आज हमारे गांव में जब भी पर्यटक आते है वो हमारे घरों में मेहमान बनकर होमस्टे में रुकते हैं. हम उन्हें घर का स्वादिष्ट खाना खिलाते हैं. उनको घर जैसा एहसास दिलाते हैं. उन्होंने कहा हमारे यहां शहरों के होटल्स की तरह कोई फैसिलिटी नहीं होती. इसलिए हमारी कोशिश रहती है कि पर्यटक को आभासी न नहीं बल्कि रुहानी एहसास कराया जाये, जिसे वे जीवन भर याद रखें. इसके अलावा यहां पहुंचने वाले पर्यटक को गांव भ्रमण करवाया जाता है. उन्हें नेचर से रूबरू करवाया जाता है. गांव में सहभागिता पर जोर दिया जाता है. जिसमें पर्यटक भी भाग लेते हैं. यहां पर्यटक खेतों में काम करने के साथ वो सब कर सकते हैं जो वे करना चाहते हैं. सरमोली गांव में हम पर्यटकों को उनके गांव जैसा एहसास कराने की कोशिश करते हैं. जिससे वे भी कनेक्ट करते हैं.
सरमोली गांव में बर्ड वॉचिंग: मल्लिका विर्दी ने बताया इस गांव के आसपास पक्षियों की कई प्रजातियां दिखाई देती हैं. बर्ड वॉचिंग भी सरमोली गांव की खासियत है. वे बताती हैं आज हमने अपने गांव की महिलाओं और बच्चों को इतना सक्षम बना दिया है कि वह एक गाइड के रूप में भी यहां पर रुकने वाले गेस्ट को भ्रमण करवा सकते हैं.
मल्लिका विर्दी ने कहा आज सरमोली गांव में सबसे अधिक टूरिस्ट आते हैं. उन्होंने कहा हम यह भी नहीं चाहते कि इनकी संख्या बढ़ें. हमने सीमित संसाधनों में सीमित लोगों के रुकने खाने-पीने की व्यवस्था की हुई है. पहले यह काम बेहद मुश्किल था, लेकिन अब यहां की महिलाएं पुरुष होमस्टे को बहुत सुंदर तरीके से चलाते हैं. गांव में बिजली पानी की बेहतर सुविधा है. सड़क अब गांव तक पहुंच चुकी है. आने वाले समय में उम्मीद है कि और भी सुविधा यहां पर जुटा ली जाएंगी. हमने अपने गांव को गांव ही रहने दिया है. हम यहां शहर जैसा माहौल नहीं बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा सरमोली गांव में रुकने वाला हर पर्यटक जाने के बाद यही कहता है कि ऐसा परिवार जैसा माहौल हमने कहीं नहीं देखा, बस हमारी यही कोशिश है कि हम इस माहौल को बनाये रखें.