वाराणसीः भारत में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण डस्ट पार्टिकल और खुले में हानिकारक तत्वों को जलाना है. वहीं चीन इन हानिकारक तत्वों को रोकने में काफी हद तक कामयाब हुआ है. वहां की हवा में काफी सुधार हुआ है. ये बातें बीएचयू में आयोजित पांचवीं एशियाई वायु प्रदूषण कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कही. उन्होंने वायु प्रदूषण के कारण और निवारण पर विस्तार से चर्चा की. इस कार्यशाला में 22 देशों के विशेषज्ञ शामिल हुए हैं.
विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य के साथ फसलों पर भी पड़ता है. चावल, गेहूं, सोयाबीन जैसी फसलों पर काफी बुरा असर होता है. राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला अहमदाबाद के प्रोफेसर श्यामलाल ने भारत की बिगड़ती वायु की गुणवत्ता पर चर्चा की. उन्होंने ग्रीन हाउस गैसों की प्रकृति को समझाया और उसके नियंत्रण के लिए नीति निर्माण की भूमिका को अहम बताया.
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वायु प्रदूषण को लेकर पूरे एशिया में चर्चा हो रही है। इस प्रोग्राम में चाइना, जापान, यूरोप, इंग्लैंड, स्पेन समेत 22 अंतरराष्ट्रीय देशों के विशेषज्ञ शामिल हुए हैं. इस कार्यशाला से स्टूडेंट्स को भी फायदा मिलेगा. यह कार्यशाला 5 नवंबर से लेकर 7 नवंबर तक चलेगी.
-प्रो. मधुलिका अग्रवाल, संयोजक