वाराणसीः चैत्र नवरात्रि को लेकर शिव नगरी काशी देवीमय रही. 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन करने के लिए मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिली. आज काशी में नवरात्रि के अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री के कपाट को मंगला आरती के दर्शन के लिए खोल दिया गया. देर रात से ही मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए भक्तों की लाइन लगी थी. मां सिद्धिदात्री देवी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मैदागिन गोलघर के पास माता सिद्धिदात्री देवी का अति प्राचीन मंदिर है. माता को यश, विद्या, बुद्धि और बल की देवी के रूप में पूजा जाता है. माता को सभी सिद्धियों की दात्री कहा जाता है. नवरात्रि की नवमी को इनकी पूजा करने से ही नवरात्रि के व्रत को पूर्ण माना जाता है. नवमी को मां के दर्शन के लिए भक्त न केवल वाराणसी बल्कि दूरदराज के इलाकों से भी पहुंचते हैं. घंटों इंतजार करने के बाद भक्तों को माता सिद्धिदात्री के दर्शन का मौका मिला. मान्यता है कि नवरात्र के 8 दिन पूजन ना करने के बाद नौवें दिन माता सिद्धिदात्री का पूजन करने से नवरात्रि के 9 दिन की फल की प्राप्ति होती है.
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माता सिद्धिदात्री के दर्शन करने पहुंचीं मंजू मिश्रा ने बताया कि माता सिद्धिदात्री के दर्शन लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मैं पिछले 20 सालों से माता के दर्शन करते आ रही हूं. मेरे सारे कष्टों का निवारण माता के दर्शन से हो जाता है. वहीं, मोनिका ने बताया कि माता के दर्शन करने से यश में वृद्धि होती है और सिद्धि की प्राप्ति होती है. माता सिद्धिदात्री के महंत बच्चा लाल मिश्र ने बताया कि नवरात्रि के नौ दिन माता सिद्धिदात्री के दर्शन करने का विधान है.
मान्यता है कि नवरात्र के 8 दिन दर्शन-पूजन करने के बाद नौवें दिन माता सिद्धिदात्री के दर्शन करने से नवरात्रि के 9 दिन की फल की प्राप्ति होती है. महंत बच्चा लाल मिश्र ने बताया कि यहां पर जो भक्त दर्शन करने आता है. उसे सिद्धि प्राप्ति होती है और उसकी हर मनोकामनाएं पूरी होती है. मंदिर के विषय में उन्होंने बताया कि यह मंदिर अति प्राचीन है, इसका कहीं भी जिक्र नहीं मिलता है. महंत ने बताया कि 3 बजे भोर में मंगला आरती करने के बाद भक्तों के लिए मां के कपाट खोल दिए जाते हैं, जो 1 बजे दोपहर तक खुलेंगे. दोपहर 1-3 माता का श्रृंगार किया जाता है, उसके बाद रात्रि 12:30 बजे शयन आरती की जाती है.
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