वाराणसी: 2022 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है. राजनीतिक दल कहीं धर्म तो कहीं मजहब और कहीं विकास के नाम पर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. जातियों को साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहा है. हर जातिगत पार्टी अपनी जातियों को एकजुट करने में लगी है, लेकिन सबकी निगाह सवर्ण वोट बैंक पर टिकी हुई है. सवर्णों में भी 23% ब्राह्मण उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दिशा को बदलने की पूरी ताकत रखते हैं और यही वजह है कि एक तरफ जहां बसपा ने प्रबुद्ध जन सम्मेलन करके ब्राह्मणों को एकजुट करने की कोशिश की तो समाजवादी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ने भी ब्राह्मणों को अपने साथ लेकर चलने का पूरा प्रयास शुरू किया, लेकिन ब्राह्मणों ने तो लग रहा है और कोई ही प्लान बना रखा है, क्योंकि अब ब्राह्मणों को यह समझ में आ गया है कि उन्हें सिर्फ वोट बैंक नहीं बन कर रहना है, बल्कि किसी भी सियासी दल के लिए किंग मेकर की भूमिका निभानी है और इस किंग मेकर की भूमिका निभाने के लिए आज बुद्धिजीवियों के शहर बनारस में ब्राह्मण एकजुट हुए.
उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में ब्राह्मणों का जुटान हुआ और ब्राह्मणों के साथ हो रहे पॉलिटिकल गेम को समझते हुए सभी ने एक ही बात कही जो बढ़ाएगा हाथ, ब्राह्मण का आशीर्वाद होगा उसी के साथ.
दरअसल, वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आज प्रदेश सहित पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्से से बड़ी संख्या में ब्राह्मणों की जुटान हुई थी. इसका मकसद आने वाले विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों की ताकत दिखाना था. ओम श्री लोकहित मनोमन्थन के बैनर तले बड़ी संख्या में जौनपुर, गाजीपुर, सोनभद्रज़ बलिया, मऊ, आजमगढ़, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई समेत प्रदेश के अलग-अलग हिस्से से बड़ी संख्या में ब्राह्मणों का यहां पर मिलना हुआ. ब्राह्मण सम्मेलन के नाम पर मंच पर कई बड़े ब्राह्मण चेहरों को बैठाने के साथ ही कई महंत और संत भी आए. इन सबका मकसद सिर्फ इतना था कि ब्राह्मणों की ताकत दिखाई जा सके.
इस संगठन के पदाधिकारियों ने ब्राह्मणों को सिर्फ वोट बैंक समझकर हो रही राजनीति पर इस सम्मेलन के आयोजन की बात कही. सभी का कहना था कि जिस तरह से आज ब्राह्मण को सिर्फ वोट बैंक समझ कर उसका इस्तेमाल किया जा रहा है. चुनावों में ब्राह्मणों को याद करके उनको एकजुट करके सिर्फ वोट लेने की राजनीति हो रही है. वह अब ब्राह्मण बर्दाश्त नहीं करेंगे. ब्राह्मणों को यह समझ में आ चुका है कि उनका देश और प्रदेश की सत्ता में क्या दखल है. इसलिए अब किंग मेकर की भूमिका में ब्राह्मण खड़ा होना चाह रहा है.
ब्राह्मणों में एकता की कमी की वजह से अक्सर लोग इसका राजनीतिक फायदा उठाते हैं, लेकिन अब ऐसे संगठन की मदद से ब्राह्मणों को एकजुट करके ब्राम्हण अपनी बात रखेंगे. बेरोजगारी महंगाई विकास व अन्य मुद्दों पर ब्राह्मणों को भी उनका हक मिलना चाहिए. आज जिस तरह से ब्राह्मणों का इस्तेमाल करके सरकारें बन जाती हैं और फिर कोई ब्राह्मण को पूछता नहीं है वह चिंता के विषय है यही वजह है कि हर दल ब्राह्मणों का सिर्फ इस्तेमाल करके ब्राह्मणों का लाभ लेता है, लेकिन अब ऐसे कार्यक्रमों की मदद से अलग-अलग जिलों में ब्राह्मणों को एकजुट करके चुनाव में ब्राह्मणों की अहमियत बताने का काम किया जाएगा.
इसे भी पढे़ं- मुजफ्फरनगर: भाजपा विधायक के खिलाफ ब्राह्मण समाज का प्रदर्शन