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Kumaoni Holi: पहाड़ में रंग गुलाल का धमाल, खड़ी होली में थिरके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत दौरे पर सप्तेश्वर मंदिर पहुंचे. जहां उन्होंने कुमाऊंनी खड़ी होली खेली. इस दौरान सीएम होल्यारों संग ढोल की थाप और पारंपरिक गीतों में झूमते नजर आए. बता दें कि उत्तराखंड में कुमाऊंनी खड़ी होली की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

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Published : Feb 18, 2023, 4:26 PM IST

Updated : Feb 18, 2023, 10:32 PM IST

खड़ी होली में थिरके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी.

चंपावत: इन दिनों फागुन का महीना चल रहा है. ऐसे में उत्तराखंड में पारंपरिक कुमाऊंनी खड़ी होली का रंग छाया हुआ है. जिसके खुमार में सीएम पुष्कर सिंह धामी भी रंगे नजर आ रहे हैं. आज सीएम धामी चंपावत दौरे पर सप्तेश्वर मंदिर पहुंचे. जहां होल्यारों ने कुमाऊंनी खड़ी होली का आयोजन किया. बस क्या था, सीएम धामी भी इन होल्यारों के संग रंग-गुलाल खेलने लगे. इतना ही नहीं धामी खुद को पारंपरिक होली के गीतों पर होल्यारों संग थिरकने से रोक नहीं पाए. यकीन न आये तो आप सीएम धामी को होली के गानों पर डांस करते हुए इस वीडियो को देख लीजिए.

उत्तराखंड की पहचान होली: यूं तो पूरे देश में होली बड़े हर्षों उल्लास से मनाई जाती है. लेकिन होली का जो रंग और परंपरा उत्तराखंड में देखने को मिलती है, वह शायद कहीं और देखने को नहीं मिलती है. देवभूमि में कुमाऊं की खड़ी होली और बैठकी होली बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. खड़ी और बैठकी होली उत्तराखंड की विरासत और परंपरा की पहचान है. यहां करीब एक माह तक होली खेली जाती है. इस होली के रंग बच्चे, जवान और बूढ़े सभी रंग जाते हैं. यही वजह है कि चाहे वह मुख्यमंत्री हो या फिर मंत्री, सांसद और विधायक सभी अपने को इस प्रेम और सौहार्दपूर्ण के पर्व होली को बड़े ही धूमधाम से अपनों के बीच मनाते हैं.
ये भी पढ़ें: Mahashivratri पर सीएम ने बनखंडी महादेव मंदिर में मेले का किया शुभारंभ, नकल विरोधी कानून पर कही ये बात

खड़ी होली: उत्तराखंड के कुमाऊं में खड़ी होली की परंपरा करीब 400 सालों से चली आ रही है. पहाड़ी ढोल और पारंपरिक रागों के साथ उत्तराखंड के समृद्ध इतिहास का वर्णन करते हुए होल्यार खड़ी होली के रंग में रंगे नजर आते हैं. हालांकि वक्त के साथ परंपरा और रीति रिवाजों में कई बदलाव देखने को मिले, लेकिन कुमाऊं की खड़ी होली आज भी उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा की पहचान बने हुए हैं. आज भी प्रवासी देश-विदेश से होली के पर्व पर उत्तराखंड अपने परिवार के पास पहुंचते हैं.

उत्तराखंड की होली देश के अन्य हिस्सों में मनायी जाने वाली होली से काफी अलग है. महाशिवरात्रि के बाद यह होली चीर बंधन के साथ शुरू होती है और छलड़ी तक चलती है. इस होली का आगाज मंदिर से शुरू होकर गांव के हर घर-घर तक जाता है. होल्यार पारंपरिक वेशभूषा और पहाड़ी ढोल की थाप पर होली की लोक गीत गाते हुए हर घर में जाते हैं और परिवार को अपना आशीर्वाद देते हैं. खड़ी होली की यह परंपरा चंद शासन काल से बदस्तूर चली आ रही है.

बैठकी होली: कुमाऊं में खड़ी होली के साथ-साथ बैठकी होली खेलने की भी परंपरा है. कुमाऊं में करीब 150 सालों से बैठकी होली की परंपरा चली आ रही है. इस होली की खासियत यह है कि इसमें शास्त्रीय रागों पर गाना गाया जाता है. बैठकी होली की शुरुआत पौष माह के पहले रविवार से भगवान गणेश जी की वंदना के साथ हो जाती है. इस होली में देर रात तक होल्यार गायन करते हैं. ठंड होने के बावजूद होल्यारों के उत्साह में कोई कमी नहीं देखने को मिलती है. देर रात तक कुमाऊं के गांव-गांव में होल्यारों की बैठकी होली की महफिल सजी रहती है.

खड़ी होली में थिरके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी.

चंपावत: इन दिनों फागुन का महीना चल रहा है. ऐसे में उत्तराखंड में पारंपरिक कुमाऊंनी खड़ी होली का रंग छाया हुआ है. जिसके खुमार में सीएम पुष्कर सिंह धामी भी रंगे नजर आ रहे हैं. आज सीएम धामी चंपावत दौरे पर सप्तेश्वर मंदिर पहुंचे. जहां होल्यारों ने कुमाऊंनी खड़ी होली का आयोजन किया. बस क्या था, सीएम धामी भी इन होल्यारों के संग रंग-गुलाल खेलने लगे. इतना ही नहीं धामी खुद को पारंपरिक होली के गीतों पर होल्यारों संग थिरकने से रोक नहीं पाए. यकीन न आये तो आप सीएम धामी को होली के गानों पर डांस करते हुए इस वीडियो को देख लीजिए.

उत्तराखंड की पहचान होली: यूं तो पूरे देश में होली बड़े हर्षों उल्लास से मनाई जाती है. लेकिन होली का जो रंग और परंपरा उत्तराखंड में देखने को मिलती है, वह शायद कहीं और देखने को नहीं मिलती है. देवभूमि में कुमाऊं की खड़ी होली और बैठकी होली बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. खड़ी और बैठकी होली उत्तराखंड की विरासत और परंपरा की पहचान है. यहां करीब एक माह तक होली खेली जाती है. इस होली के रंग बच्चे, जवान और बूढ़े सभी रंग जाते हैं. यही वजह है कि चाहे वह मुख्यमंत्री हो या फिर मंत्री, सांसद और विधायक सभी अपने को इस प्रेम और सौहार्दपूर्ण के पर्व होली को बड़े ही धूमधाम से अपनों के बीच मनाते हैं.
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खड़ी होली: उत्तराखंड के कुमाऊं में खड़ी होली की परंपरा करीब 400 सालों से चली आ रही है. पहाड़ी ढोल और पारंपरिक रागों के साथ उत्तराखंड के समृद्ध इतिहास का वर्णन करते हुए होल्यार खड़ी होली के रंग में रंगे नजर आते हैं. हालांकि वक्त के साथ परंपरा और रीति रिवाजों में कई बदलाव देखने को मिले, लेकिन कुमाऊं की खड़ी होली आज भी उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा की पहचान बने हुए हैं. आज भी प्रवासी देश-विदेश से होली के पर्व पर उत्तराखंड अपने परिवार के पास पहुंचते हैं.

उत्तराखंड की होली देश के अन्य हिस्सों में मनायी जाने वाली होली से काफी अलग है. महाशिवरात्रि के बाद यह होली चीर बंधन के साथ शुरू होती है और छलड़ी तक चलती है. इस होली का आगाज मंदिर से शुरू होकर गांव के हर घर-घर तक जाता है. होल्यार पारंपरिक वेशभूषा और पहाड़ी ढोल की थाप पर होली की लोक गीत गाते हुए हर घर में जाते हैं और परिवार को अपना आशीर्वाद देते हैं. खड़ी होली की यह परंपरा चंद शासन काल से बदस्तूर चली आ रही है.

बैठकी होली: कुमाऊं में खड़ी होली के साथ-साथ बैठकी होली खेलने की भी परंपरा है. कुमाऊं में करीब 150 सालों से बैठकी होली की परंपरा चली आ रही है. इस होली की खासियत यह है कि इसमें शास्त्रीय रागों पर गाना गाया जाता है. बैठकी होली की शुरुआत पौष माह के पहले रविवार से भगवान गणेश जी की वंदना के साथ हो जाती है. इस होली में देर रात तक होल्यार गायन करते हैं. ठंड होने के बावजूद होल्यारों के उत्साह में कोई कमी नहीं देखने को मिलती है. देर रात तक कुमाऊं के गांव-गांव में होल्यारों की बैठकी होली की महफिल सजी रहती है.

Last Updated : Feb 18, 2023, 10:32 PM IST
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