वाराणसी: पानी में कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि के बाद अब गंगा में पॉल्यूशन बढ़ाने की आशंका के तहत केंद्र सरकार की एक विशेष टीम वाराणसी प्रयागराज और कानपुर में गंगा के पानी की गुणवत्ता की जांच करेगी. इसी क्रम में इन तीनों शहरों में पहुंचकर सीएसआईआर (CSIR) और आईआईटीआर (IITR) की टीमों ने वाटर सैंपलिंग की है. इसकी रिपोर्ट 15 दिनों बाद आने की संभावना है. जिससे यह पता चल पाएगा कि वास्तव में गंगा में प्रदूषण बढ़ा है या नहीं.
इन घाटों से लिया गंगाजल का नमूना
इस बारे में वाराणसी स्थित उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के डायरेक्टर कालिका सिंह का कहना है कि 1 टीम वाराणसी आई थी. कंट्रोल बोर्ड से वॉटर सैंपल की डिमांड की गई. जिसके बाद हमारी टीम ने डाउनस्ट्रीम से और अपस्ट्रीम में वाराणसी और चंदौली बॉर्डर पर स्थित कैथी गांव से गंगा के पानी का सैंपल कलेक्ट कर के उनको दिया है. इसके अलावा प्रयागराज, कानपुर में भी इस टीम ने वाटर कलेक्शन किया है.
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उन्होंने बताया कि गंगाजल का सैंपल लेने के लिए लखनऊ स्थित भारतीय विश्व विज्ञान अनुसंधान की 3 सदस्यीय टीम यूपी के इन तीनों शहरों में आई थी. इस टीम ने प्रयागराज स्थित श्रृंगवेरपुर घाट पर भी वाटर सैंपलिंग की है. वहीं कानपुर, उन्नाव से रौतापुरा श्मशान घाट पर चार स्थानों से गंगाजल के नमूने एकत्र किए गए हैं. यह टीम वाटर सैम्पलिंग के बाद लखनऊ लौट चुकी है और लिए गए सैंपल की जांच के बाद इसकी रिपोर्ट सीपीसीबी (CPCB) को सौंपी जाएगी. जिसके बाद यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने पास मौजूद पुराने आंकड़ों से इसका मिलान कर वास्तविकता परखेगा.
गंगा में मिले शव से बढ़ी आशंका
दरअसल वाराणसी समेत कानपुर, प्रयागराज, गाजीपुर, बलिया और कई शहरों में बीते दिनों बड़ी संख्या में गंगा नदी के किनारे सैकड़ों की संख्या में शव मिले थे. गंगा किनारे शवों को दफनाया भी गया है. दाह संस्कार भी बड़ी मात्रा में हुए हैं, जिसके बाद आशंका जताई जा रही है कि गंगा में जल प्रदूषण की संभावना बढ़ी है. इस वजह से केंद्र सरकार ने काउंसिल फॉर साइंटिफिक इंडस्ट्रियल रिसर्च इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च लखनऊ की संयुक्त टीम को काशी, प्रयागराज और कानपुर में गंगा के पानी की जांच और उसकी गुणवत्ता परखने के लिए लगाया है.