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वाराणसी में हेरिटेज साइनेज की दुर्दशा, इस वजह से करोड़ों की योजना खा रही 'जंग'

वाराणसी में घाटों के नाम और उनके आस-पास की प्रमुख धरोहरों और उनकी खासियत के बारे में जानने के लिए हेरिटेज साइनेज पट्टिका बनवाई गईं थी. लेकिन इनका सही ढंग रख-रखाव न हो पाने के कारण ये जंग लग चुकी है. इससे आम जनमानस को किसी भी घाट के बारे में जानने में परेशानी हो रही है.

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हेरिटेज साइनेज की दुर्दशा
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Published : Jul 17, 2022, 10:10 PM IST

वाराणसीः धर्म और विद्या नगरी काशी की सुंदरता यहां के घाटों से है. यहां के घाट काशी के इतिहास और यहां की परंपराओं का वर्णन करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के घाटों पर हेरिटेज साइनेज का तोहफा काशीवासियों को दिया. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि करोड़ों का यह तोहफा अब सिर्फ जंग खा रहा है. साथ ही आम जनमानस के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

हेरिटेज साइनेज की दुर्दशा.
बता दें, कि वाराणसी के घाटों की जानकारी पर्यटकों तक सही व सुचारू रूप से पहुंचाने के लिए सरकार के द्वारा हेरिटेज साइनेज की योजना संचालित की गई. केंद्र सरकार ने इसके लिए 4 करोड 3 लाख का बजट भी पास किया, जिसके तहत 84 घाटों पर यह साइनेज लगाया गया. साथ ही वाराणसी के अस्सी व राजघाट घाट पर एक बड़ा साइनेज लगाया गया, जिसमें 84 घाटों के इतिहास व मानचित्र का वर्णन किया गया है. लेकिन अभी यह साइनेज जंग खा रहे हैं और आम जनमानस के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं.

अभी तक नहीं पूरी हो चुकी योजना
दरअसल, इस योजना के तहत यह कहा गया था कि इन साइनेज को बेहतर धातु से बनाया गया है जो न ही पानी में जंग खाता है न ही किसी और तरीके से खराब होता है. बल्कि यह समय के साथ लगातार चमकता रहेगा. लेकिन वास्तविकता के धरातल कि यदि हम बात करें तो यह जंग खा रहा है और रात के समय में इसकी प्रासंगिकता समझ में नहीं आती. क्योंकि अंधेरा हो जाने के बाद इस पर क्या उकेरा गया है यह पढ़ना बेहद मुश्किल हो जाता है. यही नहीं इस योजना के तहत कहा गया था कि इस पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा, जिसे स्कैन करके घाटों के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली जाएगी. लेकिन ज्यादातर साइनेज पर कोड मौजूद नहीं है और जिन पर मौजूद हैं उनको यदि स्कैन किया जाता है तो जानकारी नहीं मिलती बल्कि अन्य वेबसाइट खुल जाती हैं.

पढ़ेंः सावनः वाराणसी में रूट डायवर्जन लागू, चार क्षेत्र नो व्हीकल जोन

इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि यह योजना बहुत अच्छी थी, लेकिन रखरखाव के अभाव में पूरी तरीके से फेल हो चुकी है. सरकार ने पैसे तो पास कर दिए लेकिन अधिकारी इसका रखरखाव ठीक तरीके से नहीं कर पा रहे हैं इससे कोई जानकारी नहीं मिलती. इस पर जो जानकारियां लिखी हैं वह भी त्रुटिपूर्ण है. इसके साथ ही रात के अंधेरे में इस पर क्या लिखा हुआ है इसे पढ़ा नहीं जा सकता अब यह लोगों के लिए बस एक सेल्फी प्वाइंट बन गया है और घाट की जगह को भी खराब कर रहा है. इसे घाटों की सुंदरता बढ़ी नहीं है बल्कि घट गई है.

बहरहाल इस बारे में स्मार्ट सिटी का कहना है कि हमारी तरफ से योजना पूरी हो चुकी हैं. स्थानीय लोगों की लापरवाही के कारण इसकी दुर्दशा हो रही है. विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के मद्देनजर आनन-फानन में इसको तैयार करके वाराणसी के घाटों पर लगा दिया गया लेकिन इस योजना को अधूरे में छोड़ दिया गया है. इस योजना में साइनेज के साथ लाइट लगाए जाने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक इन सबका अभाव है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की यह दुर्दशा है, तो अन्य योजनाओं के बारे में क्या कहा जा सकता है और यदि इसे लगाया गया तो इसका रखरखाव क्यों नहीं किया गया है.

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वाराणसीः धर्म और विद्या नगरी काशी की सुंदरता यहां के घाटों से है. यहां के घाट काशी के इतिहास और यहां की परंपराओं का वर्णन करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के घाटों पर हेरिटेज साइनेज का तोहफा काशीवासियों को दिया. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि करोड़ों का यह तोहफा अब सिर्फ जंग खा रहा है. साथ ही आम जनमानस के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

हेरिटेज साइनेज की दुर्दशा.
बता दें, कि वाराणसी के घाटों की जानकारी पर्यटकों तक सही व सुचारू रूप से पहुंचाने के लिए सरकार के द्वारा हेरिटेज साइनेज की योजना संचालित की गई. केंद्र सरकार ने इसके लिए 4 करोड 3 लाख का बजट भी पास किया, जिसके तहत 84 घाटों पर यह साइनेज लगाया गया. साथ ही वाराणसी के अस्सी व राजघाट घाट पर एक बड़ा साइनेज लगाया गया, जिसमें 84 घाटों के इतिहास व मानचित्र का वर्णन किया गया है. लेकिन अभी यह साइनेज जंग खा रहे हैं और आम जनमानस के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं.

अभी तक नहीं पूरी हो चुकी योजना
दरअसल, इस योजना के तहत यह कहा गया था कि इन साइनेज को बेहतर धातु से बनाया गया है जो न ही पानी में जंग खाता है न ही किसी और तरीके से खराब होता है. बल्कि यह समय के साथ लगातार चमकता रहेगा. लेकिन वास्तविकता के धरातल कि यदि हम बात करें तो यह जंग खा रहा है और रात के समय में इसकी प्रासंगिकता समझ में नहीं आती. क्योंकि अंधेरा हो जाने के बाद इस पर क्या उकेरा गया है यह पढ़ना बेहद मुश्किल हो जाता है. यही नहीं इस योजना के तहत कहा गया था कि इस पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा, जिसे स्कैन करके घाटों के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली जाएगी. लेकिन ज्यादातर साइनेज पर कोड मौजूद नहीं है और जिन पर मौजूद हैं उनको यदि स्कैन किया जाता है तो जानकारी नहीं मिलती बल्कि अन्य वेबसाइट खुल जाती हैं.

पढ़ेंः सावनः वाराणसी में रूट डायवर्जन लागू, चार क्षेत्र नो व्हीकल जोन

इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि यह योजना बहुत अच्छी थी, लेकिन रखरखाव के अभाव में पूरी तरीके से फेल हो चुकी है. सरकार ने पैसे तो पास कर दिए लेकिन अधिकारी इसका रखरखाव ठीक तरीके से नहीं कर पा रहे हैं इससे कोई जानकारी नहीं मिलती. इस पर जो जानकारियां लिखी हैं वह भी त्रुटिपूर्ण है. इसके साथ ही रात के अंधेरे में इस पर क्या लिखा हुआ है इसे पढ़ा नहीं जा सकता अब यह लोगों के लिए बस एक सेल्फी प्वाइंट बन गया है और घाट की जगह को भी खराब कर रहा है. इसे घाटों की सुंदरता बढ़ी नहीं है बल्कि घट गई है.

बहरहाल इस बारे में स्मार्ट सिटी का कहना है कि हमारी तरफ से योजना पूरी हो चुकी हैं. स्थानीय लोगों की लापरवाही के कारण इसकी दुर्दशा हो रही है. विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के मद्देनजर आनन-फानन में इसको तैयार करके वाराणसी के घाटों पर लगा दिया गया लेकिन इस योजना को अधूरे में छोड़ दिया गया है. इस योजना में साइनेज के साथ लाइट लगाए जाने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक इन सबका अभाव है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की यह दुर्दशा है, तो अन्य योजनाओं के बारे में क्या कहा जा सकता है और यदि इसे लगाया गया तो इसका रखरखाव क्यों नहीं किया गया है.

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