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विश्व भर में बजता है झारखंड के आदिवासी खिलाड़ियों का डंका

इस बार कोरोना महामारी के कारण लोग ऑनलाइन तरीके से विश्व आदिवासी दिवस को सेलिब्रेट करेंगे. इस दिवस के दिन झारखंड के होनहार आदिवासी खिलाड़ियों का जिक्र जरूरी है. जिन्होंने विदेशों तक परचम लहराया है. पढ़ें पूरी खबर...

jharkhand Tribal players around the world
विश्व आदिवासी दिवस
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Published : Aug 9, 2020, 9:14 AM IST

रांची : विश्व आदिवासी दिवस नौ अगस्त को मनाने की परंपरा हमेशा ही रही है. बड़ी ही धूमधाम से आदिवासी वर्ग के लोग इस दिन को मनाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण लोग ऑनलाइन तरीके से इस दिवस को सेलिब्रेट कर रहे हैं. इस दिवस विशेष के दिन झारखंड के आदिवासी खिलाड़ियों को कैसे भुलाया जा सकता है. झारखंड के खेल जगत में आदिवासी खिलाड़ियों का वर्चस्व रहा है. पूर्व और वर्तमान में भी आदिवासी खिलाड़ियों का ही बोलबाला है. जिन्होंने राज्य और देश का नाम हमेशा ही रोशन किया है.

विश्व आदिवासी दिवस पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट
ऑनलाइन मनाएंगे खुशियांइस दिन को लेकर आदिवासी समुदाय में उत्साह रहता है, लेकिन कोरोना के कारण इस बार गैदरिंग नहीं करके आदिवासी समुदाय ने भी इस महामारी के मद्देनजर ऑनलाइन ही कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर मन बनाया है. इधर, बदलते समय के साथ आदिवासी युवा पीढ़ी भी अब सिर्फ अखाड़ों में सिमटकर नहीं रह गया है, बल्कि विश्व के हर क्षेत्र में सामान्य वर्ग के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं. खेल के क्षेत्र में भी झारखंड की आदिवासी खिलाड़ियों ने देश-विदेश में परचम लहराया है. चाहे वह तीरंदाजी हो, हॉकी हो, एथलेटिक्स हो, फुटबॉल हो या फिर कोई अन्य खेल.
jharkhand Tribal players around the world
आदिवासी महिला खिलाड़ी

महानतम खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल
आदिवासी दिवस के अवसर पर ऐसे होनहार आदिवासी खिलाड़ियों को हम कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने झारखंड को एक पहचान दिलाई है. सबसे पहला नाम आता है हॉकी के धुरंधर खिलाड़ी ओलंपियन जयपाल सिंह मुंडा. आज भी हॉकी का नाम आते ही जेहन में जयपाल सिंह मुंडा का नाम ही उभर कर सामने आता है. वहीं, सिलबनुस डुंगडुंग, मनोहर टोपनो जैसे खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम दिखाया है. कई अवार्ड से ये खिलाड़ी नवाजे गए हैं. हॉकी के अंतरराष्ट्रीय पटल पर आज भी इनके बारे में पूछे जाने पर लोग जवाब देते हैं. मास्को ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता सिलबनुस डुंगडुंड 1980 में स्पेन के खिलाफ ओलंपिक हॉकी फाइनल में गोल्डन गोल करने वाले महानतम खिलाड़ियों में शुमार हैं. तो वहीं मनोहर टोपनो भी ओलंपियन रह चुके हैं. माइकल किंडो, अजीत लाकड़ा जैसे नाम भी महानतम खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल है.

jharkhand Tribal players around the world
महान खिलाड़ी

खेल के क्षेत्र में आदिवासी युवती भी कम नहीं
झारखंड में दमखम वाले खेलों में आदिवासी युवती हमेशा आगे रही हैं. ग्रामीण परिवेश सीमित संसाधन और कई जरूरी चीजों के उपलब्ध नहीं रहने के बाद भी इन जनजातीय युवतियों ने खेल के क्षेत्र में झारखंड को पहचान दिलाई है. तीरंदाजी में मूलवासी पूर्णिमा महतो, दीपिका कुमारी के अलावा आदिवासी समुदाय से रानी मांझी का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है. इसके अलावा हॉकी में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हेलेन सोय,अलमा गुड़िया, दिनमनी सोय, मसीरा सुरीन, पुष्पा प्रधान, सावित्री पूर्ति, यासमनी सांगा, समुराई टेटे, असुंता लकड़ा, निक्की प्रधान, ब्यूटी डुंगडुंड, विमल लकड़ा, सलीमा टेटे और संगीता कुमारी शामिल हैं. एथलेटिक्स में रामचंद्र सांगा जैसे नाम सबके सामने हैं. इन खिलाड़ियों ने अपने दमखम से झारखंड का नाम हमेशा ही रोशन किया है.

jharkhand Tribal players around the world
जीत की खुशी


80 फीसदी आदिवासी खिलाड़ी
खेल जगत के लोगों की माने तो झारखंड में 100 में 80 फीसदी खिलाड़ी जो बेहतर प्रदर्शन किए हैं, उनमें आदिवासी वर्ग के ही हैं. खासकर हॉकी में तो आदिवासी खिलाड़ियों का वर्चस्व है. चाहे वह पुरुष टीम हो या फिर महिला टीम. दोनों टीमों में आदिवासी खिलाड़ियों के कंधों पर ही टीम की दारोमदार है. यहां तक कि अगले वर्ष होने वाले अंडर- 17 फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम के कैंप में झारखंड की आठ आदिवासी लड़कियों का ही चयन हुआ है. ये खिलाड़ी फिलहाल मोरहाबादी स्थित फुटबॉल स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे हैं. कुल मिलाकर कहें तो झारखंड के तमाम खेलों में आदिवासी खिलाड़ियों का ही दबदबा है और हमेशा ही रहा है.

jharkhand Tribal players around the world
प्रैक्टिस करते खिलाड़ी

रांची : विश्व आदिवासी दिवस नौ अगस्त को मनाने की परंपरा हमेशा ही रही है. बड़ी ही धूमधाम से आदिवासी वर्ग के लोग इस दिन को मनाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण लोग ऑनलाइन तरीके से इस दिवस को सेलिब्रेट कर रहे हैं. इस दिवस विशेष के दिन झारखंड के आदिवासी खिलाड़ियों को कैसे भुलाया जा सकता है. झारखंड के खेल जगत में आदिवासी खिलाड़ियों का वर्चस्व रहा है. पूर्व और वर्तमान में भी आदिवासी खिलाड़ियों का ही बोलबाला है. जिन्होंने राज्य और देश का नाम हमेशा ही रोशन किया है.

विश्व आदिवासी दिवस पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट
ऑनलाइन मनाएंगे खुशियांइस दिन को लेकर आदिवासी समुदाय में उत्साह रहता है, लेकिन कोरोना के कारण इस बार गैदरिंग नहीं करके आदिवासी समुदाय ने भी इस महामारी के मद्देनजर ऑनलाइन ही कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर मन बनाया है. इधर, बदलते समय के साथ आदिवासी युवा पीढ़ी भी अब सिर्फ अखाड़ों में सिमटकर नहीं रह गया है, बल्कि विश्व के हर क्षेत्र में सामान्य वर्ग के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं. खेल के क्षेत्र में भी झारखंड की आदिवासी खिलाड़ियों ने देश-विदेश में परचम लहराया है. चाहे वह तीरंदाजी हो, हॉकी हो, एथलेटिक्स हो, फुटबॉल हो या फिर कोई अन्य खेल.
jharkhand Tribal players around the world
आदिवासी महिला खिलाड़ी

महानतम खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल
आदिवासी दिवस के अवसर पर ऐसे होनहार आदिवासी खिलाड़ियों को हम कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने झारखंड को एक पहचान दिलाई है. सबसे पहला नाम आता है हॉकी के धुरंधर खिलाड़ी ओलंपियन जयपाल सिंह मुंडा. आज भी हॉकी का नाम आते ही जेहन में जयपाल सिंह मुंडा का नाम ही उभर कर सामने आता है. वहीं, सिलबनुस डुंगडुंग, मनोहर टोपनो जैसे खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम दिखाया है. कई अवार्ड से ये खिलाड़ी नवाजे गए हैं. हॉकी के अंतरराष्ट्रीय पटल पर आज भी इनके बारे में पूछे जाने पर लोग जवाब देते हैं. मास्को ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता सिलबनुस डुंगडुंड 1980 में स्पेन के खिलाफ ओलंपिक हॉकी फाइनल में गोल्डन गोल करने वाले महानतम खिलाड़ियों में शुमार हैं. तो वहीं मनोहर टोपनो भी ओलंपियन रह चुके हैं. माइकल किंडो, अजीत लाकड़ा जैसे नाम भी महानतम खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल है.

jharkhand Tribal players around the world
महान खिलाड़ी

खेल के क्षेत्र में आदिवासी युवती भी कम नहीं
झारखंड में दमखम वाले खेलों में आदिवासी युवती हमेशा आगे रही हैं. ग्रामीण परिवेश सीमित संसाधन और कई जरूरी चीजों के उपलब्ध नहीं रहने के बाद भी इन जनजातीय युवतियों ने खेल के क्षेत्र में झारखंड को पहचान दिलाई है. तीरंदाजी में मूलवासी पूर्णिमा महतो, दीपिका कुमारी के अलावा आदिवासी समुदाय से रानी मांझी का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है. इसके अलावा हॉकी में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हेलेन सोय,अलमा गुड़िया, दिनमनी सोय, मसीरा सुरीन, पुष्पा प्रधान, सावित्री पूर्ति, यासमनी सांगा, समुराई टेटे, असुंता लकड़ा, निक्की प्रधान, ब्यूटी डुंगडुंड, विमल लकड़ा, सलीमा टेटे और संगीता कुमारी शामिल हैं. एथलेटिक्स में रामचंद्र सांगा जैसे नाम सबके सामने हैं. इन खिलाड़ियों ने अपने दमखम से झारखंड का नाम हमेशा ही रोशन किया है.

jharkhand Tribal players around the world
जीत की खुशी


80 फीसदी आदिवासी खिलाड़ी
खेल जगत के लोगों की माने तो झारखंड में 100 में 80 फीसदी खिलाड़ी जो बेहतर प्रदर्शन किए हैं, उनमें आदिवासी वर्ग के ही हैं. खासकर हॉकी में तो आदिवासी खिलाड़ियों का वर्चस्व है. चाहे वह पुरुष टीम हो या फिर महिला टीम. दोनों टीमों में आदिवासी खिलाड़ियों के कंधों पर ही टीम की दारोमदार है. यहां तक कि अगले वर्ष होने वाले अंडर- 17 फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम के कैंप में झारखंड की आठ आदिवासी लड़कियों का ही चयन हुआ है. ये खिलाड़ी फिलहाल मोरहाबादी स्थित फुटबॉल स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे हैं. कुल मिलाकर कहें तो झारखंड के तमाम खेलों में आदिवासी खिलाड़ियों का ही दबदबा है और हमेशा ही रहा है.

jharkhand Tribal players around the world
प्रैक्टिस करते खिलाड़ी
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