मोबाइल दुष्प्रभाव : टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार हो रही प्रगति ने पूरी दुनिया को लोगों की जेब में रखे मोबाइल में बंद दिया है. आज के समय में बच्चों को पढ़ना हो, वयस्कों को ऑफ़िस के लिए डाक्यूमेन्ट तैयार करने हो या मीटिंग करनी हो, टीवी देखना हो, फिल्म देखनी हो, सत्संग देखना हो, खाना बनाना सीखना हो, पढ़ाई करना हो, इलेक्ट्रॉनिक चीजों के बारें में जानना हो, दुनिया के किसी भी कोने के बारे में जानना या वहां की भाषा सीखना हो, खेलना हो और यहां तक बीमार होने पर लक्षणों को देखते हुए क्या बीमारी हुई है और उसमें क्या क्या दवा खाई जा सकती है, सब कुछ मोबाइल से जाना जा सकता है.
कहने का तात्पर्य यह है कि कार्य चाहे जो भी हर उम्र के लोगों में मोबाइल देखने का समय काफी ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में बहुत लाजमी है कि आंखों के स्वास्थ्य को लेकर जोखिम भी काफी ज्यादा बढ़ गया है. क्योंकि मोबाइल के समक्ष जितना ज्यादा समय बिताया जाता है उतना ही वह ना सिर्फ आंखों बल्कि आंख के आसपास की मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचाता है. यहां तक कि इसके कारण व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य, उसकी क्षमताओं व सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है .
मोबाइल के नुकसान
हेल्दी आई क्लिनिक दिल्ली की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ संगीता भण्डारी बताती हैं कि आज के समय में सिर्फ वयस्कों ही नहीं बल्कि बच्चों और बुजुर्गों में भी मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल के चलते कई तरह की कम या ज्यादा गंभीर नेत्र समस्याओं के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. वह बताती हैं वैसे तो ज्यादातर लोग जानते हैं कि मोबाइल स्क्रीन ( डिजिटल स्क्रीन ) के समक्ष ज्यादा समय बिताने के चलते आंखों में ड्राइनेस की समस्या बढ़ जाती है लेकिन ज्यादा ज्यादा स्क्रीनटाइम के नुकसान सिर्फ आंखों में ड्राइनेस तक ही सीमित नहीं हैं.
मोबाइल के सिर्फ ज्यादा ही नहीं बल्कि गलत तरीके से इस्तेमाल करने के कारण भी कई तरह की समस्याएं बढ़ सकती हैं. दरअसल मोबाइल को आंखों के ज्यादा पास रखने, उसे कम या ज्यादा रोशनी में देखने, लेटकर या बैठ कर देखने तथा कई अन्य कारणों से भी आंखों पर पड़ने वाला जोर काफी ज्यादा बढ़ जाता हैं. और इसके कई बार गंभीर प्रभाव भी नजर आ सकते हैं, जैसे दृष्टि हानी, विजन में धुंधलापन, सिर में लगातार दर्द, पढ़ने में नजर केंद्रित करने में समस्या, आखों में खुजली व लगातार पानी आने की समस्या, आंखों में दर्द आदि. मोबाइल के समक्ष ज्यादा समय बिताने के चलते इनके अलावा अन्य कई गंभीर समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- अंधेरे या कम रोशनी में मोबाइल से निकलने वाली तेज रोशनी के कारण आंखों की पुतलियां और नसें सिकुड़ सकती हैं.
- लगातार सिरदर्द की समस्या बढ़ सकती है.
- विजन केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है.
- सामान्य विजन मे धुंधलापन बढ़ सकता है.
- कभी कभी मोबाइल से नजरे हटाकर कहीं ओर देखने पर आंखों में कुछ क्षणों के लिए ब्लैकआउट हो सकता है.
- आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ता है.
- चूंकि मोबाइल देखते समय ज्यादातर हमारी पलकें कम झपकती हैं ऐसे में आंखों में सूखापन बढ़ने लगता है, जिससे आंखों में खुजली और जलन की समस्या भी होने लगती है.
- किसी वस्तु को ध्यान से देखने तथा समूह में किसी एक चीज पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी महसूस हो सकती है.
- आंखे भारी महसूस होती है या कुछ भी देखने पर आंखों पर ज्यादा जोर महसूस होता है.
- मोतियाबिंद या अन्य नेत्र संबंधी रोगों में समस्या बढ़ सकती है.
जरूरी है सावधानियों व नियम का पालन
गौरतलब है कि बच्चों और वयस्कों में ही नहीं बुजुर्गों में भी मोबाइल की लत आजकल आमतौर पर देखने में आ जाती है. मोबाइल उनके समय को व्यतीत करने का सरल व मनोरंजन से भरपूर साथी बनता जा रहा है. एक तो वैसे ही ज्यादा उम्र में लोगों की दृष्टि कमजोर होने लगती है और साथ ही कई अन्य तरह की नेत्र संबंधी समस्याएं होने का जोखिम बढ़ जाता है. वहीं मोबाइल के समक्ष ज्यादा समय बिताना उनकी नेत्र संबंधी कई समस्याओं को बढ़ा भी सकता है.
Dr Sangeeta Bhandari Ophthalmologist बताती हैं कि बच्चे, वयस्क या बुजुर्ग सभी के लिए मोबाइल के दुष्प्रभाव से आंखों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ सावधानियों व नियम को अपनाना बेहद जरूरी है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- 20/20/20 नियम का पालन करें. यानि जब भी आप किसी भी काम के चलते स्मार्टफोन का इस्तेमाल बहुत देर तक करें तो हर 20 मिनट पर कुछ देर का ब्रेक लें और कम से कम 20 सेकंड के लिए कम से कम 20 फीट की किसी चीज को देखने की कोशिश करें.
- स्मार्टफोन में एंटी ग्लेयर स्क्रीन का इस्तेमाल करें. यदि फोन में एंटी ग्लेयर स्क्रीन ना हो तो ऐसे में एंटी ग्लेयर लेंस या चश्मे लगाए जा सकते हैं.
- अपने फोन और अपने चेहरे के बीच कम से कम 16 से 18 इंच की दूरी बना कर रखें.
- अंधेरे में स्मार्टफोन या लैपटॉप का इस्तेमाल ना करें.
- रात में फोन को डार्क मोड में ऑन करके उसका इस्तेमाल करें.
- स्मार्टफोन के स्क्रीन की ब्राइटनेस हमेशा संतुलित रखें यानि ना ज्यादा और ना ही कम .
- स्मार्टफोन की स्क्रीन को हमेशा साफ रखें.
- जहां तक संभव हो जब भी फोन का इस्तेमाल लंबी अवधि के लिए कुछ भी देखने के लिए करें तो हर आधे घंटे पर 10 से 20 बार पलकें झपकाएं.
आंखों के व्यायाम
Ophthalmologist Dr Sangeeta Bhandari बताती हैं कि नियमित तौर पर आँखों के व्यायाम करने से भी आंखों को काफी राहत मिल सकती हैं. आंखों के कुछ सरल व्यायाम इस प्रकार हैं.
- किसी कुर्सी या आरामदायक जगह पर बैठ कर अपने अंगूठे को आंखों के सामने लगभग 10 इंच की दूरी पर स्थिर करें. इसके बाद लगभग 10 सेकेंड के लिए उस पर ध्यान केंद्रित करें. अब दूर रखी किसी चीज पर लगभग 15 सेकेंड के लिए ध्यान केंद्रित करें. उसके बाद अपना ध्यान वापस अंगूठे पर लगाए.
- एक स्थान पर बैठ जाए. अपने दाहिने अंगूठे को अपने चेहरे से थोड़ी दूरी पर रखें और उस पर ध्यान केंद्रित करें. अब अपने अंगूठे इंफिनिटी के चिन्ह की लकीरों के अनुसार घुमाएं. इस दौरान हमारी निगाहें अंगूठे पर केंद्रित रहनी चाहिए और उसी के अनुसार घुमनी चाहिए. इस व्यायाम को क्लॉक वाइज और एंटी-क्लॉक वाइज एक बार में कम से कम 5 बार करना चाहिए.
- किसी भी स्थान पर बैठ या लेट जाएं. अब अपनी आँखों को जल्दी-जल्दी 10 से 15 बार झपकाएं. फिर अपनी आंखें बंद करें और 20 सेकेंड के लिए आराम करें.
- इस व्यायाम में अपनी आँखों को पहले 5 सेकेंड के लिए सख्ती से कसकर सिकोड़ते हुए बंद करें और फिर उन्हें बड़ा करके खोलें.
- अपने सिर को सीधा रखते हुए अपनी आईबॉल्स को पहले को बाएं से दाएं ओर बिल्कुल आँखों के किनारे तक देखते हुए ले जाना है. फिर इसी प्रक्रिया को दाई से बाई ओर दोहराना हैं.
- अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ें. जब उनमें गर्माहट महसूस होने लगे तो उन्हे आंखों पर रखें. हाथों को तब तक अपनी आंखों पर रखें, जब तक हथेलियों की गर्माहट कम न हो जाए.
डॉ संगीता बताती हैं कि आंखों की समस्या को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए और जैसे ही किसी भी प्रकार की परेशानी ज्यादा महसूस होने लगे तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. वरना सिर्फ दृष्टि दोष ही नहीं बल्कि कई गंभीर व स्थाई समस्याओं का जोखिम भी बढ़ सकता है. Mobile side effects . Eye sefty . Eye sefty from Mobile . Digital screen side effects .
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