वाराणसी : धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में काशीपुराधीपति बाबा श्रीविश्वनाथ का रविवार को एक अलग रूप देखने को मिला. श्रावणी पूर्णिमा के दिन भक्तों ने बाबा के पंचबदन प्रतिमा का दर्शन किया.
भक्तों ने बाबा का झूलनोत्सव मनाया. उनका सपरिवार दर्शन कर भाव-विभोर हो गए. इस दौरान 350 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन हुआ. सावन पूर्णिमा बाबा श्री काशी विश्वनाथ ने सपरिवार झूला पर दर्शन दिया.
बाबा के इस मनमोहक रूप को देखकर सभी ने हर-हर महादेव का उद्घोष किया और बाबा श्री काशीविश्वनाथ के जयकारे लगाए. सावन के अंतिम दिन बाबा का दर्शन किया.
मंदिर परिसर से कुछ दूर स्थित टेढ़ीनीम स्थित महंत डॉ. कुलपति तिवारी के आवास पर बाबा विश्वनाथ, मां पार्वती, प्रथमेश गणेश के रजत पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन अर्चन किया गया.
इसके बाद प्रतिमा और रजत शाही झूला को महंत आवास से मन्दिर प्रांगण में लाया गया और भव्य शृंगार किया गया. पूर्णिमा तिथि बाबा की सप्तऋषि आरती समय से पूर्व होती है. इसलिए आरती रविवार शाम 6.10 बजे समाप्त हो गई.
यह भी पढ़ें : ब्रह्म सेना ने की पहल, सवा लाख विप्र को पुनः धारण कराएगी जनेऊ
सावन बाबा शंकर को सबसे प्रिय है. बाबा यहां विशेश्वर रूप में विराजमान हैं. यही वजह है कि सावन में पड़ने वाले हर सोमवार को बाबा का अलग-अलग प्रकार से विशेष शृंगार किया जाता है.
बाबा और मां गौरा का अर्धनारीश्वर रूप में शृंगार, बाबा का रुद्राक्ष की माला से शृंगार और 15 अगस्त पर बाबा का तिरंगा स्वरूप शृंगार किया गया.
बाबा की इस भव्य झांकी को देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा. रात्रि में समस्त परिवार की शृंगार आरती की गई. दर्शन-पूजन का सिलसिला अनवरत चलता रहा.
काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रावणी पूर्णिमा के दिन बाबा का विशेष शृंगार किया गया. यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है.
बाबा के पंचबदन प्रतिमा का भी भक्तों ने दर्शन किया. भक्तों ने बाबा का झूलनोत्सव मनाया और सपरिवार का दर्शन करके भाव-विभोर हो गए.
350 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन हुआ. सावन पूर्णिमा बाबा श्री काशी विश्वनाथ ने सपरिवार झूला पर दर्शन दिया. महंत आवाज से बाबा की आरती उतारकर बाबा को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया. वहां पूरे विधि विधान से आरती पूजन किया गया.