देहरादून (उत्तराखंड): देवभूमि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) के ड्राफ्ट पर तेजी से काम किया जा रहा है. इसके लिए गठित विशेषज्ञ समिति यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट को फाइनल रूप देने में जुटी है. खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी 30 जून तक ड्राफ्ट तैयार करने की बात कह चुके हैं. इसी कड़ी में बीते दिनों यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए गठित समिति ने राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे. इसके बाद से ही उत्तराखंड राज्य में ना सिर्फ राजनीतिक पार्टियां बल्कि अन्य संगठन भी यूसीसी के विरोध में उतर गए हैं. इसके पीछे की क्या वजह है आइये आपको बताते हैं.
उत्तराखंड की धामी सरकार ने साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी. यही नहीं, सीएम धामी ने 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद हुई कैबिनेट की बैठक में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए समिति के गठन का निर्णय लिया. जिसके बाद 27 मई को सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया. इस कमेटी का काम यूसीसी के लिए राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मसौदा तैयार करना था. जिसके बाद से ही कमेटी दिन रात इसके काम में जुटी हुई है.
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यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए गठित कमेटी को एक साल का वक्त पूरा हो गया है. 27 मई 2022 को मसौदा तैयार करने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. पिछले एक साल में कमेटी ने यूसीसी का करीब 90 फीसदी मसौदा तैयार कर लिया है. यानी कह सकते हैं कि मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. उम्मीद की जा रही है कि 30 जून तक कमेटी यूसीसी का मसौदा तैयार कर शासन को सौंप देगी. इसके बाद यूसीसी को राज्य में लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
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उत्तराखंड में जैसे-जैसे यूसीसी का मसौदा तैयार होने का और प्रदेश में लागू करने के दिन नजदीक आ रहे हैं, उसी अनुसार प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों का विरोध भी तेज होता जा रहा है. एक ओर विपक्षी दल कांग्रेस समेत आम आदमी पार्टी और अन्य छोटी छोटी पार्टियां यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का विरोध कर रही हैं, तो वहीं प्रदेश में विशेष समुदाय के लोग भी खुलकर यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करते नजर आ रहे हैं. इसके बाद भी भाजपा सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड में यूसीसी को लागू किया जाएगा. जिसके लिए मसौदा तैयार किया जा रहा है. उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य होगा जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया जाएगा.
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यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने ढाई लाख से अधिक लोगों से सुझाव लिए हैं. इनमें मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य के निवासियों सहित विभिन्न संस्थाओं और संगठनों से सुझाव लेकर विचार-विमर्श किया गया. इसके साथ ही सरकारी, गैर सरकारी, संस्थाओं और हितधारकों से भी यूसीसी ने सुझाव मांगे. इन सब से सुझाव लेकर विचार-विमर्श का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. इसके बाद प्रदेश के राजनीतिक दलों से भी कमेटी ने सुझाव मांगे. उम्मीद की जा रही है जल्द ही इस सुझाव पर विचार विमर्श कर मसौदे का काम पूरी कर लिया जाएगा.
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यूनिफॉर्म सिविल कोड मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा यह उनकी सरकार का संकल्प है. जिसके कारण सरकार के गठन के बाद ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए कमेटी गठित की गई. पिछले एक साल के भीतर कमेटी ने यूसीसी के लिए लगभग मसौदा तैयार कर लिया है. उम्मीद है कि यह कमेटी 30 जून तक ड्राफ्ट को तैयार कर शासन को सौंप देगी. जिसके बाद इसे उत्तराखंड राज्य में लागू कर दिया जाएगा. साथ ही सीएम ने कहा उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य होगा जहां यूसीसी लागू किया जाएगा. लिहाजा यह अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगा.
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प्रदेश के विशेष समुदाय के 'उत्तराखंड नुमाइंदा ग्रुप' के सदस्यों ने समान नागरिक संहिता को लेकर सवाल खड़े किए हैं. दरअसल, इस ग्रुप के लोगों का कहना है कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में यूसीसी का कोई औचित्य नहीं है. वहीं, इस ग्रुप की सदस्य रजिया बेग ने कहा प्रदेश में पिछले एक साल के भीतर यूसीसी को लेकर उठापटक चल रही है. यूसीसी एक बेहद जटिल विषय है. यही वजह है कि आजादी के बाद से अभी तक इसे किसी भी प्रदेश में लागू नहीं किया गया. उत्तराखंड की अपनी तमाम समस्याएं हैं जिनको सुलझाने की जगह सरकार यूसीसी पर ध्यान दे रही है.
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वहीं, यूसीसी के सवाल पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने भाजपा पर तंज कसा. उन्होंने कहा भाजपा दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज है. ऐसे में वो जो चाहे वो करे. यूसीसी केंद्र का विषय है, राज्य का नहीं. लिहाजा इसमें राज्य को ज्यादा जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए.
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साथ ही राज्य में तमाम तरह के लोग रहते हैं. जिसमें जाति, धर्म, समुदाय शामिल हैं. ऐसे में एक बड़ा सवाल यही है कि क्या सरकार ने यूसीसी के लिए सभी वर्ग के लोगों से बातचीत कर ली है? अगर सरकार जबरदस्ती यूसीसी लाना चाहती है तो ले आए, लेकिन जिस तरह सरकार को देवस्थानम बोर्ड वापस लेना पड़ा, ऐसी स्थिति यूसीसी आने के बाद भी बन सकती है.