वाराणसीः इसी महीने जुलाई में पीएम मोदी वाराणसी आ सकते हैं. जिसकी तैयारियों के लिए जिले में चल रही 39 परियोजनाओं की लिस्ट तैयार कर शासन को भेजी जा चुकी है. लेकिन इनमें कई योजनाएं अब तक पूरी नहीं हुई है और रिपोर्ट शासन को प्रेषित हुई है. लेकिन इन सबके बीच ईटीवी भारत आपको उन परियोजनाओं की हकीकत भी बताएगा जो लिस्ट में तो शामिल की गई है, लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो सकी हैं. हम बात कर रहे हैं वाराणसी के गंगा घाटों पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत करोड़ों रुपए की लागत से शुरू की गई घाटों के साइन बोर्ड और उनके इतिहास को बताने वाले क्यूआर कोड वाले बोर्ड लगाए जाने की योजना के हकीकत की. अधिकांश घाटों पर ये बोर्ड लगे ही नहीं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका उद्घाटन करना है.
आधी-अधूरी है पीएम की महत्वाकांक्षी योजना
दरअसल लॉकडाउन के बीच स्मार्ट सिटी के तहत काशी के 84 घाटों पर हेरिटेज साइनेज लगाने का काम शुरू हुआ. इस काम में करीब 4.3 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इसके तहत नाम पट्टिका बदलने के साथ हर घाट पर उसकी महत्ता के साथ उसके आस-पास की प्रमुख धरोहरों और खासियत के बारे में विस्तार से दर्शाया जा रहा है. इससे पर्यटकों के साथ यात्रियों को भी सुविधा होगी. इसके तहत वाराणसी के हर घाट से जुड़ा इतिहास लोग जान सकेंगे. अप्रैल 2020 में इस योजना की शुरुआत हुई और मार्च 2021 तक इसे पूरा होना था. लेकिन कोविड-19 के संक्रमण की वजह से काम की रफ्तार धीमी हो गई.
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दावा किया गया कि मई 2021 में इसे पूरा करा लिया जाएगा. यही वजह है कि इस योजना को पीएम मोदी के हाथों लोकार्पण होने वाली योजनाओं की संभावित लिस्ट में भी शामिल किया गया. लेकिन सच्चाई तो ये है कि अब तक घाटों पर बहुत से पत्थर जो घाटों के इतिहास की जुड़ी जानकारी देने वाले हैं, वो घाटों पर ही पैक पड़े हैं. इन्हें घाटों पर लगाया ही नहीं जा सका है. कई साइन बोर्ड भी अब तक घाटों पर नहीं लगे हैं और पुराना नाम ही घाटों पर दिखाई दे रहा है. जिससे पर्यटक भी काफी मायूस हैं.
दावा काम पूरा, लेकिन अभी तक चल रहा काम!
वहीं कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि हेरिटेज साइनेज को विशेष तरह के धातु कर्टन पर अंकित किया गया है. इसकी खासियत ये होगी कि ये धातु गंगा का जलस्तर बढ़ने पर भी खराब नहीं होगा. साइनेज में क्यूआर कोड भी है, जिसे मोबाइल के माध्यम से स्कैन करने पर स्मार्ट सिटी के पोर्टल द्वारा उस हेरिटेज साइनेज के धरोहर से संबंधित जानकारी मिलेगी. अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल ये काम पूरा हो चुका है. लेकिन अब भी कई घाट इस प्रोजेक्ट से अछूते हैं और कहीं पर अभी भी काम जारी है.
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