उत्तरकाशी: द्रौपदी का डांडा चोटी आरोहण के दौरान हुए हिमस्खलन (Uttarkashi Avalanche) की घटना में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) उत्तरकाशी के दो प्रशिक्षु अभी भी लापता हैं. जबकि एक प्रशिक्षु का शव एडवांस बेस कैंप में है. मंगलवार को पूरे दिन भारी बर्फबारी होने के कारण खोज बचाव अभियान नहीं चल पाया. हेली रेस्क्यू भी पूरी तरह से बंद रहा. वहीं बुधवार को मौसम अनुकूल रहने पर रेस्क्यू अभियान (Uttarkashi avalanche Rescue Operation) चलाया गया.
मातली हेलीपैड (Uttarkashi Matli Helipad) से द्रौपदी डांडा-2 के बेस कैंप (Uttarkashi Draupadi Danda Base Camp) के लिए वायु सेना के हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी. एसडीआरएफ जवान द्रौपदी का डांडा-2 में हुए हिमस्खलन दुर्घटना में लापता प्रशिक्षुओं की सर्चिंग के लिए 18500 फीट की ऊंचाई पर गहरे कैरावास में उतरता, जिसका वीडियो सामने आया है.
बता दें कि, चार अक्टूबर को सुबह करीब 8.45 बजे उत्तरकाशी जिले की द्रौपदी डांडा टू पर एवलॉन्च आया था. इस दौरान नेहरू पर्वतारोही संस्थान या निम उत्तरकाशी के पर्वतारोहियों को एक दल जिसमें करीब 42 लोग शामिल थे, वो उसकी चपेट में आ गया था. इस हादसे में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 2 लापता हैं.
गौर हो कि बीती 4 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिले के द्रौपदी का डांडा 2 (Draupadi Ka Danda Avalanche) के डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में एवलॉन्च की घटना हुई थी. जिसकी चपेट में एडवांस कोर्स प्रशिक्षण के लिए गए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) के प्रशिक्षु पर्वतारोही और प्रशिक्षक आ गए थे. जिनमें उत्तरकाशी की लौंथरू गांव की माउंट एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल (Mountaineer Savita Kanswal), भुक्की गांव की पर्वतारोही नौमी रावत (Mountaineer Navami Rawat), अल्मोड़ा के पर्वतारोही अजय बिष्ट समेत 29 पर्वतारोहियों की जान चली गई थी.