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वाराणसीः चीन वायु प्रदूषण से निपटने में काफी सफल, चर्चा में विशेषज्ञों ने दी जानकारी

वाराणसी के बीएचयू में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पांचवीं एशियाई कार्यशाला आयोजन किया जा रहा है. कार्यशाला के पहले दिन वायु प्रदूषण के कारण और निवारण पर चर्चा की गई. प्रदूषण के खतरों से आगाह भी किया गया.

वायु प्रदूषण के कारण और निवारण पर चर्चा.
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Published : Nov 7, 2019, 3:17 PM IST

वाराणसीः भारत में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण डस्ट पार्टिकल और खुले में हानिकारक तत्वों को जलाना है. वहीं चीन इन हानिकारक तत्वों को रोकने में काफी हद तक कामयाब हुआ है. वहां की हवा में काफी सुधार हुआ है. ये बातें बीएचयू में आयोजित पांचवीं एशियाई वायु प्रदूषण कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कही. उन्होंने वायु प्रदूषण के कारण और निवारण पर विस्तार से चर्चा की. इस कार्यशाला में 22 देशों के विशेषज्ञ शामिल हुए हैं.

वायु प्रदूषण के कारण और निवारण पर चर्चा.


विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य के साथ फसलों पर भी पड़ता है. चावल, गेहूं, सोयाबीन जैसी फसलों पर काफी बुरा असर होता है. राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला अहमदाबाद के प्रोफेसर श्यामलाल ने भारत की बिगड़ती वायु की गुणवत्ता पर चर्चा की. उन्होंने ग्रीन हाउस गैसों की प्रकृति को समझाया और उसके नियंत्रण के लिए नीति निर्माण की भूमिका को अहम बताया.

पढ़ेः-वाराणसी में तीन दिवसीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता का हुआ शुभारंभ

वायु प्रदूषण को लेकर पूरे एशिया में चर्चा हो रही है। इस प्रोग्राम में चाइना, जापान, यूरोप, इंग्लैंड, स्पेन समेत 22 अंतरराष्ट्रीय देशों के विशेषज्ञ शामिल हुए हैं. इस कार्यशाला से स्टूडेंट्स को भी फायदा मिलेगा. यह कार्यशाला 5 नवंबर से लेकर 7 नवंबर तक चलेगी.

-प्रो. मधुलिका अग्रवाल, संयोजक

वाराणसीः भारत में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण डस्ट पार्टिकल और खुले में हानिकारक तत्वों को जलाना है. वहीं चीन इन हानिकारक तत्वों को रोकने में काफी हद तक कामयाब हुआ है. वहां की हवा में काफी सुधार हुआ है. ये बातें बीएचयू में आयोजित पांचवीं एशियाई वायु प्रदूषण कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कही. उन्होंने वायु प्रदूषण के कारण और निवारण पर विस्तार से चर्चा की. इस कार्यशाला में 22 देशों के विशेषज्ञ शामिल हुए हैं.

वायु प्रदूषण के कारण और निवारण पर चर्चा.


विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य के साथ फसलों पर भी पड़ता है. चावल, गेहूं, सोयाबीन जैसी फसलों पर काफी बुरा असर होता है. राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला अहमदाबाद के प्रोफेसर श्यामलाल ने भारत की बिगड़ती वायु की गुणवत्ता पर चर्चा की. उन्होंने ग्रीन हाउस गैसों की प्रकृति को समझाया और उसके नियंत्रण के लिए नीति निर्माण की भूमिका को अहम बताया.

पढ़ेः-वाराणसी में तीन दिवसीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता का हुआ शुभारंभ

वायु प्रदूषण को लेकर पूरे एशिया में चर्चा हो रही है। इस प्रोग्राम में चाइना, जापान, यूरोप, इंग्लैंड, स्पेन समेत 22 अंतरराष्ट्रीय देशों के विशेषज्ञ शामिल हुए हैं. इस कार्यशाला से स्टूडेंट्स को भी फायदा मिलेगा. यह कार्यशाला 5 नवंबर से लेकर 7 नवंबर तक चलेगी.

-प्रो. मधुलिका अग्रवाल, संयोजक

Intro:भारत में प्रदूषण के सबसे ज्यादा जिम्मेदार कारक डस्ट पार्टिकल व खुले में कई हानिकारक तत्वों को जलाना है।जबकि चीन के डस्ट पॉलिटिकल की समस्या को खत्म कर लिया गया है जिसके चीन की हवा में काफी सुधार हुआ यह बातें बीएचयू में आयोजित पाचवी एशियाई वायु प्रदूषण कार्यशाला में विश्व के कोने कोने से आए विद्वानों ने रखा। वर्तमान समय में देश की राजधानी दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश भी प्रदूषण की चपेट में है । जिसमे 22 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने जो एशिया पर काम करते हैं। उन्होंने प्रदूषण के कारण और उसके निवारण पर चर्चा किया।



Body:विशेषज्ञों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वायु प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य के साथ ही फसलों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है चावल और गेहूं सोयाबीन जैसे फसलों पर काफी बुरा असर पड़ता है इससे पहले राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला अहमदाबाद के प्रोफेसर श्यामलाल ने भारत की बिगड़ती वायु की गुणवत्ता पर चर्चा करते हुए ग्रीन हाउस गैसों की प्रकृति को समझाया तथा इसके नियंत्रण के लिए नीति निर्माण को जरूरी बताया। यह कार्यशाला 5 नवंबर से लेकर 7 नवंबर तक चलेगी।


Conclusion:प्रोफेसर मधुलिका ने बताया यह कार्यशाला इसलिए बहुत ही महत्वपूर्ण है कि जिस तरह एशिया में एयर पोलूशन बढ़ रही है। इंटरनलाइजेशन बढ़ रहा है। यह चर्चा पूरे एशिया में हो रही है। हमारे इस प्रोग्राम में चाइना, जापान, यूरोप, इंग्लैंड, स्पेन ऐसे लोग हैं जो एशिया पर काम करते हैं। 22 हमारे अंतरराष्ट्रीय पार्टिसिपेट है। इस कार्यशाला से सब्जेक्ट फायदा स्टूडेंट्स को हो रहा है इसलिए कि अगर आप को देखे तो वही इंटरेक्शन में सारे क्वेश्चन पूछते हैं उनको आगे के लिए दिशा निर्देश मिलता है ।कि वह किस चीज पर अपना शोध करें। और अपने रिसर्च के साथ वह किस तरह एयर पोलूशन पर काम करें जिससे इतने बड़े-बड़े विशेषज्ञों को वह सुनते हैं।

बाईट :-- प्रो मधुलिका अग्रवाल, संयोजक

आशुतोष उपाध्याय
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