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भारत में 10 लाख लोगों को मिलना चाहिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन का प्रशिक्षण: रिपोर्ट - भूपेंद्र यादव

भारत में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच सालों में कम से कम 10 लाख लोगों को इसके विषय पर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है. वहीं दूसरी ओर 'नीले आकाश के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस' के मौके पर बोलते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी अपने विचार रखे.

नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस
नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस
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Published : Sep 7, 2022, 5:35 PM IST

नई दिल्ली: भारत में वायु गुणवत्ता प्रबंधन (Air Quality Management) के लिए अगले पांच साल के दौरान कम से कम 10 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत होगी. एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है, जिसमें यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में रोजगार के 50 हजार नए अवसर पैदा किये जा सकते हैं. विश्व बैंक (World Bank) की सहायता से पर्यावरण, निरंतरता और प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय मंच (आई-फॉरेस्ट) ने यह रिपोर्ट तैयार की है.

इसमें कहा गया है कि सभी हितधारकों- शहरों, राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों, निजी क्षेत्र, एनजीओ और मीडिया की क्षमता विकसित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम बनाने की जरूरत है, ताकि वायु प्रदूषण (Air Pollution) की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके. आईफॉरेस्ट के सीईओ और रिपोर्ट्स के लेखकों में से एक चंद्र भूषण ने कहा कि 'हमारी रिपोर्ट में दिखाया गया है कि हमें वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अगले पांच सालों के दौरान कम से कम दस लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत होगी.'

आगे उन्होंने कहा कि इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में हजारों नए रोजगार के अवसर पैदा हो सकेंगे, जिससे वायु प्रदूषण कारक तत्वों के नियंत्रण की योजना, निगरानी और उन्हें कम करने में मदद मिलेगी।' उन्होंने कहा कि देश के पर्यावरण क्षेत्र पर इस तरह की यह पहली रिपोर्ट है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देशभर में कम से कम 2.8 लाख ऐसे संगठन और उद्योग हैं, जिन्हें वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए कर्मियों की जरूरत है.

इस रिपोर्ट में ऐसी 42 तरह की नौकरियों की पहचान की गई है, जो देश में वायु गुणवत्ता पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी हैं. इनमें धूल को नियंत्रित करने वाले नगर निकाय कर्मचारियों से लेकर कचरा प्रबंधन करने वाले और वायु गुणवत्ता प्रारूप बनाने वाले तथा पूर्वानुमान करने वाले विशेषज्ञ तक शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि देश में वायु प्रदूषण के प्रबंधन के लिए कुल 22 लाख नौकरियों की जरूरत है और इनमें से लगभग 16 लाख पहले ही निकल चुकी हैं.

वायू गुणवत्ता पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी बोले
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Union Environment Minister Bhupendra Yadav) ने भी बुधवार को कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन में नवाचार को एक आंदोलन बनाया जरूरी है. 'नीले आकाश के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस' पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि उनका मंत्रालय संबंधित प्रयासों पर अमल करने और जनता के बीच जागरुकता पैदा करने पर समान रूप से ध्यान केंद्रित कर रहा है. उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारक अलग-अलग हैं और अधिकारी समस्या का किफायती समाधान अपना रहे हैं.

पढ़ें: केंद्रीय कैबिनेट का बड़ा फैसला : रेलवे की लैंड लीज पॉलिसी को मंजूरी

भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार ने 'एयरशेड' स्तर पर वायु प्रदूषण से निपटने के महत्व को रेखांकित करते हुए सीमा से परे अधिकार क्षेत्र वाले ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ के गठन का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि यह प्रयोग बेहद सफल रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2019 में 7 सितंबर को 'नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस' (international day of clean air for blue skies) के रूप में नामित किया था. तीसरे 'नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस' का विषय 'एयर वी शेयर' है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारत में वायु गुणवत्ता प्रबंधन (Air Quality Management) के लिए अगले पांच साल के दौरान कम से कम 10 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत होगी. एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है, जिसमें यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में रोजगार के 50 हजार नए अवसर पैदा किये जा सकते हैं. विश्व बैंक (World Bank) की सहायता से पर्यावरण, निरंतरता और प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय मंच (आई-फॉरेस्ट) ने यह रिपोर्ट तैयार की है.

इसमें कहा गया है कि सभी हितधारकों- शहरों, राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों, निजी क्षेत्र, एनजीओ और मीडिया की क्षमता विकसित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम बनाने की जरूरत है, ताकि वायु प्रदूषण (Air Pollution) की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके. आईफॉरेस्ट के सीईओ और रिपोर्ट्स के लेखकों में से एक चंद्र भूषण ने कहा कि 'हमारी रिपोर्ट में दिखाया गया है कि हमें वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अगले पांच सालों के दौरान कम से कम दस लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत होगी.'

आगे उन्होंने कहा कि इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में हजारों नए रोजगार के अवसर पैदा हो सकेंगे, जिससे वायु प्रदूषण कारक तत्वों के नियंत्रण की योजना, निगरानी और उन्हें कम करने में मदद मिलेगी।' उन्होंने कहा कि देश के पर्यावरण क्षेत्र पर इस तरह की यह पहली रिपोर्ट है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देशभर में कम से कम 2.8 लाख ऐसे संगठन और उद्योग हैं, जिन्हें वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए कर्मियों की जरूरत है.

इस रिपोर्ट में ऐसी 42 तरह की नौकरियों की पहचान की गई है, जो देश में वायु गुणवत्ता पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी हैं. इनमें धूल को नियंत्रित करने वाले नगर निकाय कर्मचारियों से लेकर कचरा प्रबंधन करने वाले और वायु गुणवत्ता प्रारूप बनाने वाले तथा पूर्वानुमान करने वाले विशेषज्ञ तक शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि देश में वायु प्रदूषण के प्रबंधन के लिए कुल 22 लाख नौकरियों की जरूरत है और इनमें से लगभग 16 लाख पहले ही निकल चुकी हैं.

वायू गुणवत्ता पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी बोले
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Union Environment Minister Bhupendra Yadav) ने भी बुधवार को कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन में नवाचार को एक आंदोलन बनाया जरूरी है. 'नीले आकाश के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस' पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि उनका मंत्रालय संबंधित प्रयासों पर अमल करने और जनता के बीच जागरुकता पैदा करने पर समान रूप से ध्यान केंद्रित कर रहा है. उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारक अलग-अलग हैं और अधिकारी समस्या का किफायती समाधान अपना रहे हैं.

पढ़ें: केंद्रीय कैबिनेट का बड़ा फैसला : रेलवे की लैंड लीज पॉलिसी को मंजूरी

भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार ने 'एयरशेड' स्तर पर वायु प्रदूषण से निपटने के महत्व को रेखांकित करते हुए सीमा से परे अधिकार क्षेत्र वाले ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ के गठन का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि यह प्रयोग बेहद सफल रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2019 में 7 सितंबर को 'नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस' (international day of clean air for blue skies) के रूप में नामित किया था. तीसरे 'नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस' का विषय 'एयर वी शेयर' है.

(पीटीआई-भाषा)

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