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एडवांस मणिकर्णिका महाश्मशान घाट पर 'मोक्ष' के लिए करना पड़ रहा इंतजार

काशी विश्वनाथ धाम निर्माण के साथ महाश्मशान मणिकर्णिका घाट भी एडवांस हो गया है. लेकिन यहां दाह संस्कार के लिए पहले से अधिक लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. क्योंकि यहां सीमित संख्या में प्लेटफार्म बनाए गए हैं.

मणिकर्णिका महाश्मशान घाट पर अव्यवस्था.
मणिकर्णिका महाश्मशान घाट पर अव्यवस्था.
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Published : Jun 21, 2022, 4:29 PM IST

वाराणसी: काशी में मरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी धारणा के साथ बहुत से लोग काशी में आकर अपने प्राण छोड़ते हैं. लेकिन जिन लोगों को काशी में मृत्यु प्राप्त नहीं होती, उनको उनके परिजन काशी में मोक्ष की चाह के साथ दाह संस्कार के लिए ले कर आते हैं. ऐसे में काशी के मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर अंतिम संस्कार के बाद शिवलोक मिलता है.

यही वजह है कि काशी के महाशमशान मणिकर्णिका पर सिर्फ बनारस और पूर्वांचल ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में शव आते हैं. लेकिन समय के साथ महाश्मशान मणिकर्णिका भी एडवांस हो गया है. पहले जहां जमीन पर डेड बॉडी के दाह संस्कार होता था.वहीं, अब कम लकड़ी में कम पल्यूशन के साथ दाह संस्कार की व्यवस्था के लिए अलग-अलग प्लेटफार्म बनाया गया है. जबकि यह प्लेटफार्म महाश्मशान घट पर ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं. हालात यह हैं कि सिर्फ 18 प्लेटफार्म यहां आने वाली सैकड़ों शवों के संस्कार के लिए नाकाफी हैं. जिसकी वजह से कई बार यहां पर वेटिंग की स्थिति बन जाती है.

मणिकर्णिका महाश्मशान घाट पर अव्यवस्था.

दरअसल, काशी में मणिकर्णिका घाट महाश्मशान के रूप में जाना जाता है. इस घाट पर पहले पर एक बार में 100 से ज्यादा शवों के दाह संस्कार की व्यवस्था थी. लेकिन श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद मणिकर्णिका घाट के जीर्णोद्धार का काम भी तेजी से शुरू हुआ. इसके बाद घाट को मॉडर्न तरीके से डेवेलप करने के साथ अलग-अलग हिस्से में बांट कर दाह संस्कार के लिए टोटल अट्ठारह प्लेटफार्म बना दिए गए. जबकि यह प्लेटफार्म यहां आने वाले शवों के दाह संस्कार के लिए पर्याप्त नहीं है. ऐसा स्थानीय लोगों के साथ दाह संस्कार के लिए आने वाले परिजनों का भी मानना है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले एक बार में यहां 50 से 60 डेड बॉडीज को जलाने की व्यवस्था रहती थी. लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद गिनती के प्लेटफार्म बने होने की वजह से कई बार जब डेड बॉडीज ज्यादा आती है और लोड बढ़ जाता है तो लोगों को इंतजार करना पड़ता है. बहुत ज्यादा गर्मी में दोपहर के बाद जब शाम को ज्यादा बॉडी आने लगती हैं तो 1 से 2 घंटे की वेटिंग की स्थिति बन जाती है. इसलिए जरूरी है कि प्लेटफार्म की संख्या बढ़ाई जाए. वर्तमान समय में 18 में से 12 प्लेटफार्म तो काम कर रहे हैं. अभी सभी प्लेटफार्म पर काम पूरा ना होने की वजह से इन पर भी संस्कार नहीं हो पा रहा है. जिसकी वजह से दिक्कतें और हो रही हैं.

इसे भी पढ़ें-विश्वनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को जल्द मिलेगी शुद्ध हवा, विदेशों की तर्ज पर प्लान तैयार

दाह संस्कार के लिए आने वाले परिजनों का कहना है कि लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. उन्हें परेशानी न हो और जल्द वह दाह संस्कार संपन्न कर वापस लौटे, इसके लिए यहां प्लेटफार्म बढ़ाने की जरूरत है. जब इतना मॉडर्न किया जा रहा है तो लोगों की दिक्कतों को भी ध्यान में रखना चाहिए.

वहीं, नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि वाराणसी में कई विकास कार्य चल रहे हैं. काशी विश्वनाथ धाम के साथ ही मणिकर्णिका घाट पर विकास का काम अभी जारी है. अभी प्लेटफार्म लगाए गए हैं व साफ सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए वहां पर विशेष टीम तैनात करने की तैयारी की जा रही है. जरूरत के हिसाब से प्लेटफार्म की संख्या बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, यदि परेशानी है तो उसके समाधान के लिए कोशिश की जाएगी.

वाराणसी: काशी में मरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी धारणा के साथ बहुत से लोग काशी में आकर अपने प्राण छोड़ते हैं. लेकिन जिन लोगों को काशी में मृत्यु प्राप्त नहीं होती, उनको उनके परिजन काशी में मोक्ष की चाह के साथ दाह संस्कार के लिए ले कर आते हैं. ऐसे में काशी के मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर अंतिम संस्कार के बाद शिवलोक मिलता है.

यही वजह है कि काशी के महाशमशान मणिकर्णिका पर सिर्फ बनारस और पूर्वांचल ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में शव आते हैं. लेकिन समय के साथ महाश्मशान मणिकर्णिका भी एडवांस हो गया है. पहले जहां जमीन पर डेड बॉडी के दाह संस्कार होता था.वहीं, अब कम लकड़ी में कम पल्यूशन के साथ दाह संस्कार की व्यवस्था के लिए अलग-अलग प्लेटफार्म बनाया गया है. जबकि यह प्लेटफार्म महाश्मशान घट पर ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं. हालात यह हैं कि सिर्फ 18 प्लेटफार्म यहां आने वाली सैकड़ों शवों के संस्कार के लिए नाकाफी हैं. जिसकी वजह से कई बार यहां पर वेटिंग की स्थिति बन जाती है.

मणिकर्णिका महाश्मशान घाट पर अव्यवस्था.

दरअसल, काशी में मणिकर्णिका घाट महाश्मशान के रूप में जाना जाता है. इस घाट पर पहले पर एक बार में 100 से ज्यादा शवों के दाह संस्कार की व्यवस्था थी. लेकिन श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद मणिकर्णिका घाट के जीर्णोद्धार का काम भी तेजी से शुरू हुआ. इसके बाद घाट को मॉडर्न तरीके से डेवेलप करने के साथ अलग-अलग हिस्से में बांट कर दाह संस्कार के लिए टोटल अट्ठारह प्लेटफार्म बना दिए गए. जबकि यह प्लेटफार्म यहां आने वाले शवों के दाह संस्कार के लिए पर्याप्त नहीं है. ऐसा स्थानीय लोगों के साथ दाह संस्कार के लिए आने वाले परिजनों का भी मानना है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले एक बार में यहां 50 से 60 डेड बॉडीज को जलाने की व्यवस्था रहती थी. लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद गिनती के प्लेटफार्म बने होने की वजह से कई बार जब डेड बॉडीज ज्यादा आती है और लोड बढ़ जाता है तो लोगों को इंतजार करना पड़ता है. बहुत ज्यादा गर्मी में दोपहर के बाद जब शाम को ज्यादा बॉडी आने लगती हैं तो 1 से 2 घंटे की वेटिंग की स्थिति बन जाती है. इसलिए जरूरी है कि प्लेटफार्म की संख्या बढ़ाई जाए. वर्तमान समय में 18 में से 12 प्लेटफार्म तो काम कर रहे हैं. अभी सभी प्लेटफार्म पर काम पूरा ना होने की वजह से इन पर भी संस्कार नहीं हो पा रहा है. जिसकी वजह से दिक्कतें और हो रही हैं.

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दाह संस्कार के लिए आने वाले परिजनों का कहना है कि लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. उन्हें परेशानी न हो और जल्द वह दाह संस्कार संपन्न कर वापस लौटे, इसके लिए यहां प्लेटफार्म बढ़ाने की जरूरत है. जब इतना मॉडर्न किया जा रहा है तो लोगों की दिक्कतों को भी ध्यान में रखना चाहिए.

वहीं, नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि वाराणसी में कई विकास कार्य चल रहे हैं. काशी विश्वनाथ धाम के साथ ही मणिकर्णिका घाट पर विकास का काम अभी जारी है. अभी प्लेटफार्म लगाए गए हैं व साफ सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए वहां पर विशेष टीम तैनात करने की तैयारी की जा रही है. जरूरत के हिसाब से प्लेटफार्म की संख्या बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, यदि परेशानी है तो उसके समाधान के लिए कोशिश की जाएगी.

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