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काशी में है भगवान हरि का अनोखा मंदिर, स्कंद पुराण में है वर्णन - temple of lord vishnu

वाराणसी में स्थित भगवान विष्णु का मंदिर अपने आप में अनोखा है. इस मंदिर की विशेषता है कि यह दक्षिण भारत की शैली में बना है और मंदिर की मूर्ति त्रिवेंद्रम के पद्मनाभ मंदिर की शैली पर बनी हुई है.

भगवान विष्णु.
भगवान विष्णु.
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Published : Nov 25, 2020, 9:22 PM IST

वाराणसी: पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी मंदिरों के शहर के लिए भी जाना जाता है. यही वजह है कि यहां पर सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर भी मौजूद है. एक ऐसा ही मंदिर वाराणसी में दक्षिण भारत की शैली पर बना हुआ है. मंदिर में विराजमान भगवान श्री हरि की मूर्ति, त्रिवेंद्रम के पद्मनाभ मंदिर के शैली पर बनी हुई है. इस मूर्ति का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है. आज देवोत्थान एकादशी है. आज के ही दिन से शुभ विवाह का कार्य प्रारंभ होता है. भगवान हरि का आज पूरी विधि विधान से पूजन अर्चन कर मां तुलसी से विवाह किया जाता है.

जानकारी देते मंदिर के पुजारी.
स्कंद पुराण में है मंदिर का वर्णनसत्येंद्र मिश्र ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में है. भगवान भोग सेन का निवास स्थान अस्सी है. कालांतर में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. त्रिवेंद्रम से मूर्ति लाकर यहां पर स्थापित की गई. काशी के तीन खंड में भगवान हरि विराजते हैं. पंचगंगा घाट पर आदि केशव, वरुणा नदी पर मध्य केशव, अस्सी क्षेत्र पर भोग सेन भगवान मंदिर स्थापित है.

सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि भगवान यहां पर प्रमोद मुद्रा में विराजमान है. भगवान शेषनाग पर शयन किए हैं. मां लक्ष्मी भगवान के पैर दबा रही है और भगवान 4 महीने तक यहां से पूरे संसार की लीला को देखते हैं. आज देवस्थान एकादशी है. भगवान के दर्शन करने का महत्व मिलता है. हर प्रकार की पीड़ा से मुक्ति मिलती है. भगवान के दर्शन से बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी के कचरा प्रबंधन के तौर-तरीकों को सीखेगी आंध्र प्रदेश सरकार

वाराणसी: पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी मंदिरों के शहर के लिए भी जाना जाता है. यही वजह है कि यहां पर सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर भी मौजूद है. एक ऐसा ही मंदिर वाराणसी में दक्षिण भारत की शैली पर बना हुआ है. मंदिर में विराजमान भगवान श्री हरि की मूर्ति, त्रिवेंद्रम के पद्मनाभ मंदिर के शैली पर बनी हुई है. इस मूर्ति का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है. आज देवोत्थान एकादशी है. आज के ही दिन से शुभ विवाह का कार्य प्रारंभ होता है. भगवान हरि का आज पूरी विधि विधान से पूजन अर्चन कर मां तुलसी से विवाह किया जाता है.

जानकारी देते मंदिर के पुजारी.
स्कंद पुराण में है मंदिर का वर्णनसत्येंद्र मिश्र ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में है. भगवान भोग सेन का निवास स्थान अस्सी है. कालांतर में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. त्रिवेंद्रम से मूर्ति लाकर यहां पर स्थापित की गई. काशी के तीन खंड में भगवान हरि विराजते हैं. पंचगंगा घाट पर आदि केशव, वरुणा नदी पर मध्य केशव, अस्सी क्षेत्र पर भोग सेन भगवान मंदिर स्थापित है.

सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि भगवान यहां पर प्रमोद मुद्रा में विराजमान है. भगवान शेषनाग पर शयन किए हैं. मां लक्ष्मी भगवान के पैर दबा रही है और भगवान 4 महीने तक यहां से पूरे संसार की लीला को देखते हैं. आज देवस्थान एकादशी है. भगवान के दर्शन करने का महत्व मिलता है. हर प्रकार की पीड़ा से मुक्ति मिलती है. भगवान के दर्शन से बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

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