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हरियाणा में अनोखी शादी : डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा के सामने लिए सात फेरे - dr ambedkar statue

टोहाना के समैन गांव में अनोखे ढंग से शादी की रस्में अदा की गयीं. दूल्हा और दुल्हन ने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने साथ निभाने का वादा किया. परिजनों ने बताया कि यह शादी बिना किसी दहेज के हुई है. शादी के बाद लोगों ने संविधान निर्माता अंबेडकर के जयकारे लगाए. पढ़ें विस्तार से...

डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने लिए सात फेरे.
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Published : Nov 12, 2019, 4:30 PM IST

फतेहाबाद/हरियाणा : आपने कई तरह की शादियां देखी होंगी, जहां बड़ा सा मंडप होता है, धार्मिक रीति से मंत्रोच्चारण होता है. लेकिन टोहना के समैन गांव में एक अनोखी शादी देखने को मिली.

यहां दूल्हा-दुल्हन ने संविधान निर्माता 'भारत रत्न' डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने शादी रचायी और साथ निभाने का प्रण लिया.

फतेहबाद में हुई अनोखी शादी देखें. वीडियो...

बिना दहेज के संपन्न हुई शादी
ये शादी बिना किसी दहेज के संपन्न हुई. इसमें वर पक्ष को वधू पक्ष ने कोई दहेज नहीं दिया. इस संबंध में हरियाणवी कवि मास्टर जोरा सिंह ने बताया कि यह शादी बिना किसी दहेज के संपन्न हुई और इसमें वर और वधू ने बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने एक दूसरे को पति-पत्नी के रूप में स्वीकार किया. उन्होंने बताया कि यह शादी मौर्य काल में प्रचलित प्राचीन भारतीय परम्परा के अनुसार हई है. यह परम्परा समाप्त हो चुकी है. उन्होंने बताया कि इस शादी में अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष कांशी रत्न भी पहुंचे और शादी संपन्न करवाई.

इसे भी पढे़ं: दुल्हन बनने को तैयार रेसलर बबीता फोगाट, एक दिसम्बर को आएगी बारात

'वर पक्ष नहीं हो रहा था तैयार'
मास्टर जोरा सिंह ने कहा कि इस शादी में दूल्हा-दुल्हन की भूमिका अहम रही. उन्होंने कहा कि इस तरह शादी को लेकर वर पक्ष के लोग तैयार नहीं थे, लेकिन दूल्हे ने अपने परिजनों को समझाया और शादी के लिए राजी किया. उन्होंने कहा कि इस शादी समारोह में पूरे समय संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर के जयकारे लगाये गये.

फतेहाबाद/हरियाणा : आपने कई तरह की शादियां देखी होंगी, जहां बड़ा सा मंडप होता है, धार्मिक रीति से मंत्रोच्चारण होता है. लेकिन टोहना के समैन गांव में एक अनोखी शादी देखने को मिली.

यहां दूल्हा-दुल्हन ने संविधान निर्माता 'भारत रत्न' डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने शादी रचायी और साथ निभाने का प्रण लिया.

फतेहबाद में हुई अनोखी शादी देखें. वीडियो...

बिना दहेज के संपन्न हुई शादी
ये शादी बिना किसी दहेज के संपन्न हुई. इसमें वर पक्ष को वधू पक्ष ने कोई दहेज नहीं दिया. इस संबंध में हरियाणवी कवि मास्टर जोरा सिंह ने बताया कि यह शादी बिना किसी दहेज के संपन्न हुई और इसमें वर और वधू ने बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने एक दूसरे को पति-पत्नी के रूप में स्वीकार किया. उन्होंने बताया कि यह शादी मौर्य काल में प्रचलित प्राचीन भारतीय परम्परा के अनुसार हई है. यह परम्परा समाप्त हो चुकी है. उन्होंने बताया कि इस शादी में अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष कांशी रत्न भी पहुंचे और शादी संपन्न करवाई.

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'वर पक्ष नहीं हो रहा था तैयार'
मास्टर जोरा सिंह ने कहा कि इस शादी में दूल्हा-दुल्हन की भूमिका अहम रही. उन्होंने कहा कि इस तरह शादी को लेकर वर पक्ष के लोग तैयार नहीं थे, लेकिन दूल्हे ने अपने परिजनों को समझाया और शादी के लिए राजी किया. उन्होंने कहा कि इस शादी समारोह में पूरे समय संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर के जयकारे लगाये गये.

Intro:उपमण्डल के गांव समैन में अनोखे ढग से हुई शादी की रस्में अदा, सविधान निर्माता भारत रत्न डा.अंबेडकर की प्रतिमा के सामने दुल्ला-दुल्हन ने लिया साथ निभाने का प्रण, बिना किसी दान-दहेज व साधारण रीति से विवाह कार्य हुआ समपन्न, शादी के मण्डल में गुंजे, सविधान निर्माता अंबेडकर के जयकारे , शादी उपमण्डल में बनी चर्चा व प्रंशसा का विषय। कार्यक्रम में विशेष रूप से पहुचे प्रदेशअध्यक्ष अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ भिक्षु कांशी रत्न। हरियाणी कवि मास्टर जोरा सिंह ने बताया इसे मौर्यकाल की परंमपरा जब होती थी बिना दान-दहेज कम खर्चे में शादी, बताया देश मे रूढीवाद समाप्त हो, एकता हो इस लिए अपनाया ये तरीका। Body:शादियों का मौसम है आपने हमने कई तरह की शादियां देखी होगी जहां बडा सा मण्डल होता है कोई न कोई धार्मिक रीति होती है मंत्रोचारण होता है क्या इनके सब के बिना भी शादी होती है कुछ अटपटा सा लगता है। ऐसी ही एक अनोखी शादी उपमण्डल के गांव समैन में समपन्न हुई जिसमें लड़का व लड़की ने देश के सविधान निर्माता भारत रत्न डा.भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने एक दुसरे को पति-पत्नि के रूप में स्वीकार किया। यह शादी जहां उपमण्डल के साथ शादी में आए लोगों के लिए कौतुहल का विषय रही वही इसकी जमकर प्रंशसा भी हो रही है।
इस अनोखी शादी में जहंा दुल्हा व दुल्हन की भुमिका अहम रही वही इसके सुत्रधार बने हरियाणी कवि मास्टर जोरा सिंह जिन्होनें अपने परिवार के साथ वर पक्ष को इस शादी के लिए रजामंद करवाया जोकि आसानी से तैयार भी हो गए। मास्टर जोरा सिंह ने इसे मौर्य काल की प्राचीन भारतीय परंपरा बताया है जब बिना किसी दान-दहेज के कम खर्चे में समाज के सामने वर व कन्या पती-पत्नी के रूप में स्वीकार करते थे।
शादी में विशेष तौर पर भिक्षु कांशी रत्न, प्रदेशअध्यक्ष अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ हरियाणा पहुचे जिन्होनें इस शादी की प्रंशसा की व शादी की रस्में में दुल्हा-दुल्हन को एक दूसरे का साथ निभ्भाने का संकल्प भ्भी दिलवाया। इस शादी समारोह में पुरे समय सविधान निर्माता डा.अंबेडकर की याद में जय भ्भीम-जय भीम के जयकारे गुंजते रहे।
Conclusion:bite1 - भिक्षु कांशी रत्न, प्रदेशअध्यक्ष अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ हरियाणा
bite2 - मास्टर जोरा सिंह, हरियाणवी कवि गांव समैन
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