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'युवा चेहरा' या 'नीतीश का भरोसा', जानिए ठाकुरगंज की मुस्लिम महिलाओं का चुनावी मुद्दा ?

बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान तीन नवंबर को होना है. इसी तारीख को किशनगंज के ठाकुरगंज सीट पर भी वोटिंग होनी है. यहां करीब 48 फीसदी महिला वोटर है ऐसे में हर पार्टी ये कोशिश करती है कि महिलाओं के मुद्दों का ध्यान रखा जाए. ठाकुरगंज की महिलाओं के मन में क्या है और उनके मुद्दे क्या हैं. जानिए इस रिपोर्ट में.

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ठाकुरगंज की मुस्लिम लड़कियां
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Published : Nov 1, 2020, 8:17 AM IST

Updated : Nov 1, 2020, 5:33 PM IST

पटना : बिहार का आखिरी छोर और नेपाल से बिल्कुल सटे किशनगंज जिले का ठाकुरगंज कई मायनो में ऐतिहासिक माना जाता है. कहा जाता है कि यहां पांडवों ने अपना अज्ञातवास बिताया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठाकुरगंज के महाभारत कालीन धरोहर को बचाकर पर्यटन स्थल करने की कोशिश की. इसी साल महाभारत कालीन भातडाला पोखर का सुंदरीकरण कर उद्घाटन भी किया. दो देशों के बीच बसा ठाकुरगंज व्यापार का भी बड़ा केंद्र भी है. यहां आधा दर्जन से अधिक टी प्रोसेसिंग प्लांट और कई अन्य फैक्ट्रियां हैं. जिसके कारण यहां से राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है. यहां बड़े पैमाने पर चायपत्ति और अनानास के साथ ड्रैगनफ्रूट की खेती होती है. इन तमाम खूबियों के साथ किशगंज राजनीतिक रूप से भी बेहद खास है. किशनगंज जिले के 53 ठाकुरगंज विधानसभा से लोजपा प्रत्याशी कलीमुद्दीन चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस सीट पर महिला वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं इसलिए हर पार्टी इन्हें अपने पाले में लाना चाहता है.

देखें वीडियो-

किशनगंज जिले के 53 ठाकुरगंज और 55 कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र से लोजपा ने अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान पर उतारा है. ठाकुरगंज लोजपा के लिए खास सीट है. इस बार चिराग पासवान ने यहां कलीमुद्दीन को अपना उम्मीदवार बनाया है. 2015 में यहां से जेडीयू के नौशाद आलम विजयी हुए थे. जबकी दूसरे नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा के गोपाल कुमार अग्रवाल रहे थे. नौसाद ने 2010 में लोजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीतने के बाद वे पाला बदलकर जेडीयू में शामिल हो गए थे. वहीं, कोचाधामन से चिराग ने हबीबुर्रहमान को अपना प्रत्याशी घोषित किया है.

देखें वीडियो-

महिलाओं को पसंद आ रहा बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट
ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के कई युवा मतदाता चिराग पासवान पर उम्मीद जता रहे हैं. उनका बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट नारा जमीन पर मुस्लिम महिलाओं को खासा पंसद आ रहा है. युवाओं का कहना है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान युवा हैं और युवा होने के नाते युवाओं का दर्द समझते हैं. लोजपा की सरकार बनी तो बिहार में बेरोजगारी बदहाल शिक्षा स्वास्थ व्यवस्था दूर होगी और एक नए बिहार चिराग पासवान बनाएंगे. कई मुस्लिम महिलाओं ने चिराग पासवान पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन लोगों को उम्मीद है चिराग पासवान एक नया बिहार बनाएंगे, जिसमें बिहारी फर्स्ट और बिहार फर्स्ट होगा. उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार बिहार में शिक्षा स्वास्थ रोजगार के मामले में नाकाम है. खासकर ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में युवा महिला और पुरुष मतदाताओं में चिराग पासवान के प्रति विश्वास देखने को मिल रहा है. वहीं, लोजपा सीमांचल के एक दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं खासकर जहां जहां जदयू ने प्रत्याशी खड़े किए हैं. उन्हीं सीटों से लोजपा भी अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं.

''चिराग पासवान एक युवा नेता हैं और बिहार के विकास के लिए ही अकेले लड़ रहे हैं. वे युवा हैं इसलिए वे बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि युवाओं को किस तरह का रोजगार चाहिए. इसलिए लोजपा प्रत्याशी कलीमुद्दीन को यहां के युवा जरूर वोट देंगे.''- सानिया

''युवा नेता हैं और वे बिहार के लोगों के रोजगार के बारे में सोच रहे हैं. उनसे बहुत उम्मीदें हैं उनके आने से शिक्षा और रोजगार के अवसर बेहतर होंगे. उनका बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का नारा अच्छा है''- आलम आरा

''चिराग गरीबों की हमेशा मदद करते हैं और वे अच्छे नेता हैं उनसे बहुत उम्मीदें हैं वे आगे भी अच्छा करेंगे''- नाजिया इकबाल

''चिराग पासवान युवा नेता हैं और गरीबों के लिए काम करते हैं. वे महिलाओं को भी सुरक्षा दे पाएंगे''- अंजुम

ठाकुरगंज का चुनावी मुद्दा

⦁ फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना.

⦁ आखिर कब ठाकुरगंज बनेगा अनुमंडल.

⦁ चाय उत्पादक किसानों के उत्थान के लिए टी-सिटी का दर्जा दिलाने की मांग.

ठाकुरगंज की मुस्लिम लड़कियों का क्या है मुद्दा

बिहार विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियो के नेता महिलाओं के सम्मान और हक की बात कर रहे हैं. ठाकुरगंज विधानसभा की लड़कियों और महिलाओं के बीच उनकी शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान मुख्य मुद्दा है. यहां की लड़कियों का कहना है कि एनडीए के शासनकाल में उन्हे उनका हक और सम्मान मिला. उन्हें तीन तलाक से मुक्ति मिली, शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ और शराबबंदी के बाद पुरुष घर पर ध्यान देने लगे.

''कोई भी शौहर शराब पीने के बाद गुस्से में अपनी पत्नी को तीन बार तलाक दे देता था और महिला की जिंदगी बरबाद कर देता था. इसमें औरत सही या गलत है कोई मायने नहीं रखता था. इसलिए तीन तलाक को खत्म करने का फैसला एक बहुत अच्छा फैसला था.''-नजमा खातुन

''नीतीश कुमार ने बाल विवाह पर सख्त कदम उठाए और लड़कियों की पढ़ाई के लिए बहुत काम किया. नीतीश के शासन काल में महिलाओं को सम्मान मिला और उन्हें पुरुषों के बराबर दर्जा मिला.''-सरवरी बेगम

''नीतीश कुमार ने ठीक काम किया है खासकर बच्चों के शिक्षा के क्षेत्र में और गरीबी कम करने के क्षेत्र में. तीन तलाक खत्म कर महिलाओं के हक में अच्छा काम किया गया है.''- अमिशा खातुन

अब तक कुल 14 चुनाव हुए

ठाकुरगंज विधानसभा सीट पर अब तक कुल 14 चुनाव (एक उपचुनाव) हुए हैं. इसमें 8 बार कांग्रेस पार्टी ने बाजी मारी है. जेडीयू, बीजेपी, जनता पार्टी, एलजेपी, जनता दल और समाजवादी पार्टी एक-एक बार चुनाव जीतने में सफल हुई हैं. साल 1995 में बीजेपी के सिकंदर सिंह ने कांग्रेस को मात दी थी. वर्तमान में इस सीट पर जेडीयू का कब्जा है. नौशाद आलम यहां के विधायक विधायक हैं, जो 2010 एलजेपी से चुनाव जीते थे.

ठाकुरगंज: मैंदान में दिग्गज

  1. नौशाद आलम, जेडीयू उम्मीदवार
  2. सऊद आलम, आरजेडी उम्मीदवार
  3. महबूब आलम, एआईएमआईएम उम्मीदवार

परिसीमन के बाद ठाकुरगंज विधानसभा में पोठिया प्रखंड को हटाकर दिघलबैंक प्रखंड की 14 पंचायतों को शामिल किया गया है. ठाकुरगंज की 22 पंचायत व दिघलबैंक प्रखंड की 14 पंचायत मिलाकर कुल 36 पंचायत इस विधानसभा में हैं. दिघलबैंक प्रखण्ड पहले 52 बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था.

⦁ वोटरों की संख्या: 257209

⦁ पुरुष: 52.5%

⦁ महिलाएं: 47.5%

ठाकुरगंज का समीकरण

बात करें यहां के मतदाताओं की तो किशनगंज जिले मे कुल 11 लाख 15 हजार 27 मतदाता हैं. जिसमें 5 लाख 41 हजार 444 महिला मतदाता हैं. वहीं, ठाकुरगंज विधानसभा में 2 लाख 57 हजार 209 मतदाता हैं. जिसमें 1 लाख 38 हजार 785 महिला वोटर हैं यानी की ठाकुरगंज के कुल मतदाता के 48 % महिला मतदाता है. इसलिए सभी पार्टी महिला वोटरों और उनके मुद्दे पर भी फोकस कर रहे हैं.

पढ़ें - तेजस्वी बिहार के सीएम बनते हैं तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा : राउत

2015 में नौशाद आलम ने मारी बाजी

वहीं, ठाकुरगंज विधानसभा सीट की बात करें तो 2015 के चुनाव में यहां से जनता दल (यूनाइटेड) के नौशाद आलम ने 74 हजार 239 वोट हासिल की और विजयी घोषित हुए. यहां से दूसरे नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा के गोपाल कुमार अग्रवाल रहे थे जिन्हें 66 हजार 152 वोट मिले थे. इस विधानसभा क्षेत्र से तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के फैयाज आलम जबकि चौथे नंबर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के अहमद हुसैन रहे थे. ठाकुरगंज विधानसभा में करीब 2 लाख 57 हजार 209 मतदाता हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां के वोटरों ने जमकर वोटिंग की. यहां करीब 70.5 फीसदी मतदान हुआ था.

  1. 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां से जेडीयू के नौशाद अली (41.23%) ने बाजी मारी थी.
  2. लोजपा के गोपाल कुमार अग्रवाल (36.74%) दूसरे स्थान पर रहे थे.
  3. समाजवादी पार्टी के फैयाज अली तीसरे पायदान पर थे.
  4. 2015 में करीब 70 फीसदी वोटिंग हुई थी.

पटना : बिहार का आखिरी छोर और नेपाल से बिल्कुल सटे किशनगंज जिले का ठाकुरगंज कई मायनो में ऐतिहासिक माना जाता है. कहा जाता है कि यहां पांडवों ने अपना अज्ञातवास बिताया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठाकुरगंज के महाभारत कालीन धरोहर को बचाकर पर्यटन स्थल करने की कोशिश की. इसी साल महाभारत कालीन भातडाला पोखर का सुंदरीकरण कर उद्घाटन भी किया. दो देशों के बीच बसा ठाकुरगंज व्यापार का भी बड़ा केंद्र भी है. यहां आधा दर्जन से अधिक टी प्रोसेसिंग प्लांट और कई अन्य फैक्ट्रियां हैं. जिसके कारण यहां से राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है. यहां बड़े पैमाने पर चायपत्ति और अनानास के साथ ड्रैगनफ्रूट की खेती होती है. इन तमाम खूबियों के साथ किशगंज राजनीतिक रूप से भी बेहद खास है. किशनगंज जिले के 53 ठाकुरगंज विधानसभा से लोजपा प्रत्याशी कलीमुद्दीन चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस सीट पर महिला वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं इसलिए हर पार्टी इन्हें अपने पाले में लाना चाहता है.

देखें वीडियो-

किशनगंज जिले के 53 ठाकुरगंज और 55 कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र से लोजपा ने अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान पर उतारा है. ठाकुरगंज लोजपा के लिए खास सीट है. इस बार चिराग पासवान ने यहां कलीमुद्दीन को अपना उम्मीदवार बनाया है. 2015 में यहां से जेडीयू के नौशाद आलम विजयी हुए थे. जबकी दूसरे नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा के गोपाल कुमार अग्रवाल रहे थे. नौसाद ने 2010 में लोजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीतने के बाद वे पाला बदलकर जेडीयू में शामिल हो गए थे. वहीं, कोचाधामन से चिराग ने हबीबुर्रहमान को अपना प्रत्याशी घोषित किया है.

देखें वीडियो-

महिलाओं को पसंद आ रहा बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट
ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के कई युवा मतदाता चिराग पासवान पर उम्मीद जता रहे हैं. उनका बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट नारा जमीन पर मुस्लिम महिलाओं को खासा पंसद आ रहा है. युवाओं का कहना है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान युवा हैं और युवा होने के नाते युवाओं का दर्द समझते हैं. लोजपा की सरकार बनी तो बिहार में बेरोजगारी बदहाल शिक्षा स्वास्थ व्यवस्था दूर होगी और एक नए बिहार चिराग पासवान बनाएंगे. कई मुस्लिम महिलाओं ने चिराग पासवान पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन लोगों को उम्मीद है चिराग पासवान एक नया बिहार बनाएंगे, जिसमें बिहारी फर्स्ट और बिहार फर्स्ट होगा. उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार बिहार में शिक्षा स्वास्थ रोजगार के मामले में नाकाम है. खासकर ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में युवा महिला और पुरुष मतदाताओं में चिराग पासवान के प्रति विश्वास देखने को मिल रहा है. वहीं, लोजपा सीमांचल के एक दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं खासकर जहां जहां जदयू ने प्रत्याशी खड़े किए हैं. उन्हीं सीटों से लोजपा भी अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं.

''चिराग पासवान एक युवा नेता हैं और बिहार के विकास के लिए ही अकेले लड़ रहे हैं. वे युवा हैं इसलिए वे बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि युवाओं को किस तरह का रोजगार चाहिए. इसलिए लोजपा प्रत्याशी कलीमुद्दीन को यहां के युवा जरूर वोट देंगे.''- सानिया

''युवा नेता हैं और वे बिहार के लोगों के रोजगार के बारे में सोच रहे हैं. उनसे बहुत उम्मीदें हैं उनके आने से शिक्षा और रोजगार के अवसर बेहतर होंगे. उनका बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का नारा अच्छा है''- आलम आरा

''चिराग गरीबों की हमेशा मदद करते हैं और वे अच्छे नेता हैं उनसे बहुत उम्मीदें हैं वे आगे भी अच्छा करेंगे''- नाजिया इकबाल

''चिराग पासवान युवा नेता हैं और गरीबों के लिए काम करते हैं. वे महिलाओं को भी सुरक्षा दे पाएंगे''- अंजुम

ठाकुरगंज का चुनावी मुद्दा

⦁ फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना.

⦁ आखिर कब ठाकुरगंज बनेगा अनुमंडल.

⦁ चाय उत्पादक किसानों के उत्थान के लिए टी-सिटी का दर्जा दिलाने की मांग.

ठाकुरगंज की मुस्लिम लड़कियों का क्या है मुद्दा

बिहार विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियो के नेता महिलाओं के सम्मान और हक की बात कर रहे हैं. ठाकुरगंज विधानसभा की लड़कियों और महिलाओं के बीच उनकी शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान मुख्य मुद्दा है. यहां की लड़कियों का कहना है कि एनडीए के शासनकाल में उन्हे उनका हक और सम्मान मिला. उन्हें तीन तलाक से मुक्ति मिली, शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ और शराबबंदी के बाद पुरुष घर पर ध्यान देने लगे.

''कोई भी शौहर शराब पीने के बाद गुस्से में अपनी पत्नी को तीन बार तलाक दे देता था और महिला की जिंदगी बरबाद कर देता था. इसमें औरत सही या गलत है कोई मायने नहीं रखता था. इसलिए तीन तलाक को खत्म करने का फैसला एक बहुत अच्छा फैसला था.''-नजमा खातुन

''नीतीश कुमार ने बाल विवाह पर सख्त कदम उठाए और लड़कियों की पढ़ाई के लिए बहुत काम किया. नीतीश के शासन काल में महिलाओं को सम्मान मिला और उन्हें पुरुषों के बराबर दर्जा मिला.''-सरवरी बेगम

''नीतीश कुमार ने ठीक काम किया है खासकर बच्चों के शिक्षा के क्षेत्र में और गरीबी कम करने के क्षेत्र में. तीन तलाक खत्म कर महिलाओं के हक में अच्छा काम किया गया है.''- अमिशा खातुन

अब तक कुल 14 चुनाव हुए

ठाकुरगंज विधानसभा सीट पर अब तक कुल 14 चुनाव (एक उपचुनाव) हुए हैं. इसमें 8 बार कांग्रेस पार्टी ने बाजी मारी है. जेडीयू, बीजेपी, जनता पार्टी, एलजेपी, जनता दल और समाजवादी पार्टी एक-एक बार चुनाव जीतने में सफल हुई हैं. साल 1995 में बीजेपी के सिकंदर सिंह ने कांग्रेस को मात दी थी. वर्तमान में इस सीट पर जेडीयू का कब्जा है. नौशाद आलम यहां के विधायक विधायक हैं, जो 2010 एलजेपी से चुनाव जीते थे.

ठाकुरगंज: मैंदान में दिग्गज

  1. नौशाद आलम, जेडीयू उम्मीदवार
  2. सऊद आलम, आरजेडी उम्मीदवार
  3. महबूब आलम, एआईएमआईएम उम्मीदवार

परिसीमन के बाद ठाकुरगंज विधानसभा में पोठिया प्रखंड को हटाकर दिघलबैंक प्रखंड की 14 पंचायतों को शामिल किया गया है. ठाकुरगंज की 22 पंचायत व दिघलबैंक प्रखंड की 14 पंचायत मिलाकर कुल 36 पंचायत इस विधानसभा में हैं. दिघलबैंक प्रखण्ड पहले 52 बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था.

⦁ वोटरों की संख्या: 257209

⦁ पुरुष: 52.5%

⦁ महिलाएं: 47.5%

ठाकुरगंज का समीकरण

बात करें यहां के मतदाताओं की तो किशनगंज जिले मे कुल 11 लाख 15 हजार 27 मतदाता हैं. जिसमें 5 लाख 41 हजार 444 महिला मतदाता हैं. वहीं, ठाकुरगंज विधानसभा में 2 लाख 57 हजार 209 मतदाता हैं. जिसमें 1 लाख 38 हजार 785 महिला वोटर हैं यानी की ठाकुरगंज के कुल मतदाता के 48 % महिला मतदाता है. इसलिए सभी पार्टी महिला वोटरों और उनके मुद्दे पर भी फोकस कर रहे हैं.

पढ़ें - तेजस्वी बिहार के सीएम बनते हैं तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा : राउत

2015 में नौशाद आलम ने मारी बाजी

वहीं, ठाकुरगंज विधानसभा सीट की बात करें तो 2015 के चुनाव में यहां से जनता दल (यूनाइटेड) के नौशाद आलम ने 74 हजार 239 वोट हासिल की और विजयी घोषित हुए. यहां से दूसरे नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा के गोपाल कुमार अग्रवाल रहे थे जिन्हें 66 हजार 152 वोट मिले थे. इस विधानसभा क्षेत्र से तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के फैयाज आलम जबकि चौथे नंबर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के अहमद हुसैन रहे थे. ठाकुरगंज विधानसभा में करीब 2 लाख 57 हजार 209 मतदाता हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां के वोटरों ने जमकर वोटिंग की. यहां करीब 70.5 फीसदी मतदान हुआ था.

  1. 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां से जेडीयू के नौशाद अली (41.23%) ने बाजी मारी थी.
  2. लोजपा के गोपाल कुमार अग्रवाल (36.74%) दूसरे स्थान पर रहे थे.
  3. समाजवादी पार्टी के फैयाज अली तीसरे पायदान पर थे.
  4. 2015 में करीब 70 फीसदी वोटिंग हुई थी.
Last Updated : Nov 1, 2020, 5:33 PM IST
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