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योग केवल फिजिकल एक्सरसाइज नहीं बल्कि साधना का केंद्र है - प्रो ज्योत्सना श्रीवास्तव, काशी हिंदू विश्वविद्यालय

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय योग राष्ट्रीय दोस्ती सेमिनार का आज हुआ समापन हुआ. इस दौरान योग के बारे में लोगों को जानकारी दी गई.

योग केवल फिजिकल एक्सरसाइज नहीं बल्कि साधना का केंद्र है
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Published : Nov 9, 2019, 11:23 PM IST

वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय योग राष्ट्रीय दोस्ती सेमिनार का शुक्रवार को समापन हुआ, जहां 7 नवंबर से लेकर 9 नवंबर तक चलने वाले सेमिनार में सभी वक्ताओं ने इस बात पर खुल कर जोर दिया कि योग केवल फिजिकल एक्सरसाइज ही नहीं बल्कि अध्यात्म और शांति का केंद्र भी है.

योग केवल फिजिकल एक्सरसाइज नहीं बल्कि साधना का केंद्र है

योग राष्ट्रीय दोस्ती सेमिनार का किया गया आयोजन
वर्तमान समय में लोग केवल प्राणायाम और आसन को ही योग कहते हैं. जबकि हमारे वेदों में आत्मसंयम को भी योग कहा गया है, इस सेमिनार में देशभर से आए विद्वानों ने इस बात को रखा कि योग अध्यात्म का एक केंद्र हैं, और ईश्वर से जुड़ने का एक माध्यम है.

आराधना का साधन है योग
योग को केवल एक्सरसाइज करने का एक माघ्यम न समझे, योग हमारे आराधना का साधन है. छात्रों और आज की युवा पीढ़ी को इस बात को समझना जरुरी है, कि योग केवल आसन और प्राणायाम नहीं बल्कि शुद्धता और शांति को अपने मन में स्थापित करना है.

तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है, आज वर्तमान समय में योग को केवल योगा के रूप में लिया जा रहा है. आसन बताने के लिए भी हमें एक समर्थ व्यक्ति या शिक्षक की जरूरत है. जबकि युवाओं को जानना जरूरी है, कि योग के मूल में क्या है, उसका उद्गम क्या है, योग के तत्व क्या है. बिना ये सब जाने कि हम अपने मन अपनी वाणी पर अपनी इंद्रियों और अपने चित्त पर कैसे नियंत्रण करें तब तक योग संभव नहीं है, क्योंकि योग आत्म सिद्धि का एक मूल मंत्र है, तभी हम विश्व गुरु बन पाएंगे क्योंकि योग किसी जाति धर्म का नहीं बल्कि अध्यात्म का एक रास्ता है.
-प्रो ज्योत्सना श्रीवास्तव, काशी हिंदू विश्वविद्यालय

वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय योग राष्ट्रीय दोस्ती सेमिनार का शुक्रवार को समापन हुआ, जहां 7 नवंबर से लेकर 9 नवंबर तक चलने वाले सेमिनार में सभी वक्ताओं ने इस बात पर खुल कर जोर दिया कि योग केवल फिजिकल एक्सरसाइज ही नहीं बल्कि अध्यात्म और शांति का केंद्र भी है.

योग केवल फिजिकल एक्सरसाइज नहीं बल्कि साधना का केंद्र है

योग राष्ट्रीय दोस्ती सेमिनार का किया गया आयोजन
वर्तमान समय में लोग केवल प्राणायाम और आसन को ही योग कहते हैं. जबकि हमारे वेदों में आत्मसंयम को भी योग कहा गया है, इस सेमिनार में देशभर से आए विद्वानों ने इस बात को रखा कि योग अध्यात्म का एक केंद्र हैं, और ईश्वर से जुड़ने का एक माध्यम है.

आराधना का साधन है योग
योग को केवल एक्सरसाइज करने का एक माघ्यम न समझे, योग हमारे आराधना का साधन है. छात्रों और आज की युवा पीढ़ी को इस बात को समझना जरुरी है, कि योग केवल आसन और प्राणायाम नहीं बल्कि शुद्धता और शांति को अपने मन में स्थापित करना है.

तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है, आज वर्तमान समय में योग को केवल योगा के रूप में लिया जा रहा है. आसन बताने के लिए भी हमें एक समर्थ व्यक्ति या शिक्षक की जरूरत है. जबकि युवाओं को जानना जरूरी है, कि योग के मूल में क्या है, उसका उद्गम क्या है, योग के तत्व क्या है. बिना ये सब जाने कि हम अपने मन अपनी वाणी पर अपनी इंद्रियों और अपने चित्त पर कैसे नियंत्रण करें तब तक योग संभव नहीं है, क्योंकि योग आत्म सिद्धि का एक मूल मंत्र है, तभी हम विश्व गुरु बन पाएंगे क्योंकि योग किसी जाति धर्म का नहीं बल्कि अध्यात्म का एक रास्ता है.
-प्रो ज्योत्सना श्रीवास्तव, काशी हिंदू विश्वविद्यालय

Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय महाविद्यालय में तीन दिवसीय योग राष्ट्रीय दोस्ती का आज समापन हुआ। 7 नवंबर से लेकर 9 नवंबर चलने वाले इस सेमिनार में वक्ताओं ने इस बात पर खुल कर रखा की योग फिजिकल एक्सरसाइज नहीं बल्कि अध्यात्म और शांति का केंद्र है।


Body:वर्तमान समय में लोग कुछ प्राणायाम और आसन को कर कर इसे योग कहते हैं। बल्कि यह योग नहीं है। यह योग का एक अंग हो सकता है। हमारे वेदों में आत्म संयम को योग कहा गया है देशभर से आए विद्वानों ने इस बात को रखा की योग अध्यात्म का एक केंद्र हैं। ईश्वर से मिलने का एक माध्यम है।हम लोग को योग एक्सरसाइज न समझें बल्कि वह हमारे आराधना का साधन है। छात्रों और आज के युवा पीढ़ियों में इस बात को बताना जरूरी है कि योग केवल आसन और प्राणायाम करने से नहीं बल्कि उसकी विशेषता और शुद्धता को अपने मन में लाने से होता है।


Conclusion:प्रो ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बताया तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय योग है। इसका मूल उद्देश्य यही है। आज वर्तमान समय में योग को केवल योगा के रूप में लिया जा रहा है के रूप में लिया जा रहा है। आसन बताने के लिए भी हमें एक समर्थ व्यक्ति या शिक्षक की जरूरत है। इसलिए आज युवाओं को यह जानना जरूरी है। कि उसी योग के मूल में क्या है।उसका उदगम क्या है। योग के तत्व क्या है। बिना हम केवल अगर आसन करें। निश्चित रूप में हमें फायदे करने की जगह नुकसान ही करेगा। हम योग से यह सकते हैं कि हम अपने मन पर अपनी वाणी पर अपने इंद्रियों पर अपने चित्त पर हम कैसे नियंत्रण करें। जब हम इन सब चीजों पर नियंत्रण करेंगे तभी अपना आत्म विकास कर पाएंगे। तभी हम अपने राष्ट्र का और अपने समाज का विकास कर सकते हैं। तभी हम विश्व गुरु बन पाएंगे क्योंकि योग किसी जाति धर्म का नहीं बल्कि अध्यात्म का एक रास्ता है।

बाईट :--प्रो ज्योत्सना श्रीवास्तव, काशी हिंदू विश्वविद्यालय

आशुतोष उपाध्याय वाराणसी
9005099684
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