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वाराणसी: तेरहवीं बरसी पर याद किये गये भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

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Published : Aug 22, 2019, 9:17 AM IST

यूपी के वाराणसी में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को उनके तेरहवीं बरसी पर याद किया गया. श्रद्धांजलि सभा में परिवार वालों ने कहा कि केन्द्र और राज्य की सरकार ने बहुत से वादे किये थे. आज तक उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ.

याद किये गये भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान.

वाराणसी: गंगा-जमुनी तहजीब की नगरी काशी के संगीत घराने की शान उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की आज तेरहवीं बरसी मनायी गई. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि काशी को संगीत घरानों की नगरी माना जाता है क्योंकि यहां पर विभिन्न घरानों के जो संगीतज्ञ हुए उन्होंने पूरे देश में नाम कमाया.

याद किये गये भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान.
याद किये गये उस्ताद बिस्मिल्लाह खान -दरअसल, आज ही के दिन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खांन वर्ष 2006 में दुनिया को अलविदा कह गए थे. बिस्मिल्लाह खान के तेरहवीं बरसी पर सिगरा स्थित फातमान पर परिजनों ने उनके मकबरे पर पुष्प अर्पित कर उनको याद किया. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने शहनाई की विधा को विश्व में नाम दिलाया. खान साहब को संगीत की सभी उपाधियों से अलग-अलग समय पर सम्मानित भी किया गया. 2002 में खान साहब और लता मंगेशकर को एक साथ महान उपाधि भारत रत्न से नवाजा गया.वादे से मुकरी सरकार-यूपी और केंद्र की सरकार ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के निधन के बाद उनका मकबरा संगमरमर के पत्थरों से बनवाने का वादा किया था. उस्ताद के नाम पर संगीत अकादमी खोलने की भी बात की गई थी. कैंट रेलवे स्टेशन पर उनकी एक भव्य प्रतिमा लगाने का वादा किया गया था. रेलवे स्टेशनों पर उनके शहनाई की धुन बजाने की बात कही गई थी. लेकिन इनमें कोई वादा पूरा नहीं हुआ जिसे लेकर आज भी सरकारों के प्रति उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के परिवार वालों में नाराजगी साफ दिखाई देती है.

वाराणसी: गंगा-जमुनी तहजीब की नगरी काशी के संगीत घराने की शान उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की आज तेरहवीं बरसी मनायी गई. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि काशी को संगीत घरानों की नगरी माना जाता है क्योंकि यहां पर विभिन्न घरानों के जो संगीतज्ञ हुए उन्होंने पूरे देश में नाम कमाया.

याद किये गये भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान.
याद किये गये उस्ताद बिस्मिल्लाह खान -दरअसल, आज ही के दिन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खांन वर्ष 2006 में दुनिया को अलविदा कह गए थे. बिस्मिल्लाह खान के तेरहवीं बरसी पर सिगरा स्थित फातमान पर परिजनों ने उनके मकबरे पर पुष्प अर्पित कर उनको याद किया. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने शहनाई की विधा को विश्व में नाम दिलाया. खान साहब को संगीत की सभी उपाधियों से अलग-अलग समय पर सम्मानित भी किया गया. 2002 में खान साहब और लता मंगेशकर को एक साथ महान उपाधि भारत रत्न से नवाजा गया.वादे से मुकरी सरकार-यूपी और केंद्र की सरकार ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के निधन के बाद उनका मकबरा संगमरमर के पत्थरों से बनवाने का वादा किया था. उस्ताद के नाम पर संगीत अकादमी खोलने की भी बात की गई थी. कैंट रेलवे स्टेशन पर उनकी एक भव्य प्रतिमा लगाने का वादा किया गया था. रेलवे स्टेशनों पर उनके शहनाई की धुन बजाने की बात कही गई थी. लेकिन इनमें कोई वादा पूरा नहीं हुआ जिसे लेकर आज भी सरकारों के प्रति उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के परिवार वालों में नाराजगी साफ दिखाई देती है.
Intro:एंकर: गंगा जमुनी तहजीब की नगरी काशी के संगीत घराने की शान उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की आज तेरहवीं बरसी मनाई गई हालांकि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वाराणसी या काशी को संगीत घरानों की नगरी माना जाता है क्योंकि यहां पर विभिन्न घरानों के जो संगीतज्ञ हुए उन्होंने पूरे देश में नाम कमाया आज बिस्मिल्लाह खां की बरसी में किसी भी संगीत घराने का कोई भी व्यक्ति नहीं पहुंच पाया जिसकी वजह से बिस्मिल्लाह खान के परिवार के लोग बेहद ही मायूस नजर आए।


Body:वीओ: दरअसल आज ही के दिन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां वर्ष 2006 में दुनिया को अलविदा कह चले गए बिस्मिल्लाह खान के 13 वीं बरसी पर आज फातमान कब्रिस्तान में उनके कब्र पर उनके परिवार के लोग और उनके चहेतों ने श्रद्धांजलि दी सिगरा स्थित फातमान पर भारत रत्न मशहूर बिस्मिल्लाह खान की पुण्यतिथि पर परिजनों ने उनके मकबरे पर पुष्प अर्पित किया बता दें कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जिन्होंने शहनाई की विधा को विश्व में नाम दिलाया और संगीत की सभी उपाधियों से खान साहब को अलग-अलग समय पर सम्मानित भी किया गया 2002 में खान साहब और लता मंगेशकर को एक साथ भारत रत्न जैसी महान उपाधि से नवाजा गया।


Conclusion:वीओ: यूपी और केंद्र की सरकार ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के निधन के बाद उनका मकबरा संगमरमर के पत्थरों से बनवाने का वादा किया था वही उस्ताद के नाम पर संगीत अकादमी खोलने की भी बात की गई थी कैंट रेलवे स्टेशन पर उनकी एक भव्य प्रतिमा लगाने का वादा किया गया था तो काशी और उस्ताद के रिश्तो को बताता साथ ही रेलवे स्टेशनों पर उनके शहनाई की धुन बजाने की बात कही गई थी लेकिन इनमें कोई वादा पूरा नहीं हुआ जिसे लेकर आज भी सरकारों के प्रति उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के परिवार वालों में नाराजगी साफ दिखाई देती है।

बाइट: शकील अहमद
बाइट: हैदर (पौत्र)

अमित दत्ता वाराणसी
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