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बीएचयू के महिला महाविद्यालय में हुआ विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन - काशी हिंदू विश्वविद्यालय

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय में नाट्यशास्त्र के विशेष संदर्भ में वार्षिक और आंगिक अभिनय विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में नाट्यशास्त्र से जुड़े विभिन्न विद्वानों ने अपनी प्रस्तुति की.

विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन.
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Published : Oct 19, 2019, 11:41 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय में नाट्यशास्त्र के विशेष संदर्भ में वार्षिक और आंगिक अभिनय विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस व्याख्यान का मात्र एक मकसद था कि छात्राएं इस विषय के प्रयोगात्मकता को समझें और उनकी विधि और कला को जानें.

विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन.

विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन

  • कार्यक्रम की अध्यक्षता महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वर्धा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने की.
  • इस कार्यक्रम में नाट्यशास्त्र से जुड़े विभिन्न विद्वानों ने अपनी प्रस्तुति की.
  • उन्होंने छात्राओं को बताया कि नाट्यशास्त्र और प्रयोगात्मक ग्रंथ है.
  • इसमें अगर छात्राओं को खाली सिद्धांत पढ़ा दिया जाए तो उसे उनको विशेष लाभ नहीं होगा.
  • उनके मुद्राओं का ज्ञान नहीं हो पाएगा, अभिनय का ज्ञान नहीं हो पाएगा.
  • इसके साथ ही जो पुराने लोग थे, उन्होंने अपने समय की कठिनाइयों को भी छात्राओं के सामने प्रस्तुत किया.
  • संगीत और कला के छात्राओं ने भी इस क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ा जाए अपने प्रश्नों की जिज्ञासा को शांत किया.

छात्राओं को विशेष रूप से बहुत लाभ मिलेगा, क्योंकि जो नाट्यशास्त्र है, वह पूरी तरह से प्रायोगिक है. अगर छात्राओं को सिद्धांत बताएंगे और प्रयोगात्मक नहीं बताएंगे तो उन्हें उतना विशेष लाभ नहीं होगा. उन्हें मुद्राओं का ज्ञान नहीं हो पाएगा अभिनय का ज्ञान नहीं हो पाएगा. नाट्यशास्त्र में बहुत ही जरूरी है. प्रायोगिक ज्ञान से छात्रों को परिचित कराने के लिए व्याख्यान का आयोजन किया गया है. अभिनय की बहुत मुद्राएं है.

- प्रो. विभा रानी दुबे, प्रोफेसर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय

इसे भी पढ़ें: अयोध्या दीपोत्सव से मिलेगी लोक कला को पहचान, 28 टीमें देंगी मनमोहक प्रस्तुतियां

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय में नाट्यशास्त्र के विशेष संदर्भ में वार्षिक और आंगिक अभिनय विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस व्याख्यान का मात्र एक मकसद था कि छात्राएं इस विषय के प्रयोगात्मकता को समझें और उनकी विधि और कला को जानें.

विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन.

विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन

  • कार्यक्रम की अध्यक्षता महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वर्धा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने की.
  • इस कार्यक्रम में नाट्यशास्त्र से जुड़े विभिन्न विद्वानों ने अपनी प्रस्तुति की.
  • उन्होंने छात्राओं को बताया कि नाट्यशास्त्र और प्रयोगात्मक ग्रंथ है.
  • इसमें अगर छात्राओं को खाली सिद्धांत पढ़ा दिया जाए तो उसे उनको विशेष लाभ नहीं होगा.
  • उनके मुद्राओं का ज्ञान नहीं हो पाएगा, अभिनय का ज्ञान नहीं हो पाएगा.
  • इसके साथ ही जो पुराने लोग थे, उन्होंने अपने समय की कठिनाइयों को भी छात्राओं के सामने प्रस्तुत किया.
  • संगीत और कला के छात्राओं ने भी इस क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ा जाए अपने प्रश्नों की जिज्ञासा को शांत किया.

छात्राओं को विशेष रूप से बहुत लाभ मिलेगा, क्योंकि जो नाट्यशास्त्र है, वह पूरी तरह से प्रायोगिक है. अगर छात्राओं को सिद्धांत बताएंगे और प्रयोगात्मक नहीं बताएंगे तो उन्हें उतना विशेष लाभ नहीं होगा. उन्हें मुद्राओं का ज्ञान नहीं हो पाएगा अभिनय का ज्ञान नहीं हो पाएगा. नाट्यशास्त्र में बहुत ही जरूरी है. प्रायोगिक ज्ञान से छात्रों को परिचित कराने के लिए व्याख्यान का आयोजन किया गया है. अभिनय की बहुत मुद्राएं है.

- प्रो. विभा रानी दुबे, प्रोफेसर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय

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Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय में नाट्यशास्त्र के विशेष संदर्भ में वार्षिक एवं आंगिक अभिनय विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया इस व्याख्यान का मात्र एक मकसद था कि छात्र-छात्राएं इस विषय के प्रयोगात्मक ता को समझें और उनकी विधि और कला को जाने।


Body:कार्यक्रम की अध्यक्षता महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वर्धा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने किया। नाट्यशास्त्र से जुड़े विभिन्न विद्वानों ने अपनी प्रस्तुति की और उन्होंने छात्रों को इस बात पर ध्यान दिया नाट्यशास्त्र व प्रयोगात्मक ग्रंथ है उसमें अगर छात्रों को खाली सिद्धांत पढ़ा दिया जाए तो उसे उनको विशेष लाभ नहीं होगा उनके मुद्राओं का ज्ञान नहीं हो पाएगा अभिनय का ज्ञान नहीं हो पाएगा प्रयोग विज्ञान छात्रों को यहां पर बताया गया इसके साथ ही जो पुराने लोग थे उन्होंने अपने समय की कठिनाइयों को भी छात्रों के सामने प्रस्तुत किया। संगीत और कला के छात्रों ने भी इस क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ा जाए अपने प्रश्नों की जिज्ञासा को शांत किया।




Conclusion:प्रोफेसर विभा रानी दुबे ने बताया छात्रों को विशेष रूप से बहुत ही लाभ मिलेगा क्योंकि जो नाट्यशास्त्र है वह पूरी तरह से प्रायोगिक है अगर छात्रों को सिद्धांत बताएंगे और प्रयोगात्मक नहीं बताएंगे तो उन्हें उतना विशेष लाभ नहीं होगा। छात्रों को मुद्राओं का ज्ञान नहीं हो पाएगा अभिनय का ज्ञान नहीं हो पाएगा। नाट्यशास्त्र में बहुत ही जरूरी है। प्रायोगिक ज्ञान से छात्रों को परिचित कराने के लिए व्याख्यान का आयोजन किया गया है। अभिनय की बहुत मुद्रा है अगर हम आपको बताएं केवल मुंह की 108 मुद्राएं हैं आंखों की 36 मुद्राएं हैं उन सारी मुद्राओं को जब तक छात्र-छात्राएं देखेंगे नहीं और स्वयं उसे करने का प्रयास नहीं करेंगे तब तक वह पूरी तरह से परिपक्व नहीं होंगे।

बाईट :-- प्रो विभा रानी दुबे, प्रोफेसर काशी हिंदू विश्वविद्यालय


आशुतोष उपाध्याय 9005099684

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