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Trivendra Interview: मेरे राज में नहीं हुआ कोई भर्ती घोटाला, धामी मेरे छोटे भाई नहीं सबके सीएम हैं

पिछले दिनों उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बेरोजगार युवाओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी पार्टी की सरकार में लाठीचार्ज की आलोचना की थी. ऐसे में चर्चा होने लगी थी कि त्रिवेंद्र और धामी में कहीं छत्तीस का आंकड़ा तो नहीं है. ईटीवी भारत ने सीधे त्रिवेंद्र रावत से बातचीत की. त्रिवेंद्र ने भर्ती घोटालों, लोकसभा चुनाव लड़ने से लेकर समेत तमाम मुद्दों पर साफगोई से बात की.

Trivendra Interview
त्रिवेंद्र सिंह रावत इंटरव्यू
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Published : Feb 27, 2023, 1:37 PM IST

Updated : Feb 27, 2023, 1:56 PM IST

उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

उत्तराखंड: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इन दिनों अपने बयानों को लेकर बेहद चर्चा में हैं. लाठीचार्ज से लेकर सरकार के कई फैसलों पर उन्होंने इस तरह के जवाब दिए हैं जो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए एक पहेली से हैं. इन्हीं तमाम मुद्दों पर बातचीत करने के लिए ईटीवी भारत त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास पहुंचा. सरकार के कामकाज हों या युवाओं पर लाठीचार्ज का मामला, देवस्थानम बोर्ड हो या फिर अन्य राज्य के मुद्दे उन सभी मुद्दों पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुलकर बातचीत की. पेश है त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू.

धामी कर रहे हैं अच्छा काम: पुष्कर सिंह धामी सरकार अपना 1 साल पूरा करने जा रही है. ऐसे में धामी सरकार ने 1 साल में कैसा काम किया है, इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि किसी भी सरकार के लिए 1 साल बहुत कम होता है. 1 साल में किसी के कामों का आकलन करना यह कहीं से भी सही नहीं है. 1 साल के बाद जो आने वाला साल होगा, उसमें यह पता लगेगा सरकार कैसा काम कर रही है. हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुष्कर सिंह धामी के निर्णय और सरकार चलाने के चरण को संतोषजनक बताया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पुष्कर सिंह धामी सरकार अच्छी दिशा में प्रदेश को ले जा रही है. जिस तरह से नकल विरोधी कानून लाया गया है वह एक अच्छा कदम है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि युवाओं में आक्रोश था और सरकार से युवा उम्मीद लगाए हुए थे कि बार-बार ऐसा क्यों हो रहा है. इसको लेकर सरकार कोई ठोस निर्णय ले. लिहाजा बीजेपी सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाकर युवाओं में पैदा हो रहे असंतोष को खत्म करने का काम किया है.

मेरे सीएम रहते कोई भर्ती घोटाला नहीं हुआ: त्रिवेंद्र सिंह रावत से जब यह पूछा गया कि पुष्कर सिंह धामी लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वो जब से सत्ता में बैठे हैं, तब से पूर्व में हुए तमाम मामलों का पटाक्षेप करके आरोपियों को जेल भेज रहे हैं. यह सभी मामले पूर्व की सरकार के समयों के हैं. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि हर व्यक्ति अतीत से सीखता है. साल 2002 से लेकर साल 2012 हो या उसके बाद की अन्य सरकारें, बीते 22 सालों में राज्य की जनता ने 13 साल भारतीय जनता पार्टी को दिये हैं. ऐसे में किसके ऊपर इन सभी मामलों का ठीकरा फोड़ा जाए यह कहना मुश्किल है. राज्य में भ्रष्टाचार हो या अन्य मुद्दे तमाम मामलों में आप किसी एक पर सवाल नहीं खड़े कर सकते हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने 68 भर्तियां करवाईं. लेकिन उनके कार्यकाल में कोई भी ऐसा मामला या सूचना नहीं आई और सभी भर्तियां सही तरीके से सही पैमानों के साथ की गईं.

लाठीचार्ज वाले बयान का मैंने खंडन नहीं किया: त्रिवेंद्र सिंह रावत इन दिनों सबसे अधिक अगर किसी बयान को लेकर चर्चा में हैं तो वह लाठीचार्ज का मामला है. इस मुद्दे पर जब ईटीवी भारत ने उनसे सवाल किया तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मौजूदा समय में युवाओं को भरोसा और विश्वास दिलाने की जरूरत है. जो लोग मेरे इस बयान पर सवाल खड़े कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि मेरे कार्यकाल में भी लाठीचार्ज हुआ है तो मैं उन लोगों को यह कहना चाहूंगा कि दो घटनाओं को आप एक साथ नहीं जोड़ सकते हैं.

हमें हालातों को देखना होगा. उस वक्त क्या हालात थे और इस वक्त क्या हालात हैं ये सोचना होगा. अगर ऐसे ही लोग सवाल खड़े करते रहे तो फिर किसी भी मुद्दे पर बोलना वाजिब नहीं रहेगा. लाठीचार्ज पर दिए गए बयान को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि मैंने कभी भी इस मुद्दे पर जो बयान दिया है उसका खंडन नहीं किया है. यानी त्रिवेंद्र सिंह रावत आज भी अपने उस बयान पर कायम हैं.

मुझे अल्मोड़ा से भी कहेंगे तो चुनाव लडूंगा: लोकसभा चुनावों को लेकर बातचीत करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह अपना काम कर रहे हैं. उन्हें घूमना अच्छा लगता है. कार्यकर्ताओं के साथ समय बिताना अच्छा लगता है. इसलिए वह गढ़वाल और कुमाऊं में लगातार भ्रमण कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जवाब दिया कि पार्टी जहां से भी उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहेगी वह तैयार हैं. फिर चाहे वह अल्मोड़ा क्यों ना हो.

आपको बता दें त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम लगातार पौड़ी गढ़वाल सीट से लोकसभा चुनाव के लिए चर्चाओं में है. ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सक्रियता भी कई सवाल खड़े कर रही है. 1 साल से भी अधिक समय से सीएम पद छोड़ने के बाद भी कोई पद ना मिलने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि राजनीति में उन्हें 44 साल हो गए हैं. इन 44 सालों में 22 साल तक वह कार्यकर्ता के रूप में रहे हैं. कार्यकर्ताओं के लिए काम किया है. बाकी के साल वह अन्य पदों पर रहे हैं. फिर वह चाहे विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री हो या संगठन के दायित्व में भागीदारी हो. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पद का कोई मोह नहीं है. पार्टी जैसा कहेगी, जहां खड़े होने के लिए कहेगी, वह खड़े हो जाएंगे.

बार बार सीएम हटने से राज्य का नुकसान होता है: खुद को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने को लेकर सवाल के जवाब पर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उत्तराखंड के लिए ये सही नहीं है. बार-बार सत्ता परिवर्तन होना मुख्यमंत्रियों का हटना राज्य के विकास में बाधा डालता है. उत्तराखंड को एक स्थिरता की जरूरत है. कुछ लोग अपने फायदे के लिए उत्तराखंड और उत्तराखंड की राजनीति का इस्तेमाल करते हैं जो बिल्कुल भी सही नहीं है. हो सकता है कि अन्य सरकारों में विधायक मंत्री, मुख्यमंत्री के ऊपर किसी तरह का दबाव या प्रेशर डालते हों. लेकिन उनके कार्यकाल में ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. उन्होंने जो सही हुआ वह निर्णय लिया. मंत्रियों और विधायकों को बताकर सभी निर्णय लिए गए. कोई भी कार्यकर्ता या मंत्री उनके मुख्यमंत्री रहते हुए नाराज नहीं था.

दुख होता है जब पुराने फैसले बदले जाते हैं: गैरसैंण के मुद्दे पर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उनकी सरकार में पूरी योजना तैयार हुई थी. उन्होंने 25,000 करोड़ रुपए की बाकायदा घोषणा भी की थी. जिसमें गैरसैंण में पानी की व्यवस्था से लेकर स्कूल, अस्पताल, हेलीपैड और अन्य तमाम सुविधाएं जो एक विकसित शहर में होती हैं शामिल थीं उपलब्ध होनी थी. लेकिन कुछ पर काम शुरू हुआ और खत्म होने को है लेकिन अभी भी बहुत से काम बाकी हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि दिल से बुरा लगता है जब नया मुख्यमंत्री या कोई भी नई सत्ता आने पर पूर्व के मुख्यमंत्रियों के फैसले बदले जाते हैं. हालांकि यह दर्द व्यक्तिगत हो सकता है और सभी मुख्यमंत्री जनता के हित के लिए फैसले लेते हैं.

अगर कुछ फैसले बदले गए हैं तो इस मुद्दे को वह जनता के ऊपर छोड़ते हैं. देवस्थानम बोर्ड को लेकर भी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड उनकी सरकार ने चारधाम के साथ-साथ चारधाम से जुड़े सैकड़ों मंदिरों के लिए बनाया था. देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से जो लोग विदेशों में बैठकर धार्मिक स्थलों के लिए पैसा देना चाहते हैं, वह आसानी से दे सकते थे. उन पैसों से मंदिरों का कायाकल्प होता. इतना ही नहीं पुजारियों को भी इसका फायदा मिलता. लेकिन अब ऐसा नहीं हुआ तो क्या किया जा सकता है. उम्मीद है सरकार बेहतर तरीके से चारधाम यात्रा को इस बार भी चलाएगी.
ये भी पढ़ें: Uttarakhand Politics: CM धामी पर गैरों से ज्यादा 'अपनों' का सितम! त्रिवेंद्र के बयानों से बैकफुट पर सरकार

धामी मेरे छोटे भाई नहीं वो सीएम हैं: आखिरी में जाते जाते मौजूदा सरकार को संदेश देने के सवाल पर जब उनसे पूछा गया कि आप अपने छोटे भाई और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को क्या कहना चाहेंगे. इस पर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि पुष्कर सिंह धामी उनके छोटे भाई नहीं हैं. वह सूबे के मुख्यमंत्री हैं. वह उनसे बस इतना ही कहना चाहेंगे कि राज्य में जनता की सेवा करें और सभी को साथ लेकर विश्वास में लेकर आगे बढ़ते रहें.

उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

उत्तराखंड: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इन दिनों अपने बयानों को लेकर बेहद चर्चा में हैं. लाठीचार्ज से लेकर सरकार के कई फैसलों पर उन्होंने इस तरह के जवाब दिए हैं जो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए एक पहेली से हैं. इन्हीं तमाम मुद्दों पर बातचीत करने के लिए ईटीवी भारत त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास पहुंचा. सरकार के कामकाज हों या युवाओं पर लाठीचार्ज का मामला, देवस्थानम बोर्ड हो या फिर अन्य राज्य के मुद्दे उन सभी मुद्दों पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुलकर बातचीत की. पेश है त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू.

धामी कर रहे हैं अच्छा काम: पुष्कर सिंह धामी सरकार अपना 1 साल पूरा करने जा रही है. ऐसे में धामी सरकार ने 1 साल में कैसा काम किया है, इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि किसी भी सरकार के लिए 1 साल बहुत कम होता है. 1 साल में किसी के कामों का आकलन करना यह कहीं से भी सही नहीं है. 1 साल के बाद जो आने वाला साल होगा, उसमें यह पता लगेगा सरकार कैसा काम कर रही है. हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुष्कर सिंह धामी के निर्णय और सरकार चलाने के चरण को संतोषजनक बताया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पुष्कर सिंह धामी सरकार अच्छी दिशा में प्रदेश को ले जा रही है. जिस तरह से नकल विरोधी कानून लाया गया है वह एक अच्छा कदम है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि युवाओं में आक्रोश था और सरकार से युवा उम्मीद लगाए हुए थे कि बार-बार ऐसा क्यों हो रहा है. इसको लेकर सरकार कोई ठोस निर्णय ले. लिहाजा बीजेपी सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाकर युवाओं में पैदा हो रहे असंतोष को खत्म करने का काम किया है.

मेरे सीएम रहते कोई भर्ती घोटाला नहीं हुआ: त्रिवेंद्र सिंह रावत से जब यह पूछा गया कि पुष्कर सिंह धामी लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वो जब से सत्ता में बैठे हैं, तब से पूर्व में हुए तमाम मामलों का पटाक्षेप करके आरोपियों को जेल भेज रहे हैं. यह सभी मामले पूर्व की सरकार के समयों के हैं. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि हर व्यक्ति अतीत से सीखता है. साल 2002 से लेकर साल 2012 हो या उसके बाद की अन्य सरकारें, बीते 22 सालों में राज्य की जनता ने 13 साल भारतीय जनता पार्टी को दिये हैं. ऐसे में किसके ऊपर इन सभी मामलों का ठीकरा फोड़ा जाए यह कहना मुश्किल है. राज्य में भ्रष्टाचार हो या अन्य मुद्दे तमाम मामलों में आप किसी एक पर सवाल नहीं खड़े कर सकते हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने 68 भर्तियां करवाईं. लेकिन उनके कार्यकाल में कोई भी ऐसा मामला या सूचना नहीं आई और सभी भर्तियां सही तरीके से सही पैमानों के साथ की गईं.

लाठीचार्ज वाले बयान का मैंने खंडन नहीं किया: त्रिवेंद्र सिंह रावत इन दिनों सबसे अधिक अगर किसी बयान को लेकर चर्चा में हैं तो वह लाठीचार्ज का मामला है. इस मुद्दे पर जब ईटीवी भारत ने उनसे सवाल किया तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मौजूदा समय में युवाओं को भरोसा और विश्वास दिलाने की जरूरत है. जो लोग मेरे इस बयान पर सवाल खड़े कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि मेरे कार्यकाल में भी लाठीचार्ज हुआ है तो मैं उन लोगों को यह कहना चाहूंगा कि दो घटनाओं को आप एक साथ नहीं जोड़ सकते हैं.

हमें हालातों को देखना होगा. उस वक्त क्या हालात थे और इस वक्त क्या हालात हैं ये सोचना होगा. अगर ऐसे ही लोग सवाल खड़े करते रहे तो फिर किसी भी मुद्दे पर बोलना वाजिब नहीं रहेगा. लाठीचार्ज पर दिए गए बयान को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि मैंने कभी भी इस मुद्दे पर जो बयान दिया है उसका खंडन नहीं किया है. यानी त्रिवेंद्र सिंह रावत आज भी अपने उस बयान पर कायम हैं.

मुझे अल्मोड़ा से भी कहेंगे तो चुनाव लडूंगा: लोकसभा चुनावों को लेकर बातचीत करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह अपना काम कर रहे हैं. उन्हें घूमना अच्छा लगता है. कार्यकर्ताओं के साथ समय बिताना अच्छा लगता है. इसलिए वह गढ़वाल और कुमाऊं में लगातार भ्रमण कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जवाब दिया कि पार्टी जहां से भी उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहेगी वह तैयार हैं. फिर चाहे वह अल्मोड़ा क्यों ना हो.

आपको बता दें त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम लगातार पौड़ी गढ़वाल सीट से लोकसभा चुनाव के लिए चर्चाओं में है. ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सक्रियता भी कई सवाल खड़े कर रही है. 1 साल से भी अधिक समय से सीएम पद छोड़ने के बाद भी कोई पद ना मिलने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि राजनीति में उन्हें 44 साल हो गए हैं. इन 44 सालों में 22 साल तक वह कार्यकर्ता के रूप में रहे हैं. कार्यकर्ताओं के लिए काम किया है. बाकी के साल वह अन्य पदों पर रहे हैं. फिर वह चाहे विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री हो या संगठन के दायित्व में भागीदारी हो. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पद का कोई मोह नहीं है. पार्टी जैसा कहेगी, जहां खड़े होने के लिए कहेगी, वह खड़े हो जाएंगे.

बार बार सीएम हटने से राज्य का नुकसान होता है: खुद को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने को लेकर सवाल के जवाब पर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उत्तराखंड के लिए ये सही नहीं है. बार-बार सत्ता परिवर्तन होना मुख्यमंत्रियों का हटना राज्य के विकास में बाधा डालता है. उत्तराखंड को एक स्थिरता की जरूरत है. कुछ लोग अपने फायदे के लिए उत्तराखंड और उत्तराखंड की राजनीति का इस्तेमाल करते हैं जो बिल्कुल भी सही नहीं है. हो सकता है कि अन्य सरकारों में विधायक मंत्री, मुख्यमंत्री के ऊपर किसी तरह का दबाव या प्रेशर डालते हों. लेकिन उनके कार्यकाल में ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. उन्होंने जो सही हुआ वह निर्णय लिया. मंत्रियों और विधायकों को बताकर सभी निर्णय लिए गए. कोई भी कार्यकर्ता या मंत्री उनके मुख्यमंत्री रहते हुए नाराज नहीं था.

दुख होता है जब पुराने फैसले बदले जाते हैं: गैरसैंण के मुद्दे पर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उनकी सरकार में पूरी योजना तैयार हुई थी. उन्होंने 25,000 करोड़ रुपए की बाकायदा घोषणा भी की थी. जिसमें गैरसैंण में पानी की व्यवस्था से लेकर स्कूल, अस्पताल, हेलीपैड और अन्य तमाम सुविधाएं जो एक विकसित शहर में होती हैं शामिल थीं उपलब्ध होनी थी. लेकिन कुछ पर काम शुरू हुआ और खत्म होने को है लेकिन अभी भी बहुत से काम बाकी हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि दिल से बुरा लगता है जब नया मुख्यमंत्री या कोई भी नई सत्ता आने पर पूर्व के मुख्यमंत्रियों के फैसले बदले जाते हैं. हालांकि यह दर्द व्यक्तिगत हो सकता है और सभी मुख्यमंत्री जनता के हित के लिए फैसले लेते हैं.

अगर कुछ फैसले बदले गए हैं तो इस मुद्दे को वह जनता के ऊपर छोड़ते हैं. देवस्थानम बोर्ड को लेकर भी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड उनकी सरकार ने चारधाम के साथ-साथ चारधाम से जुड़े सैकड़ों मंदिरों के लिए बनाया था. देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से जो लोग विदेशों में बैठकर धार्मिक स्थलों के लिए पैसा देना चाहते हैं, वह आसानी से दे सकते थे. उन पैसों से मंदिरों का कायाकल्प होता. इतना ही नहीं पुजारियों को भी इसका फायदा मिलता. लेकिन अब ऐसा नहीं हुआ तो क्या किया जा सकता है. उम्मीद है सरकार बेहतर तरीके से चारधाम यात्रा को इस बार भी चलाएगी.
ये भी पढ़ें: Uttarakhand Politics: CM धामी पर गैरों से ज्यादा 'अपनों' का सितम! त्रिवेंद्र के बयानों से बैकफुट पर सरकार

धामी मेरे छोटे भाई नहीं वो सीएम हैं: आखिरी में जाते जाते मौजूदा सरकार को संदेश देने के सवाल पर जब उनसे पूछा गया कि आप अपने छोटे भाई और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को क्या कहना चाहेंगे. इस पर त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि पुष्कर सिंह धामी उनके छोटे भाई नहीं हैं. वह सूबे के मुख्यमंत्री हैं. वह उनसे बस इतना ही कहना चाहेंगे कि राज्य में जनता की सेवा करें और सभी को साथ लेकर विश्वास में लेकर आगे बढ़ते रहें.

Last Updated : Feb 27, 2023, 1:56 PM IST
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