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One Nation-One Election: 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार बनाना जटिल और लागू करना चुनौतीपूर्ण - कांग्रेस - इंडिया गठबंधन

कांग्रेस पार्टी ने एक राष्ट्र-एक चुनाव के विचार को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी 'इंडिया' गठबंधन से घबरा गई है और चिंतित है. इस विचार को लागू करना बहुत चुनौतीपूर्ण है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2023, 3:35 PM IST

Updated : Sep 1, 2023, 3:57 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार को आगे बढ़ाने के केंद्र के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी की चिंता को दर्शाता है कि वह आगामी पांच विधानसभा चुनाव हार सकती है. कांग्रेस ने यह भी कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार बनाना जटिल और लागू करना चुनौतीपूर्ण है.

पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री शकील अहमद ने ईटीवी भारत को बताया कि मेरा व्यक्तिगत विचार है कि भाजपा चिंतित है कि वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में आने वाले पांच विधानसभा चुनाव हार सकती है. उन्होंने पिछले साल हिमाचल प्रदेश और इस साल कर्नाटक खो दिया. उन्हें डर है कि राज्यों में चुनावी हार का 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इसलिए, 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर कदम बढ़ाया है.

कांग्रेस नेता के अनुसार, भाजपा ने पांच विधानसभाओं या लोकसभा के चुनाव कार्यक्रम में छेड़छाड़ करने के लिए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार रखा था. अहमद ने कहा कि राज्य में चुनाव इस साल नवंबर-दिसंबर में होने की संभावना है, जबकि लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई, 2024 में होंगे. मेरा अनुमान है कि भाजपा विधानसभाओं का कार्यकाल कुछ महीनों तक बढ़ाकर विधानसभा चुनाव टालने का फैसला कर सकती है.

इससे उन्हें राष्ट्रीय चुनावों के साथ राज्य चुनाव कराने की अनुमति मिल जाएगी. मुझे नहीं लगता कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव पहले कराने का जोखिम लेगी. भाजपा के पूर्व प्रधान मंत्री एबी वाजपेयी ने 'इंडिया शाइनिंग' अभियान के बाद भी ऐसा ही किया था और 2004 के राष्ट्रीय चुनाव हार गए थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का प्रस्ताव अपने आप में जटिलताओं से भरा था और इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण था.

अहमद ने कहा कि यह समान नागरिक संहिता प्रस्ताव जितना ही जटिल है. सबसे पहले, एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी, जिसका अर्थ है कि इसे दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से पारित करना होगा. दूसरा, केंद्र गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक जैसी विधानसभाओं के साथ क्या करेगा, जिनका गठन पिछले साल हुआ था और जिन्हें अभी भी अपना पूरा कार्यकाल पूरा करना है. क्या इन विधानसभाओं को भंग करना और नए सिरे से चुनाव कराना आसान होगा?

कुछ कांग्रेस नेताओं को आशंका थी कि केंद्र 18-22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र के दौरान 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पारित करने का प्रयास कर सकता है, अहमद ने कहा कि यह किसी अन्य उद्देश्य के लिए हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व वाले 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पैनल की अभी घोषणा की गई है. विधेयक का मसौदा तैयार करना बहुत समय लेने वाला कार्य है और इसे अल्पावधि में नहीं किया जा सकता है.

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा, जो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी हैं, उनके अनुसार संसद के विशेष सत्र, जिसका एजेंडा अभी भी ज्ञात नहीं है, ने प्रस्ताव पर अटकलों को हवा दे दी है. तंखा ने कहा कि यदि उद्देश्य नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनावों से बचने के लिए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विधेयक पारित करना है, तो इसका मतलब है कि भाजपा वास्तव में खराब स्थिति में है.

उन्होंने कहा कि वे जनवरी में अयोध्या मंदिर का उद्घाटन करने के बाद राज्य और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ कराना चाह सकते हैं और यह उनका सबसे अच्छा दांव हो सकता है. मजबूत होता 'इंडिया' गठबंधन भी भाजपा को परेशान कर रहा है.

(एजेंसी)

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार को आगे बढ़ाने के केंद्र के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी की चिंता को दर्शाता है कि वह आगामी पांच विधानसभा चुनाव हार सकती है. कांग्रेस ने यह भी कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार बनाना जटिल और लागू करना चुनौतीपूर्ण है.

पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री शकील अहमद ने ईटीवी भारत को बताया कि मेरा व्यक्तिगत विचार है कि भाजपा चिंतित है कि वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में आने वाले पांच विधानसभा चुनाव हार सकती है. उन्होंने पिछले साल हिमाचल प्रदेश और इस साल कर्नाटक खो दिया. उन्हें डर है कि राज्यों में चुनावी हार का 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इसलिए, 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर कदम बढ़ाया है.

कांग्रेस नेता के अनुसार, भाजपा ने पांच विधानसभाओं या लोकसभा के चुनाव कार्यक्रम में छेड़छाड़ करने के लिए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार रखा था. अहमद ने कहा कि राज्य में चुनाव इस साल नवंबर-दिसंबर में होने की संभावना है, जबकि लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई, 2024 में होंगे. मेरा अनुमान है कि भाजपा विधानसभाओं का कार्यकाल कुछ महीनों तक बढ़ाकर विधानसभा चुनाव टालने का फैसला कर सकती है.

इससे उन्हें राष्ट्रीय चुनावों के साथ राज्य चुनाव कराने की अनुमति मिल जाएगी. मुझे नहीं लगता कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव पहले कराने का जोखिम लेगी. भाजपा के पूर्व प्रधान मंत्री एबी वाजपेयी ने 'इंडिया शाइनिंग' अभियान के बाद भी ऐसा ही किया था और 2004 के राष्ट्रीय चुनाव हार गए थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का प्रस्ताव अपने आप में जटिलताओं से भरा था और इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण था.

अहमद ने कहा कि यह समान नागरिक संहिता प्रस्ताव जितना ही जटिल है. सबसे पहले, एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी, जिसका अर्थ है कि इसे दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से पारित करना होगा. दूसरा, केंद्र गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक जैसी विधानसभाओं के साथ क्या करेगा, जिनका गठन पिछले साल हुआ था और जिन्हें अभी भी अपना पूरा कार्यकाल पूरा करना है. क्या इन विधानसभाओं को भंग करना और नए सिरे से चुनाव कराना आसान होगा?

कुछ कांग्रेस नेताओं को आशंका थी कि केंद्र 18-22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र के दौरान 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पारित करने का प्रयास कर सकता है, अहमद ने कहा कि यह किसी अन्य उद्देश्य के लिए हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व वाले 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पैनल की अभी घोषणा की गई है. विधेयक का मसौदा तैयार करना बहुत समय लेने वाला कार्य है और इसे अल्पावधि में नहीं किया जा सकता है.

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा, जो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी हैं, उनके अनुसार संसद के विशेष सत्र, जिसका एजेंडा अभी भी ज्ञात नहीं है, ने प्रस्ताव पर अटकलों को हवा दे दी है. तंखा ने कहा कि यदि उद्देश्य नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनावों से बचने के लिए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विधेयक पारित करना है, तो इसका मतलब है कि भाजपा वास्तव में खराब स्थिति में है.

उन्होंने कहा कि वे जनवरी में अयोध्या मंदिर का उद्घाटन करने के बाद राज्य और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ कराना चाह सकते हैं और यह उनका सबसे अच्छा दांव हो सकता है. मजबूत होता 'इंडिया' गठबंधन भी भाजपा को परेशान कर रहा है.

(एजेंसी)

Last Updated : Sep 1, 2023, 3:57 PM IST
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