बैंकॉक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों (आसियान) के साथ भारत के बहु क्षेत्रीय संबंधों के विस्तार की रूपरेखा पेश की. आसियान को वैश्विक स्तर पर व्यापार और निवेश का सभी प्रभावशाली समूह माना जाता है.
भारत-आसियान शिखर बैठक में अपने उद्घाटन संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत और दस देशों के ब्लॉक के बीच जमीनी, हवाई और समुद्री संपर्क बढ़ाने से क्षेत्रीय व्यापार और आर्थिक वृद्धि को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया जा सकेगा.
मोदी ने कहा कि समुद्री सुरक्षा और जल आधारित अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के काफी अवसर हैं. इसके अलावा भारत और आसियान कृषि, इंजीनियरिंग, डिजिटल प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भी सहयोग का विस्तार कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने भारत और आसियान के बीच हिंद प्रशांत क्षेत्र में विचारों के मेल का स्वागत किया.
भारत-आसियान शिखर बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक मंच के कई नेताओं से मुलाकात की.
मोदी ने आसियान देशों के नेताओं की उपस्थिति में कहा, 'भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी हमारे हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण हिस्सा है. आसियान इसका मुख्य हिस्सा है. एकीकृत और आर्थिक रूप से गतिशील आसियान भारत के हित में है.'
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दस देशों का आसियान समूह क्षेत्र के प्रभावशाली समूहों में से है. भारत और कई अन्य देश मसलन अमेरिका, चीन, जापान और आस्ट्रेलिया इसके वार्ता भागीदार है. भारत और आसियान के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं.
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने थाई पीएम प्रयुत चन ओचा से भी मुलाकात की.
भारत को जोड़कर आसियान क्षेत्र की आबादी 1.85 अरब की है. यह दुनिया की आबादी का करीब 25 प्रतिशत बैठता है. इनका सामूहिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमानत: 3,800 अरब डॉलर है. पिछले 17 साल में भारत को आसियान से करीब 70 अरब डॉलर का निवेश मिला है. देश में आए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का यह 17 प्रतिशत बैठता है.
प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे. आसियान की यह सालाना शिखर बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि विवादित दक्षिण चीन सागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन ने काफी आक्रामक रुख अपनाया हुआ है.
आसियान के दस देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यामां और कंबोडिया शामिल हैं.