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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: हर पोलिंग बूथ पर लगेगी वीवीपैट मशीनें

2022 के चुनाव में ईवीएम को लेकर में फिर से गड़बड़ी की बातें सामने न आएं इसके लिए इस बार प्रदेश भर में सभी पोलिंग बूथों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन भी लगाई जाएगी. इसी क्रम में आमजन को जागरुक करने के लिए वाराणासी जिला निर्वाचन विभाग की ओर से एक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत वाराणासी विकास भवन में कैम्प लगाया गया है. यहां आने-जाने वाले लोगो को वीवीपैट मशीन और उसके उपयोग के बारे में बताया जा रहा है.

यूपी विधानसभा चुनाव में वीवीपैट मशीन
यूपी विधानसभा चुनाव में वीवीपैट मशीन
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Published : Jan 4, 2022, 3:52 PM IST

वाराणसी: 2022 के चुनाव में ईवीएम को लेकर के किसी प्रकार का कोई संदेह न हो और फिर से ईवीएम का मुद्दा तुलना पकड़े इसको लेकर उत्तर प्रदेश में पहली बार प्रदेश की सभी पोलिंग बूथों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन भी लगाई जाएगी. इसके जरिए यह पारदर्शिता बनी रहेगी कि वोट किस पार्टी को दिया गया है और किसे जा रहा है. इसी क्रम में लोगों को जागरूक करने के लिए वाराणसी के विकास भवन में भी डेमो ईवीएम सेट लगाया गया है, जिसके तहत लोगों को जागरुक किया जा रहा है कि किस तरीके से वह वीवीपैट का प्रयोग कर सकते हैं.

कैम्प के जरिये लोगों को किया जा रहा जागरूक

गौरतलब हो कि बीते कई चुनावों में ईवीएम को लेकर के काफी विवाद हुआ और इसकी सत्यता पर भी सवाल उठाए गए. जिसके बाद जोरों से वीवीपैट मशीन लगाने की मांग की जा रही थी और इसी के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी बूथों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन के जरिए चुनाव संपन्न कराए जाने का निर्णय लिया गया है. इसी क्रम में आमजन को जागरुक करने के लिए वाराणासी जिला निर्वाचन विभाग की ओर से एक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत वाराणासी विकास भवन में कैम्प लगाया गया है. यहां आने-जाने वाले लोगो को वीवीपैट मशीन और उसके उपयोग के बारे में बताया जा रहा है. जिससे लोग चुनाव में पारदर्शिता के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें.

हर पोलिंग बूथ पर लगेगी वीवीपैट मशीनें

कैसे काम करती है वीवीपैट मशीन

यहां मौजूद ट्रेनर ने बताया कि वीवीपैट को वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल कहते हैं. यह इस बात की पुष्टि करता है कि किस उम्मीदवार को वोट गया है. उन्होंने बताया कि जब कोई भी व्यक्ति ईवीएम में किसी कैंडिडेट के नाम के सामने का बटन दबाकर उसे वोट देता है तो वीवीपैट की स्क्रीन पर 7 सेकंड तक उस उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह छपा होता है. इससे स्पष्ट होता है कि जिसके लिए बटन दबाया गया है उसे वोट गया है या फिर कहीं और. उन्होंने बताया कि पारदर्शिता के साथ चुनाव कराने का यह बेहतरीन और सुरक्षित माध्यम माना जाता है.

इसे भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी रोकने के लिए सीधे लाइव मॉनीटरिंग करेगा आयोग, ये है एक्शन प्लान

नागालैंड में पहली बार हुआ था इस्तेमाल

वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2013 में नागालैंड की नोकसेन सीट पर हुए उपचुनाव में हुआ था और उसके बाद कई छोटे चुनावों में भी वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद भारत में 2017 में गोवा के चुनाव में, यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में कुछ बूथों पर इसका इस्तेमाल किया गया था.

वाराणसी: 2022 के चुनाव में ईवीएम को लेकर के किसी प्रकार का कोई संदेह न हो और फिर से ईवीएम का मुद्दा तुलना पकड़े इसको लेकर उत्तर प्रदेश में पहली बार प्रदेश की सभी पोलिंग बूथों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन भी लगाई जाएगी. इसके जरिए यह पारदर्शिता बनी रहेगी कि वोट किस पार्टी को दिया गया है और किसे जा रहा है. इसी क्रम में लोगों को जागरूक करने के लिए वाराणसी के विकास भवन में भी डेमो ईवीएम सेट लगाया गया है, जिसके तहत लोगों को जागरुक किया जा रहा है कि किस तरीके से वह वीवीपैट का प्रयोग कर सकते हैं.

कैम्प के जरिये लोगों को किया जा रहा जागरूक

गौरतलब हो कि बीते कई चुनावों में ईवीएम को लेकर के काफी विवाद हुआ और इसकी सत्यता पर भी सवाल उठाए गए. जिसके बाद जोरों से वीवीपैट मशीन लगाने की मांग की जा रही थी और इसी के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी बूथों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन के जरिए चुनाव संपन्न कराए जाने का निर्णय लिया गया है. इसी क्रम में आमजन को जागरुक करने के लिए वाराणासी जिला निर्वाचन विभाग की ओर से एक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत वाराणासी विकास भवन में कैम्प लगाया गया है. यहां आने-जाने वाले लोगो को वीवीपैट मशीन और उसके उपयोग के बारे में बताया जा रहा है. जिससे लोग चुनाव में पारदर्शिता के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें.

हर पोलिंग बूथ पर लगेगी वीवीपैट मशीनें

कैसे काम करती है वीवीपैट मशीन

यहां मौजूद ट्रेनर ने बताया कि वीवीपैट को वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल कहते हैं. यह इस बात की पुष्टि करता है कि किस उम्मीदवार को वोट गया है. उन्होंने बताया कि जब कोई भी व्यक्ति ईवीएम में किसी कैंडिडेट के नाम के सामने का बटन दबाकर उसे वोट देता है तो वीवीपैट की स्क्रीन पर 7 सेकंड तक उस उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह छपा होता है. इससे स्पष्ट होता है कि जिसके लिए बटन दबाया गया है उसे वोट गया है या फिर कहीं और. उन्होंने बताया कि पारदर्शिता के साथ चुनाव कराने का यह बेहतरीन और सुरक्षित माध्यम माना जाता है.

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नागालैंड में पहली बार हुआ था इस्तेमाल

वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2013 में नागालैंड की नोकसेन सीट पर हुए उपचुनाव में हुआ था और उसके बाद कई छोटे चुनावों में भी वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद भारत में 2017 में गोवा के चुनाव में, यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में कुछ बूथों पर इसका इस्तेमाल किया गया था.

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