वाराणसी : विधानसभा चुनाव की तैयारियों में हर नेता अपने स्तर पर जी जान से जुड़ चुका है. वोटर्स को रिझाने के लिए मंत्री से लेकर विधायक तक सड़कों पर उतर कर ऐसे ऐसे काम कर रहे हैं जो शायद उन्होंने बीते 5 सालों में नहीं किए थे. दावे भी हो रहे हैं जो विकास की गंगा बहा दी गई है. विधायक लंबी चौड़ी योजनाओं की लिस्ट लेकर लोगों के बीच पहुंच रहे हैं, लेकिन सच में इन दावों की हकीकत क्या है और वाकई में क्या विधानसभा क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में विकास की बयार बहने लगी है. इन्हीं दावों की हकीकत को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के बदहाल मुहल्लों की हकीकत जानने पहुंच रही है.
35 सालों से सीवर की समस्या जस की तस बनी हुई हैं इस क्रम में वाराणसी यानी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र कैंट विधानसभा किए उस इलाके में आज हम पहुंचे, जहां से इस क्षेत्र के विधायक का घर महज 500 मीटर की दूरी पर है. शिवपुरवा इलाका शहर के बीचो बीच बसा है, लेकिन यहां आने के बाद आपको किसी ग्रामीण इलाके में होने का एहसास होगा. वजह साफ है सालों से यह पूरा क्षेत्र विकास की कोरी कल्पनाओं से कोसों दूर है और क्षेत्र के लोग अपने विधायक से बेहद खफा हैं, क्योंकि साल दर साल बीतते गए और क्षेत्र में एक ही परिवार के लोगों का कब्जा रहा है. जिसके वजह से क्षेत्रीय लोग अब 2022 में परिवर्तन की बात भी करने लगे हैं.
परिसीमन बाद बढ़ा क्षेत्रवाराणसी का कैंट विधानसभा परिसीमन के बाद और बड़ा क्षेत्र हो गया है रामनगर और महापालिका अभी इसी विधानसभा के अंतर्गत आता है. इसलिए क्षेत्रीय विधायक शहर और ग्रामीण दोनों इलाकों के विकास के दावे करते रहते हैं. सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव भी हैं क्षेत्रीय विधायक सौरभ श्रीवास्तव का सोशल मीडिया अकाउंट लगातार जन समस्याओं और उनको हल करने के दावे करता रहता है, लेकिन उनके घर के पीछे स्थित शिवपुरवा इलाका समस्याओं से जूझ रहा है और शायद विधायक जी यहां आने की जहमत भी नहीं उठाते. यह हम नहीं कह रहे बल्कि यहां के क्षेत्रीय लोगों का कहना है.
एक परिवार ही है काबिजदरअसल कैंट विधानसभा में 1991 के बाद से लगातार एक ही परिवार का बीज रहा है पहले सौरभ श्रीवास्तव की मां ज्योत्सना श्रीवास्तव यहां विधायक हुईं, फिर उनके पिता हरीश चंद्र श्रीवास्तव विधायक और फिर यूपी सरकार में वित्त मंत्री बने. इसके बाद फिर से पिता और फिर माता ही यहां से विधायक रहे पिता के बाद ज्योत्सना ने चुनाव लड़ा और फिर से जीत हासिल की. उम्र ज्यादा होने की वजह से 2017 के विधानसभा चुनाव में सौरभ ने पहली बार अपनी किस्मत आजमाई और वह भी विधायक बन गए. बस यही बात इस क्षेत्र के लोगों को कुछ परेशान कर रही है. लोगों का साफ तौर पर कहना है कि लगातार सात बार से एक ही परिवार यहां पर काबिज रहा है और विकास के नाम पर सिर्फ कुछ गिने-चुने इलाकों में ही काम होता है. इतने लंबे वक्त से विधायक के घर के पीछे का यह इलाका बदहाल है. बारिश होने के बाद पूरा क्षेत्र दलदल में तब्दील हो जाता है. घुटने तक पानी लगने की वजह से लोग गिरते पड़ते हैं. सड़क का तो हाल ऐसा है कि पूछिए ही मत, लंबे वक्त से इस पूरे इलाके में सड़क का निर्माण तो दूर पुरानी सड़क की मरम्मत तक नहीं हुई है.
35 सालों से है सीवर की समस्यासबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि अब तक इस पूरे इलाके में सीवर की पाइप लाइन ही नहीं पड़ी है. हां लगभग 6 महीने पहले महापौर और क्षेत्रीय विधायक के साथ क्षेत्रीय पार्षद ने इलाके में कई जगह सीवर पाइप लाइनों पेयजल पाइप लाइन डाले जाने के संगमरमर के शिलापट्ट जरूर लगवाएं हैं, लेकिन अब तक काम नहीं हुआ है. क्षेत्रीय लोगों का साफ तौर पर कहना है कि हम सभी तो बस इतना मनाते हैं कि बारिश ना हो, क्योंकि बारिश होने के बाद लोगों के घरों के अंदर पानी घुस जाता है. सीवर के पानी की निकासी ना होने की वजह से गंदा पानी लोगों की जिंदगी को दुश्वार कर देता है जब आज डेंगू और मलेरिया पूरे प्रदेश में फैला है तो इस क्षेत्र के लोगों का हाल बहुत ही बुरा है. फॉकिंग नहीं होती ना ही जल निकासी का उत्तम प्रबंध न होने की वजह से साफ सफाई हो पाती है. हालात ऐसे हैं, कि इस क्षेत्र के लोग बस तिल तिल कर जी रहे हैं.
विधायक कहते कि वोट नहीं मिलता तो काम क्योंक्षेत्रीय लोगों का कहना है कि विधायक के पास शिकायत लेकर जाइए तो उनका कहना रहता है कि मुझे शिवपुरवा से वोट नहीं मिलता इसलिए मैं कोई काम नहीं कर पाऊंगा. फिलहाल इन दावों की हकीकत जो भी हो लेकिन यह बात तो सच है कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के शहरी इलाके में पढ़ने वाली कैंट विधानसभा के कई इलाकों का हाल बदहाल है. सीवर की समस्या और गंदगी के साथ खराब सड़कें लोगों को बनारस में होने का एहसास ही नहीं करवाती एक तरफ दावा है कि बनारस स्मार्ट हो रहा है तो उसे स्मार्ट बनारस की या दिल दहला देने वाली हकीकत निश्चित तौर पर कैंट विधानसभा की सच्चाई को बयां करने के लिए काफी है.