वाराणसी : काशी को दक्षिण से जोड़ने की कोशिश में पीएम मोदी ने पूरे उत्तर को भी जोड़ दिया है. पीएम के इस दो दिवसीय दौरे ने लोकसभा चुनाव से पहले एकजुटता की तस्वीर दिखा दी है. वाराणसी में पीएम के इस बड़े कार्यक्रम को पहले से ही भाजपा के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा था. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का प्रचार-प्रसार खूब हुआ लेकिन, जमीन पर इसका असर नहीं दिखा. वहीं पीएम मोदी के प्रयासों का असर दिखता भी है और बिकता भी है. उतर भारत में पीएम मोदी की छवि एक अभिभावक के रूप में है. बनारस राजनीतिक विश्लेषक भी ऐसा ही दावा कर रहे हैं. वे बताते हैं कि ऐसे आयोजनों से बीजेपी ने बिना नाम लिए विपक्ष को परास्त किया है.
जी हां! काशी से लोकसभा चुनाव-2024 का बिगुल बज गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज बनारस का दूसरे दिन का दौरा है. इन दो दिनों में पीएम मोदी पूर्वांचल के आसपास के जिलों को साधने की कोशिश तो कर ही रहे हैं, लेकिन साथ ही साथ वो देश में एकता और बंधुत्व का भी एक बड़ा संदेश दे रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के पास पीएम मोदी के रूप में एक ऐसा नेता है जो विपक्ष को जवाब देना जानता है. इसका सीधा जवाब हमें बीते दिनों आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम से मिल जाता है. अब बनारस का काशी तमिल संगमम आयोजन पूरे देश में संदेश दे रहा है.
एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सपना हो रहा साकार : राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रवि प्रकाश कहते हैं, प्रधानंमत्री मोदी की बातों को अगर कोट करें तो उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम एक भारत श्रेष्ठ भारत को आगे की ओर लेकर जाता है. इससे पहले भी पिछले साल प्रधानमंत्री ने बनारस में काशी तमिल संगमम का आयोजन किया था. ऐसे में काशी से दक्षिण को जोड़ने के साथ ही उन्होंने पूरे उत्तर को जोड़ लिया है. आप ऐसे भी देख सकते हैं कि जब उन्होंने सबक साथ-सबका विकास का नारा दिया था तो साल 2019 के चुनाव परिणाम क्या थे. इस बार तो उन्होंने सबको साथ लाकर दिखा भी दिया है. ऐसा तो राजाओं के जमाने में ही होता था.
भारत जोड़ो अभियान का परिणाम शून्य रहा : राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, 'साल भर पहले कांग्रेस ने भारत जोड़ो अभियान शुरू किया था. कांग्रेस का सीधा आरोप भाजपा पर था कि पीएम मोदी और उनकी पार्टी भारत को तोड़ने का काम कर रहे हैं. कन्या कुमारी से कश्मीर तक रोड शो निकाले गए, पैदल यात्राएं की गईं. मगर उसका नतीजा शून्य रहा. उसी समय उत्तर प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनाव हुए थे. जहां गुजरात में 180 में से अकेले 156 सीटें भाजपा को मिलीं. ये किसी भी पार्टी को गुजरात में मिला ऐतिहासिक बहुमत था, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 17 सीटें ही मिली थीं. वहीं यूपी में योगी आदित्यनाथ दोबारा सरकार बना ले गए.'
विपक्ष का नाम लिए बिना बीजेपी ने किया परास्त : राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि, अब अगर हम तुलना करें भारत जोड़ो अभियान और एक भारत श्रेष्ठ भारत की तो अंतर साफ नजर आएगा. जहां कांग्रेस ने अपने पूरे आभियान में सिर्फ और सिर्फ भाजपा को दोषी बताने की कोशिश की वहीं भाजपा ने अपने इस अभियान में अलग-अलग राज्यों के लोगों को साथ जोड़ा है. सौराष्ट्र तमिल संगमम हो या फिर काशी तमिल संगमम, इन आयोजनों में किसी भी तरह से कांग्रेस या विपक्षी पार्टी का नाम नहीं लिया गया है. जनता को आजकल ये सब दिखाई भी देता है. जमाना सोशल मीडिया का है, सभी पालिटिकली जागरूक रहते हैं. जहां कांग्रेस को अटैक करने से बचना चाहिए वहां वह गलती कर देती है.
मोदी ने वो कर दिया जो विपक्ष सोच नहीं सका : राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि, महंगाई एक मुद्दा है, जहां भाजपा मात खा सकती है, लेकिन तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की जीत ने इसको भी बेअसर कर दिया है. इसके साथ तेलंगाना में भाजपा की एक से आठ होती सीटों की संख्या ने भी भाजपा को मजबूती दी है. वहां 2 फीसदी वोट शेयर बढ़े हैं. एक ओर जहां पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी करते रहे. वहीं पीएम मोदी ने सीधी टिप्पणी से किनारा कर लिया. मजबूत विपक्ष कांग्रेस जहां भाजपा को समेटना चाहती थी, खुद ही सिमटती गई. यह कह सकते हैं कि जो विपक्ष सोच नहीं सका उसे मोदी ने कर दिया.
सनातन का साथ पीएम की मजबूत ताकत : बनारस के राजनीतिक विश्लेषक रत्नेश राय कहते हैं कि, प्रधानमंत्री मोदी ने अपना सांसद का सफर काशी से ही शुरू किया. यहीं पर उन्होंने काशी की संस्कृति, संस्कार और सनातन को लेकर अपनी यात्रा शुरू की. काशी तमिल संगमम भी उसी का हिस्सा माना जा सकता है.यह दक्षिण का रास्ता तैयार कर रहा है. दोनों ही जगहों पर काशी विश्वनाथ विराजमान हैं. ऐसे में सनातन आस्था को साथ लेकर चलना भी पीएम मोदी की एक मजबूत ताकत माना जा सकता है. क्योंकि जिस तरीके से विपक्ष सनातन धर्म को लेकर कई बार टिप्पणी कर चुका है, उससे जनता के मन में कहीं न कहीं उसके लिए गुस्सा भी भरा है.
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