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लॉकडाउन पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा- 23 लाख लोगों को दे रहे भोजन

देशभर में लॉकडाउन के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में दिहाड़ी मजदूरों के पलायन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. बता दें यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए हुई. मामले की अगली सुनवाई मंगलवार सात तारीख को होगी.

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दिहाड़ी मजदूरों के पलायन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
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Published : Mar 31, 2020, 12:46 PM IST

Updated : Mar 31, 2020, 3:11 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन है. इधर आज दिहाड़ी मजदूरों के पलायन को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अब अगली सुनवाई सात अप्रैल को होगी. बता दें यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिये की गई.

सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता एए श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई.

अधिवक्ता लॉकडाउन के बीच प्रवासी श्रमिकों को भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश मांग रहा है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अंतरराज्यीय प्रवास पर पूर्ण प्रतिबंध है.

उन्होंने कहा, अंतिम जनगणना के अनुसार लगभग 4.14 करोड़ व्यक्ति ऐसे थे जो काम के लिए पलायन कर चुके हैं. अब कोरोना भय के कारण बैकवर्ड माइग्रेशन हो रहा है.

पलायन इन लोगों के गांवों की आबादी के लिए जोखिम भरा होगा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि 22 लाख 88 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. यह जरूरतमंद व्यक्ति, प्रवासी और ग्रामीण लोग हैं. उन्हें आश्रयों में रखा गया है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. मामले पर सुनवाई को लेकर आज की तारीख तय की गई थी.

इससे पूर्व हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सरकार द्वारा पहले से ही जिन दिशा-निर्देशों का ध्यान रखा जा रहा है, उन्हें जारी करके हम भ्रम की स्थिति में नहीं जा सकते हैं. उन्हें स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने दें. कोर्ट ने सरकार को कल तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

आलोक श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में अपने-अपने गांवों में पैदल जा रहे प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों की दुर्दशा के लिए भोजन, पानी और आश्रय दिलाए जाने से संबंधित एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी.

शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि दहशत और भय की वजह से बहुत संख्या में कामगारों का पलायन कोरोनावायरस से कहीं ज्यादा बड़ी समस्या बन रहा है.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस स्थिति से निबटने के लिये सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों के बीच कोई निर्देश देकर भ्रम पैदा नहीं करना चाहती.

पीठ ने कामगारों के पलायन से उत्पन्न स्थिति को लेकर जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव और रश्मि बंसल से कहा कि इस मामले में वह केन्द्र की स्थिति रिपोर्ट का इंतजार करेगी.

केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये इन कामगारों के पलायन को रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और संबंधित राज्य सरकारों ने इस स्थिति से निबटने के लिये आवश्यक कदम उठाये हैं.

पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इन याचिकाओं को मंगलवार के लिये सूचीबद्ध कर दिया.

पढ़ें - ध्यान लगाकर खुद को व्यस्त रख रहे हैं केंद्रीय मंत्री अठावले

दरअसल, लॉकडाउन की घोषणा के बाद सबकुछ बंद हो गया. इस कारण दिहाड़ी मजदूर पैदल ही घरों की तरफ जाने लगे हैं. कई राज्यों की सरकारें मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए कई कदम उठा रही हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है.

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन है. इधर आज दिहाड़ी मजदूरों के पलायन को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अब अगली सुनवाई सात अप्रैल को होगी. बता दें यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिये की गई.

सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता एए श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई.

अधिवक्ता लॉकडाउन के बीच प्रवासी श्रमिकों को भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश मांग रहा है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अंतरराज्यीय प्रवास पर पूर्ण प्रतिबंध है.

उन्होंने कहा, अंतिम जनगणना के अनुसार लगभग 4.14 करोड़ व्यक्ति ऐसे थे जो काम के लिए पलायन कर चुके हैं. अब कोरोना भय के कारण बैकवर्ड माइग्रेशन हो रहा है.

पलायन इन लोगों के गांवों की आबादी के लिए जोखिम भरा होगा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि 22 लाख 88 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. यह जरूरतमंद व्यक्ति, प्रवासी और ग्रामीण लोग हैं. उन्हें आश्रयों में रखा गया है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. मामले पर सुनवाई को लेकर आज की तारीख तय की गई थी.

इससे पूर्व हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सरकार द्वारा पहले से ही जिन दिशा-निर्देशों का ध्यान रखा जा रहा है, उन्हें जारी करके हम भ्रम की स्थिति में नहीं जा सकते हैं. उन्हें स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने दें. कोर्ट ने सरकार को कल तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

आलोक श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में अपने-अपने गांवों में पैदल जा रहे प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों की दुर्दशा के लिए भोजन, पानी और आश्रय दिलाए जाने से संबंधित एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी.

शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि दहशत और भय की वजह से बहुत संख्या में कामगारों का पलायन कोरोनावायरस से कहीं ज्यादा बड़ी समस्या बन रहा है.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस स्थिति से निबटने के लिये सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों के बीच कोई निर्देश देकर भ्रम पैदा नहीं करना चाहती.

पीठ ने कामगारों के पलायन से उत्पन्न स्थिति को लेकर जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव और रश्मि बंसल से कहा कि इस मामले में वह केन्द्र की स्थिति रिपोर्ट का इंतजार करेगी.

केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये इन कामगारों के पलायन को रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और संबंधित राज्य सरकारों ने इस स्थिति से निबटने के लिये आवश्यक कदम उठाये हैं.

पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इन याचिकाओं को मंगलवार के लिये सूचीबद्ध कर दिया.

पढ़ें - ध्यान लगाकर खुद को व्यस्त रख रहे हैं केंद्रीय मंत्री अठावले

दरअसल, लॉकडाउन की घोषणा के बाद सबकुछ बंद हो गया. इस कारण दिहाड़ी मजदूर पैदल ही घरों की तरफ जाने लगे हैं. कई राज्यों की सरकारें मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए कई कदम उठा रही हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है.

Last Updated : Mar 31, 2020, 3:11 PM IST
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