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आपदा में उत्तराखंड की सड़कों और पुलों पर खतरा, विपक्ष कर रहा सीएम धामी की तारीफ, मंत्रियों पर हमला

उत्तराखंड में मौसम का मिजाज लल्ख है. प्रदेश में बारिश जमकर कहर बरपा रही है. वहीं आपदा की इस घड़ी में सीएम पुष्कर सिंह धामी लगातार धरातल पर नजर बनाए हुए हैं. जिसको लेकर विपक्षी पार्टी भी उनकी जमकर तारीफ कर रही है. वहीं आपदा के दौरान नदारद मंत्री कांग्रेस के निशाने पर हैं.

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Published : Jul 18, 2023, 2:32 PM IST

Updated : Jul 18, 2023, 7:44 PM IST

आपदा में उत्तराखंड की सड़कों और पुलों पर खतरा

देहरादून (उत्तराखंड) : उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से लगातार भारी बारिश का सिलसिला जारी है. भारी बारिश के चलते प्रदेश के कई क्षेत्रों में आपदा जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. हालांकि, इस आपदा की घड़ी में सीएम पुष्कर सिंह धामी लगातार धरातल पर नजर बनाए हुए हैं. सीएम के धरातल पर उतरकर काम करने से विपक्ष भी उनकी तारीफ करता नजर आ रहा है. लेकिन मंत्रियों के नदारद के चलते विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है.

विपक्ष कर रहा सीएम की तारीफ: प्रदेश में भारी बारिश के कारण जनजीवन पटरी से उतर गया है. विपक्षी पार्टियों को एक बार फिर सरकार पर जुबानी हमला करने का मौका मिल गया है. लेकिन इस बीच सभी लोग सीएम धामी की तारीफ करते हुए भी नजर आ रहे हैं जिन्होंने आपदा की इस घड़ी में स्वयं मोर्चा संभाला हुआ है. हालांकि, प्रदेश में भारी बारिश के कारण सबसे ज्यादा नुकसान सड़कों और पुलों को हुआ है, जिससे धामी सरकार चिंतित नजर आ रही है.

Uttarakhand
उत्तराखंड में भारी बारिश

भारी बारिश से पुलों को खतरा: सरकार की ओर से एक बार फिर पुलों के सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें एक महीने के भीतर लोक निर्माण विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. प्रदेश में भारी बारिश के कारण वर्तमान में 322 सड़कें बंद हैं, जिसमें पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से लगाई गई 187 जेसीबी मशीनें भी कम पड़ती हुई दिखाई दे रही हैं. वहीं अब तक इस मानसून सीजन में करीब दो हजार सड़कें बंद हो चुकी है. जिसमें करीब 1600 सड़कों को खोला जा चुका है. इसके साथ ही मानसून सीजन में 18 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं.
पढ़ें-कहर बरपा रही बारिश, मलबा और बोल्डर गिरने से कालसी चकराता मोटर मार्ग बाधित, टिहरी में जनजीवन अस्त-व्यस्त

प्रदेश में इतने पुल जर्जर: पीडब्ल्यूडी के अनुसार प्रदेश में 436 पुराने पुल चिन्हित किए गए हैं. इनमें से अधिकांश पुल पर्वतीय क्षेत्रों में हैं. इन जर्जर पुलों में सबसे अधिक 207 पुल स्टेट हाईवे पर हैं. इसके साथ ही मुख्य जिला मार्ग पर 65, अन्य जिला मार्ग पर 60 और ग्रामीण मार्ग पर 104 पुल जर्जर हालत में हैं. प्रदेश में कुल पुलों की संख्या करीब 3500 है.

Uttarakhand
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और धन सिंह रावत

विपक्ष के निशाने पर नदारद मंत्री: सरकार की तरफ से अब तक जो भी काम इस आपदा सीजन में किए गए हैं, उन सब कामों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफ सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के नेता भी कर रहे हैं. क्योंकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद बारीकी से आपदा की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं. सबसे ज्यादा निशाने पर सूबे के लोक निर्माण विभाग और बाढ़ नियंत्रण मंत्री सतपाल महाराज हैं, जो अभी तक इस आपदा की घड़ी में प्रदेश से ही नदारद हैं. सरकार के मंत्रियों के असंवेदनशील रवैया को लेकर विपक्षी दल आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं.
पढ़ें-अब तक 38 लोग गंवा चुके जान, 21 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट

प्रभारी मंत्री जिलों के लिए रवाना: जिसको देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद मंत्रियों को अपने अपने प्रभारी जिलों में जाने के निर्देश दिए. जिसके बाद कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और धन सिंह रावत समेत कुछ अन्य मंत्री अपने प्रभारी जिलों के लिए रवाना हो गए हैं. लेकिन अभी कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का अता पता नहीं है. जिसके चलते विपक्षी दल अब सरकार से मांग कर रहा है कि ऐसे मंत्रियों को हटाया जाए. जो जनता के प्रति संवेदनशील नहीं है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की मानें तो बेलगाम अफसरशाही की पोल खुद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी खोल चुकी हैं.

Uttarakhand
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज

क्या कह रही बीजेपी: विपक्षी पार्टियों के आक्रामक रूप पर सत्ता पक्ष की तरफ से भी पलटवार किया जा रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के मानें तो बीजेपी का हर कार्यकर्ता इस समय आपदा प्रभावित जनता के साथ खड़ा है. जनता की जो समस्याएं हैं उनका निदान करने का काम वह कर रहे हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी पार्टी राजनीति करने का काम कर रही है, जबकि बीजेपी शुरुआती से ही पहाड़ हो या मैदान हो सभी जगह अपने कार्यकर्ताओं और जन प्रतिनिधियों के माध्यम से जनता के दुख दूर करने में जुटी हुई है.

आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्य: उत्तराखंड हमेशा ही आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्यों में गिना जाता रहा है. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उत्तराखंड राज्य की सबसे बड़ी कमजोरी आपदा प्रबंधन क्षेत्र में समय रहते हुए तैयारियां ना करना उजागर हुई है. जिसका खामियाजा इस मानसून सीजन में प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है. लेकिन सीएम धामी के निर्देश के बाद जहां एक ओर आपदा विभाग अलर्ट मोड पर है तो वहीं, दूसरी ओर भाजपा संगठन स्तर पर भी कार्यकर्ता धरातल पर उतरते नजर आ रहे हैं.

आपदा में उत्तराखंड की सड़कों और पुलों पर खतरा

देहरादून (उत्तराखंड) : उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से लगातार भारी बारिश का सिलसिला जारी है. भारी बारिश के चलते प्रदेश के कई क्षेत्रों में आपदा जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. हालांकि, इस आपदा की घड़ी में सीएम पुष्कर सिंह धामी लगातार धरातल पर नजर बनाए हुए हैं. सीएम के धरातल पर उतरकर काम करने से विपक्ष भी उनकी तारीफ करता नजर आ रहा है. लेकिन मंत्रियों के नदारद के चलते विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है.

विपक्ष कर रहा सीएम की तारीफ: प्रदेश में भारी बारिश के कारण जनजीवन पटरी से उतर गया है. विपक्षी पार्टियों को एक बार फिर सरकार पर जुबानी हमला करने का मौका मिल गया है. लेकिन इस बीच सभी लोग सीएम धामी की तारीफ करते हुए भी नजर आ रहे हैं जिन्होंने आपदा की इस घड़ी में स्वयं मोर्चा संभाला हुआ है. हालांकि, प्रदेश में भारी बारिश के कारण सबसे ज्यादा नुकसान सड़कों और पुलों को हुआ है, जिससे धामी सरकार चिंतित नजर आ रही है.

Uttarakhand
उत्तराखंड में भारी बारिश

भारी बारिश से पुलों को खतरा: सरकार की ओर से एक बार फिर पुलों के सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें एक महीने के भीतर लोक निर्माण विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. प्रदेश में भारी बारिश के कारण वर्तमान में 322 सड़कें बंद हैं, जिसमें पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से लगाई गई 187 जेसीबी मशीनें भी कम पड़ती हुई दिखाई दे रही हैं. वहीं अब तक इस मानसून सीजन में करीब दो हजार सड़कें बंद हो चुकी है. जिसमें करीब 1600 सड़कों को खोला जा चुका है. इसके साथ ही मानसून सीजन में 18 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं.
पढ़ें-कहर बरपा रही बारिश, मलबा और बोल्डर गिरने से कालसी चकराता मोटर मार्ग बाधित, टिहरी में जनजीवन अस्त-व्यस्त

प्रदेश में इतने पुल जर्जर: पीडब्ल्यूडी के अनुसार प्रदेश में 436 पुराने पुल चिन्हित किए गए हैं. इनमें से अधिकांश पुल पर्वतीय क्षेत्रों में हैं. इन जर्जर पुलों में सबसे अधिक 207 पुल स्टेट हाईवे पर हैं. इसके साथ ही मुख्य जिला मार्ग पर 65, अन्य जिला मार्ग पर 60 और ग्रामीण मार्ग पर 104 पुल जर्जर हालत में हैं. प्रदेश में कुल पुलों की संख्या करीब 3500 है.

Uttarakhand
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और धन सिंह रावत

विपक्ष के निशाने पर नदारद मंत्री: सरकार की तरफ से अब तक जो भी काम इस आपदा सीजन में किए गए हैं, उन सब कामों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफ सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के नेता भी कर रहे हैं. क्योंकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद बारीकी से आपदा की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं. सबसे ज्यादा निशाने पर सूबे के लोक निर्माण विभाग और बाढ़ नियंत्रण मंत्री सतपाल महाराज हैं, जो अभी तक इस आपदा की घड़ी में प्रदेश से ही नदारद हैं. सरकार के मंत्रियों के असंवेदनशील रवैया को लेकर विपक्षी दल आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं.
पढ़ें-अब तक 38 लोग गंवा चुके जान, 21 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट

प्रभारी मंत्री जिलों के लिए रवाना: जिसको देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद मंत्रियों को अपने अपने प्रभारी जिलों में जाने के निर्देश दिए. जिसके बाद कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और धन सिंह रावत समेत कुछ अन्य मंत्री अपने प्रभारी जिलों के लिए रवाना हो गए हैं. लेकिन अभी कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का अता पता नहीं है. जिसके चलते विपक्षी दल अब सरकार से मांग कर रहा है कि ऐसे मंत्रियों को हटाया जाए. जो जनता के प्रति संवेदनशील नहीं है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की मानें तो बेलगाम अफसरशाही की पोल खुद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी खोल चुकी हैं.

Uttarakhand
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज

क्या कह रही बीजेपी: विपक्षी पार्टियों के आक्रामक रूप पर सत्ता पक्ष की तरफ से भी पलटवार किया जा रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के मानें तो बीजेपी का हर कार्यकर्ता इस समय आपदा प्रभावित जनता के साथ खड़ा है. जनता की जो समस्याएं हैं उनका निदान करने का काम वह कर रहे हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी पार्टी राजनीति करने का काम कर रही है, जबकि बीजेपी शुरुआती से ही पहाड़ हो या मैदान हो सभी जगह अपने कार्यकर्ताओं और जन प्रतिनिधियों के माध्यम से जनता के दुख दूर करने में जुटी हुई है.

आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्य: उत्तराखंड हमेशा ही आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्यों में गिना जाता रहा है. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उत्तराखंड राज्य की सबसे बड़ी कमजोरी आपदा प्रबंधन क्षेत्र में समय रहते हुए तैयारियां ना करना उजागर हुई है. जिसका खामियाजा इस मानसून सीजन में प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है. लेकिन सीएम धामी के निर्देश के बाद जहां एक ओर आपदा विभाग अलर्ट मोड पर है तो वहीं, दूसरी ओर भाजपा संगठन स्तर पर भी कार्यकर्ता धरातल पर उतरते नजर आ रहे हैं.

Last Updated : Jul 18, 2023, 7:44 PM IST
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