घाट किनारे रहने वालों की बढ़ी मुश्किलें, फिर से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर
वाराणसी में गंगा का जलस्तर (Ganga's water level) एक बार फिर बढ़ने लगा है. आलम यह है कि गंगा के घाटों का संपर्क एक बार फिर से एक दूसरे से टूट गया है. गंगा का जलस्तर प्रति घंटे 2 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है, जिससे तटवर्ती इलाकों में फिर से एक बार मुश्किलें बढ़ सकती हैं. लोग भी गंगा के जलस्तर के बढ़ने से फिर से निराश हो गए हैं.
फिर से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर
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Published : Sep 16, 2021, 2:17 PM IST
वाराणसी: सावन का महीना आने के साथ ही गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है और गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ गंगा से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों की धड़कनें भी बढ़ना शुरू हो जाती हैं. इस बार तो गंगा ने सावन की शुरुआत में ही अपना वह रौद्र रूप दिखाया, जिसने लोगों की नींद उड़ा कर रख दी. अचानक से गंगा का जलस्तर वाराणसी में पहले वार्निंग लेवल और फिर खतरे के निशान को पार करते हुए काफी आगे बढ़ गया. महज 1 सप्ताह के अंदर ही गंगा ने तबाही मचा कर रख दी थी. इसके साथ ही उसकी सहायक नदी वरुणा का जलस्तर बढ़ने लगा और तटीय इलाके पूरी तरह जलमग्न हो गए. हालांकि लगभग 15 दिन पहले हालात सुधरने लगे और गंगा का जलस्तर नीचे जाने लगा, लेकिन एक बार फिर से गंगा ऊपर की तरफ बढ़ने लगी है. काशी में गंगा का जलस्तर नीचे जाने के बाद फिर से घाटों का रुख कर रहा है, जिसकी वजह से घाट किनारे रहने वाले लोग और गंगा उसे अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें भी आने लगी हैं.
फिर से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर.
केंद्रीय जल आयोग (central water commission) की माने तो वर्तमान में गंगा का जलस्तर स्थिर हो गया है, लेकिन दो दिन तक गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के बाद अचानक से घटाव होना शुरू हुआ था और फिर गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा, जिसके बाद अब गंगा के जलस्तर में स्थिरता आई है. हालांकि अभी लगातार पहाड़ों पर हो रही बारिश और मध्य प्रदेश समेत उत्तराखंड में कई बांधों के खोले जाने की वजह से गंगा के जलस्तर में फिर से बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है.
वाराणसी के गंगा घाट (Varanasi Ganga Ghat) किनारे रहने वाले लोगों का भी साफ तौर पर कहना है कि यह गंगा का ट्रेंड रहा है. पहले गंगा बढ़ती है फिर घटती है फिर बढ़ती है और फिर अचानक से घटना शुरू हो जाती हैं, लेकिन इस बार सावन के महीने में ही गंगा ने जो रौद्र रूप दिखाया, उसके बाद अब लोगों में डर साफ दिखाई दे रहा है. गंगा किनारे रह कर अपनी जीविका चलाने वाले पुजारियों के सामने बड़ा संकट है. गंगा घाट पर पूजा पाठ कराने वाले पुजारियों का कहना है कि गंगा एक बार फिर से बढ़ने लगी हैं. लगभग 6 फीट पानी ऊपर चढ़ा, जिसके बाद लोगों के सामने फिर से रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. वहीं गंगा में तेज बहाव और हवा के तेज रुख की वजह से इतनी ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं. नाविकों के सामने भी बड़ा संकट है.
हाल ही में प्रशासन ने गंगा में नौका संचालन की इजाजत तो दी है, लेकिन फिर से गंगा के जलस्तर में वृद्धि और घाटों के संपर्क टूटने के डर से नाविकों के मन में भी डर समा गया है. घाट किनारे रहने वाले पंडा-पुजारी और नाविकों का साफ तौर पर कहा है कि गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी फिर से होने की वजह से डर सता रहा है कि गंगा कहीं फिर से 15-20 दिन पहले की स्थिति में न आ जाए, क्योंकि पीछे से लगातार पानी आ रहा है. इसके कारण गंगा का जलस्तर फिर से बढ़ने की आशंका भी बढ़ती जा रही है.
वहीं घाटों पर जमा मिट्टी की सफाई के बाद एक बार फिर से गंगा के ऊपर आने की आशंका के बीच घाटों के संपर्क टूटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. कई स्थानों पर घाट पर पानी आ चुका है और एक दूसरे से घाट टूटने लगे हैं. एक बार फिर से मंदिरों तब भी पानी पहुंचने लगा है और घाट किनारे मौजूद कई मंदिर भी गंगा की गोद में समा रहे हैं. फिलहाल बढ़ाव के बाद गंगा का पानी स्थिर तो हुआ है, लेकिन आशंका अभी फिर से बढ़ोतरी की बनी हुई है.
वाराणसी: सावन का महीना आने के साथ ही गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है और गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ गंगा से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों की धड़कनें भी बढ़ना शुरू हो जाती हैं. इस बार तो गंगा ने सावन की शुरुआत में ही अपना वह रौद्र रूप दिखाया, जिसने लोगों की नींद उड़ा कर रख दी. अचानक से गंगा का जलस्तर वाराणसी में पहले वार्निंग लेवल और फिर खतरे के निशान को पार करते हुए काफी आगे बढ़ गया. महज 1 सप्ताह के अंदर ही गंगा ने तबाही मचा कर रख दी थी. इसके साथ ही उसकी सहायक नदी वरुणा का जलस्तर बढ़ने लगा और तटीय इलाके पूरी तरह जलमग्न हो गए. हालांकि लगभग 15 दिन पहले हालात सुधरने लगे और गंगा का जलस्तर नीचे जाने लगा, लेकिन एक बार फिर से गंगा ऊपर की तरफ बढ़ने लगी है. काशी में गंगा का जलस्तर नीचे जाने के बाद फिर से घाटों का रुख कर रहा है, जिसकी वजह से घाट किनारे रहने वाले लोग और गंगा उसे अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें भी आने लगी हैं.
फिर से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर.
केंद्रीय जल आयोग (central water commission) की माने तो वर्तमान में गंगा का जलस्तर स्थिर हो गया है, लेकिन दो दिन तक गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के बाद अचानक से घटाव होना शुरू हुआ था और फिर गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा, जिसके बाद अब गंगा के जलस्तर में स्थिरता आई है. हालांकि अभी लगातार पहाड़ों पर हो रही बारिश और मध्य प्रदेश समेत उत्तराखंड में कई बांधों के खोले जाने की वजह से गंगा के जलस्तर में फिर से बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है.
वाराणसी के गंगा घाट (Varanasi Ganga Ghat) किनारे रहने वाले लोगों का भी साफ तौर पर कहना है कि यह गंगा का ट्रेंड रहा है. पहले गंगा बढ़ती है फिर घटती है फिर बढ़ती है और फिर अचानक से घटना शुरू हो जाती हैं, लेकिन इस बार सावन के महीने में ही गंगा ने जो रौद्र रूप दिखाया, उसके बाद अब लोगों में डर साफ दिखाई दे रहा है. गंगा किनारे रह कर अपनी जीविका चलाने वाले पुजारियों के सामने बड़ा संकट है. गंगा घाट पर पूजा पाठ कराने वाले पुजारियों का कहना है कि गंगा एक बार फिर से बढ़ने लगी हैं. लगभग 6 फीट पानी ऊपर चढ़ा, जिसके बाद लोगों के सामने फिर से रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. वहीं गंगा में तेज बहाव और हवा के तेज रुख की वजह से इतनी ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं. नाविकों के सामने भी बड़ा संकट है.
हाल ही में प्रशासन ने गंगा में नौका संचालन की इजाजत तो दी है, लेकिन फिर से गंगा के जलस्तर में वृद्धि और घाटों के संपर्क टूटने के डर से नाविकों के मन में भी डर समा गया है. घाट किनारे रहने वाले पंडा-पुजारी और नाविकों का साफ तौर पर कहा है कि गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी फिर से होने की वजह से डर सता रहा है कि गंगा कहीं फिर से 15-20 दिन पहले की स्थिति में न आ जाए, क्योंकि पीछे से लगातार पानी आ रहा है. इसके कारण गंगा का जलस्तर फिर से बढ़ने की आशंका भी बढ़ती जा रही है.
वहीं घाटों पर जमा मिट्टी की सफाई के बाद एक बार फिर से गंगा के ऊपर आने की आशंका के बीच घाटों के संपर्क टूटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. कई स्थानों पर घाट पर पानी आ चुका है और एक दूसरे से घाट टूटने लगे हैं. एक बार फिर से मंदिरों तब भी पानी पहुंचने लगा है और घाट किनारे मौजूद कई मंदिर भी गंगा की गोद में समा रहे हैं. फिलहाल बढ़ाव के बाद गंगा का पानी स्थिर तो हुआ है, लेकिन आशंका अभी फिर से बढ़ोतरी की बनी हुई है.