उत्तरकाशी (उत्तराखंड): उत्तरकाशी जिले के पुरोला में बीते दिनों एक धर्म विशेष के युवक समेत दो लड़कों द्वारा नाबालिग लड़की के अपहरण के प्रयास के बाद भड़की आग शांत होने का नाम नहीं ले रही है. जिले भर में मुस्लिम धर्म के व्यापारियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है. उनकी दुकानों पर धमकी भरे पोस्टर लगाए गए हैं. पूरे जिले में तनाव का माहौल है. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने यहां प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) की एक पलटन को तैनात किया है.
दरअसल, ये मामला बीती 26 मई का है. आरोप है कि एक समुदाय विशेष के युवक समेत दो लोगों ने पुरोला में कथित तौर पर स्थानीय नाबालिग लड़की के अपहरण का प्रयास किया. हालांकि स्थानीय लोगों ने उनकी कोशिश को नाकाम कर दिया और लड़की को आरोपियों के चंगुल से बचा लिया. इस घटना के बाद से ही पुरोला में मुस्लिम धर्म के दुकानदारों के खिलाफ तनाव का माहौल है. स्थानीय लोगों ने बाहरी दुकानदारों को अपने यहां दुकान देने से साफ इंकार कर दिया है. इतना ही नहीं, उनकी दुकानों के बाहर धमकी भरे पोस्टर दिखाई दिए हैं, जिसमें उनके तुरंत शहर छोड़ने के लिए कहा गया है.
रविवार को दुकानों पर चिपकाए गए पोस्टरों में दुकानदारों से 15 जून को देवभूमि रक्षा अभियान द्वारा आयोजित होने वाली 'महापंचायत' से पहले पुरोला छोड़ने या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की धमकी दी गई है. इस घटना के करीब दो हफ्ते बाद भी शहर में तनाव कम नहीं हुआ है और बाजार में धर्म विशेष के लोगों की लगभग 40 दुकानें बंद हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने पोस्टर हटा दिए हैं और उन लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रही है, जिन्होंने दुकानों पर पोस्टर चिपकाए. वहीं प्रदर्शनकारी इस घटना को लव जिहाद के मामले से जोड़ रहे हैं. इस घटना के खिलाफ पुरोला, बड़कोट और चिन्यालीसौड़ सहित उत्तरकाशी जिले के गंगा और यमुना दोनों घाटियों के विभिन्न नगरों में प्रदर्शन किए गए हैं. कई हिंदू संगठनों ने इस मामले में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन भी किया.
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उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजलवान ने पुरोला के मकान मालिकों से बाहरी लोगों को अपनी संपत्ति नहीं देने की अपील की है. उन्होंने यह भी कहा कि जिला पंचायत राज्य के बाहर के फेरीवालों और विक्रेताओं को कस्बे में व्यापार करने की अनुमति नहीं देगी.
इस मामलों को पुलिस-प्रशासन भी बड़ी गंभीरता से ले रहा है. उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा कि स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए शहर में प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) की एक पलटन को तैनात किया गया है. किसी भी हालत में शहर का माहौल खराब नहीं होने दिया जाएगा.
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उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग की प्रतिक्रिया: उधर, इस मामले में उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी का मामला उनके संज्ञान में आया है और वहां के कुछ प्रार्थना पत्र भी अल्पसंख्यक आयोग के पास पहुंचे हैं, जिनको गंभीरता से लिया गया है. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी और एसएसपी से इस मामले में बात कर अल्पसंख्यक लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है. इस मामले में डीजीपी से भी बात हुई है. कहीं-कहीं सुरक्षा के बीच उनकी दुकानें भी खुलवाई गई हैं.
उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने अल्पसंख्यक लोगों के दुकानों में तोड़फोड़ की है, उसमें मुकदमे दर्ज हुए हैं और पुलिस मामले की जांच भी कर रही हैं. नईम नवाब ने कहा कि अगर कोई अपराध करता है तो वो किसी भी जाति का हो उसको सजा मिलनी चाहिए, लेकिन उसकी आड़ में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा. इसके अलावा सोशल मीडिया में जो भी लोग इस तरह के भ्रामक प्रचार प्रसार कर रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए पुलिस को निर्देशित किया है.
क्या है मामला: बीती 26 मई को पुरोला में दो युवकों ने एक हिंदू स्कूली छात्रा को बहलाकर भगाने का प्रयास किया था. पुरोला पेट्रोल पंप के पास स्थानीय लोगों ने उन्हें पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था. ये दोनों लड़के स्थानीय रजाई गद्दे की दुकान पर ही काम करते थे. मामले में मामले में उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद निवासी उबैद (पुत्र अहमद) और जितेंद्र सैनी (पुत्र अत्तर सैनी) को गिरफ्तार किया गया था. इस घटना के बाद से ही स्थानीय लोगों में बड़ा आक्रोश है. धीरे-धीरे ये आक्रोश पूरे उत्तरकाशी जिले में देखने को मिल रहा है.
दुकान खाली करने लगे समुदाय विशेष के लोगों: पुरोला में उपजे विवाद के बाद वहां से समुदाय विशेष के लोगों ने दुकानें खाली करनी शुरू कर दी हैं. मंगलवार देर शाम और बुधवार दिन में पुरोला शहर से पांच समुदाय विशेष के लोगों ने अपनी दुकानें छोड़ दी हैं.
एसपी अपर्ण यदुवंशी ने सभी लोगों से सौहार्द और शांति बनाने की अपील है. इसके लिए उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया है. एसपी अर्पण यदुवंशी का कहना है कि शहर में किसी भी प्रकार का सामाजिक सौहार्द नहीं बिगड़ने दिया जाएगा. वहीं दूसरी ओर देवभूमि भैरव वाहिनी की प्रदेश अध्यक्ष संदीप खत्री भी पुरोला पहुंचे, जहां पर उन्होंने नाबालिग के परिजनों से मुलाकात करने की कोशिश की, लेकिन वह घर पर नहीं मिले. उसके बाद उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया, जिसमें मांग रखी गई कि प्रदेश में बाहर से आने वाले लोगों के हर 6 माह में सत्यापन अनिवार्य करवाया जाए, जिससे कि देवभूमि में पुरोला जैसी घटना की पुनरावृत्ति न हो.