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Cordelia Cruz Drug Case: समीर वानखेड़े को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत, CBI को 22 मई तक गिरफ्तारी न करने के निर्देश

एनसीबी के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीआई को 22 मई तक उनकी गिरफ्तारी नहीं करने के निर्देश दिए हैं. वानखेड़े ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

Sameer Wankhede and Bombay High Court
समीर वानखेड़े व बॉम्बे हाईकोर्ट
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Published : May 19, 2023, 7:09 PM IST

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई को एनसीबी के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ गिरफ्तारी जैसी कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया, जिन पर अपने बेटे आर्यन को कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग भंडाफोड़ मामले में नहीं फंसाने के लिए सुपरस्टार शाहरुख खान से 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है. भारतीय राजस्व सेवा के एक अधिकारी वानखेड़े ने उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने की मांग वाली एक याचिका के साथ अदालत का रुख किया है.

अदालत की एक अवकाशकालीन पीठ ने वानखेड़े के हलफनामे को दर्ज करने के बाद यह आदेश पारित किया कि वह 20 मई को सुबह 11 बजे यहां बीकेसी इलाके में सीबीआई के कार्यालय में मौजूद रहेंगे. इस सुनवाई में कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि सीबीआई 22 मई 2023 तक समीर वानखेड़े को जबरन गिरफ्तार न करे और समीर वानखेड़े भी पूछताछ और जांच में सहयोग करें.

  • Mumbai | Sameer Wankhede gets relief in the corruption case; next hearing in the case against Former Zonal Director, NCB Mumbai, Sameer Wankhede will be on May 22 in Bombay High Court.

    — ANI (@ANI) May 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस शर्मिला देशमुख और जस्टिस आसिफ की बेंच के सामने अपना पक्ष रखते हुए सीबीआई के वकीलों ने जोरदार बहस की.भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत सरकार ने प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दी है. सीबीआई ने कहा कि उसके बाद ही प्राथमिकी दर्ज की गई और प्रक्रिया में समय लगता है. समीर वानखेड़े की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रिजवान मर्चेंट पेश हुए.

पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट से राहत के बाद सीबीआई की पूछताछ से बचे समीर वानखेड़े

उन्होंने कहा कि समीर वानखेड़े पर लगे आरोप झूठे हैं. जिस कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उसके संबंध में सीबीआई द्वारा लिए गए निर्णय में चार महीने की देरी हुई है. नियमानुसार चार माह में विभागीय जांच पूरी की जानी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसलिए हमें उनकी समग्र कार्रवाई पर संदेह था, इसलिए हम सुरक्षा मांगने के लिए अदालत आए.

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई को एनसीबी के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ गिरफ्तारी जैसी कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया, जिन पर अपने बेटे आर्यन को कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग भंडाफोड़ मामले में नहीं फंसाने के लिए सुपरस्टार शाहरुख खान से 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है. भारतीय राजस्व सेवा के एक अधिकारी वानखेड़े ने उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने की मांग वाली एक याचिका के साथ अदालत का रुख किया है.

अदालत की एक अवकाशकालीन पीठ ने वानखेड़े के हलफनामे को दर्ज करने के बाद यह आदेश पारित किया कि वह 20 मई को सुबह 11 बजे यहां बीकेसी इलाके में सीबीआई के कार्यालय में मौजूद रहेंगे. इस सुनवाई में कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि सीबीआई 22 मई 2023 तक समीर वानखेड़े को जबरन गिरफ्तार न करे और समीर वानखेड़े भी पूछताछ और जांच में सहयोग करें.

  • Mumbai | Sameer Wankhede gets relief in the corruption case; next hearing in the case against Former Zonal Director, NCB Mumbai, Sameer Wankhede will be on May 22 in Bombay High Court.

    — ANI (@ANI) May 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस शर्मिला देशमुख और जस्टिस आसिफ की बेंच के सामने अपना पक्ष रखते हुए सीबीआई के वकीलों ने जोरदार बहस की.भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत सरकार ने प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दी है. सीबीआई ने कहा कि उसके बाद ही प्राथमिकी दर्ज की गई और प्रक्रिया में समय लगता है. समीर वानखेड़े की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रिजवान मर्चेंट पेश हुए.

पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट से राहत के बाद सीबीआई की पूछताछ से बचे समीर वानखेड़े

उन्होंने कहा कि समीर वानखेड़े पर लगे आरोप झूठे हैं. जिस कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उसके संबंध में सीबीआई द्वारा लिए गए निर्णय में चार महीने की देरी हुई है. नियमानुसार चार माह में विभागीय जांच पूरी की जानी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसलिए हमें उनकी समग्र कार्रवाई पर संदेह था, इसलिए हम सुरक्षा मांगने के लिए अदालत आए.

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