देहरादून (उत्तराखंड): केदारनाथ मंदिर इन दिनों चारधाम यात्रा से पहले गर्भगृह की दीवारों पर लगाई लगाई गई सोने की परतों को लेकर चर्चाओं में है. इसी बीच बदरी केदार मंदिर समिति भी लगातार सामने आकर इस विवाद पर अपना पक्ष रख रही है. साथ ही बदरी केदारनाथ मंदिर समिति विपक्ष को भी इस मामले में आड़े हाथों ले रही है. इस विवाद को लेकर उत्तराखंड में राजनीति भी चरम पर है. इस सारे विवाद के बीच एक बार फिर से बदरी केदार मंदिर समिति की संपति की चर्चा हो रही है.
उत्तराखंड में मौजूद चारों धामों में से बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के संचालन का जिम्मा बदरी केदार मंदिर समिति के पास है. इस समिति के अंदर आने वाले 2 बड़े मंदिर बदरीनाथ और केदारनाथ में भूमि दान किए जाने को लेकर के क्या स्टेटस है यह आपको बताते हैं. इसके साथ ही समिति के पास देशभर में कहां-कहां भक्तों ने भगवान को अपनी भूमि दान की है इसके बारे में भी विस्तार से भी आपकों बताते हैं.
बदरी केदार मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार पूरे देश भर में बदरीनाथ धाम के लिए भक्तों ने 33 जगह पर भूमि दान की है. केदारनाथ धाम के लिए भक्तों ने 20 जगह पर भूमि दान की है. यह वह भूमि है जिसके दस्तावेज मौजूद हैं. इन भूमियों पर बदरी केदार मंदिर समिति अपना दावा करती है. समिति के पदाधिकारी के अनुसार ऐसी भी अथाह संपत्ति है जिसका कोई अधिकृत प्रमाण नहीं है, लेकिन किसी कागज के टुकड़े या फिर किसी तरह के संकल्प से इन भूमियों को दान किया गया है. आज इन पर बदरी केदार मंदिर समिति अधिकारिक रूप से दावा नहीं कर सकता है.
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केदारनाथ धाम के लिए दान की गई भूमि का विवरण: केदारनाथ धाम 41 नाली भूमि है. उखीमठ में 38 नाली 1 मुट्ठी, डगवाड़ी उखीमठ में 18 नाली 4 मुट्ठी, गुप्तकाशी में 22 नाली, मक्कूमठ में 17 नाली 5 मुट्ठी, करोखी, उखीमठ में 11 नारी 6 मुट्ठी, मौजा- त्युडी में 20 नाली 14 मुट्ठी, ग्राम- सेमी में 2 नाली 9 मुट्ठी, कालीमठ में 9 नाली 11 मुट्ठी, त्रिजुगीनारायण में 7 वाली 7 मुट्ठी, तुंगनाथ में 10 नाली 12 मुट्ठी, तुंगनाथ मंदिर मकुमट्ट 10 नाली 2 मुट्ठी, अगस्तमुनि में 2 नाली 9 मुट्ठी, संसारी में 28 नाली के अलावा केदारनाथ धाम की कालीशीला, मध्यमेश्वर, गौरीकुंड, डगवाडी जयवीर उखीमठ इत्यादि जगहों पर भूमि है. इनमें से कई जगह पर मंदिर और धर्मशाला बनी हुई हैं. कुछ भूमि कृषि योग्य है तो कुछ ऐसी भूमि भी है जो 2013 की आपदा में क्षतिग्रस्त हो गई है.
बदरीनाथ धाम के लिए दान की गई भूमि का विवरण: भगवान बदरीनाथ धाम की अगर बात करें तो भगवान बदरीनाथ पूरे भारतवर्ष के चार कोनों में मौजूद हिंदू धर्म के चार धामों में से एक धाम है. यहां पूरे देश भर से सनातनी पूजा पाठ के लिए आते हैं. यहां पर पिंडदान जैसे बड़े कर्मकांड भी किए जाते हैं. ऐसे में बदरीनाथ धाम को दान में दी गई भूमि की संख्या भी बेहद ज्यादा है. उत्तराखंड में कई जगह पर मंदिर समिति के नाम पर भूमि दर्ज है. जिसमें से रामनगर, हल्द्वानी, अल्मोड़ा के सकुनी गांव, भंडर गांव, पनेर गांव, बांसुरी सेरा, द्वाराहाट मल्ला, के अलावा देहरादून के खूड़बूड़ा मोहल्ला, कारगी चौक, केनाल रोड, डोभालवाला में, टिहरी के बौराड़ी ,घनसाली, झिनझिनी सैंण में, ऋषिकेश के चंद्रभागा, चेलाचैतराम, देवप्रयाग, पौड़ी में सिविल लाइन, कोटद्वार रोड, पैठाणी, कलियासौड़, सेरा भरदार, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कुलसारी, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, मंडल, गोपेश्वर, चमोली, नौखर (पीपलकोटी), ग्राम टंगणी, अणीमठ, जोशीमठ, पांडुकेश्वर, मौजा वांगणी, माणा और बद्रीनाथ धाम में भूमि संपत्ति मौजूद है. इनमें से कई जगहों पर यात्री विश्राम गृह, मंदिर समिति के भवन, दुकानें इत्यादि बनी हैं. कई जगह पर भूमि बंजर है. कई जगह पर भवन जीर्णशीर्ण हो चुके हैं. वहीं कई जगह पर लोगों के कब्जे हैंं. जिनको लगातार छुड़ाने के लिए मंदिर समिति प्रयास कर रही हैं. कई मामले कोर्ट में भी चल रहे हैं.
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उत्तराखंड से बाहर दूसरे राज्यों में बदरीनाथ धाम की जमीन: उत्तराखंड से बाहर देश के अन्य राज्यों में भी बदरीनाथ धाम को जमीन दान की गई है. उत्तराखंड के बाहर के राज्यों के घर में बात करें तो बदरीनाथ धाम की महाराष्ट्र के मुरादनगर जिला बुलडाना में 17 एकड़ भूमि है. जिसको लेकर के मंदिर समिति कोर्ट में लड़ाई लड़ रहा है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के फतेहपुर हसुवा में भी मंदिर समिति की भूमि वैद्यनाथ मंदिर के साथ साझी है. गयगंज बाजार में 43 दुकानें और 2 गोदाम जीर्ण शीर्ण अवस्था में हैं. छोटा बाजार गायगंज में 0.04 हेक्टेयर भूमि बंजर है. इसके अलावा मौजा केशवपुर में 5 बीघा भूमि उजाड़ हो चुका आम का बाग भी मौजूद है. मंदिर समिति के नाम पर लखनऊ गड़बड़झाला में भी 11020 वर्ग फीट भूमि मौजूद है.
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उत्तराखंड राज्य के बाहर मौजूद बदरी केदार समिति के तहत आने वाले मंदिरों में दान की गई इन भूमि को लेकर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि वह लगातार इन भूमियों का सत्यापन करवा रहे हैं. मंदिर समिति का कहना है कि कई जगहों पर न्यायालयों में मामले चल रहे हैं. कई जगह पर कब्जा धारियों से कब्जा छुड़ाने के लिए कार्रवाई की जा रही है. मंदिर समिति का मानना है कि लंबे समय तक इन भूमियों की कोई छानबीन नहीं की गई. जिस वजह से कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. मंदिर समिति के पास जिन संपत्तियों को लेकर दस्तावेज या फिर किसी तरह की कोई तथ्य उन्हें मंदिर समिति अपने कब्जे में ले रही है.