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अक्षय तृतीया पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी - वाराणसी समाचार

काशी में अक्षय तृतीया पर श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई. हालांकि कोविड 19 के खौफ से यहां श्रद्धालुओं की भीड़ काफी कम थी. इस दौरान सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम रहा. स्नान के बाद लोगों ने दान पुण्य किए.

अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया
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Published : May 14, 2021, 11:26 AM IST

वाराणसी: आज (14 मई) अक्षय तृतीया के पावन पर्व है और अपने पुण्य को अक्षय रखने के लिए लोग दान पुण्य स्नान कर रहे हैं. हालांकि कोरोना महामारी के इस दौर में पड़े इस पर्व की चमक इस बार कुछ पीर की नजर आ रही है, लेकिन गंगा घाटों पर स्नान करने वालों की हल्की फुल्की भीड़ देखने को मिल रही है और लोग पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं.

लगा रहे लोग पुण्य की डुबकी

अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगा स्नान के साथ पुण्य कमाने के लिए लोग दान भी करते हैं, जो अति महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बारे में पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि वैशाख मास शुक्लपक्ष की तृतीया को मनाए जाने वाला अक्षय तृतीया परलोक में बहुश्रुत और बहुमान्य है. विष्णु धर्मसूत्र, मत्स्य पुराण, नारद पुराण तथा भविष्य पुराण आदि पुराणों में इसका विस्तृत उल्लेख मिलता है तथा इस व्रत की कई कथाएं भी हैं.

श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी

इसे भी पढ़ें- KGMU के पूर्व छात्रों की पहल, कमेटी बनाकर देंगे सलाह

ये चीजें होती हैं दान

सनातनधर्म को मानने वाले लोग अक्षय तृतीया को बड़े उत्साह से मनाते हैं. अक्षय तृतीया को दिए गए दान और स्नान, जप, हवन आदि कर्मों का शुभ और अनंत फल मिलता है. भविष्य पुराण के अनुसार सभी कर्मों का फल अक्षय हो जाता है, इसीलिए इसका नाम अक्षय पड़ा है. यदि यह तृतीया कृतिका नक्षत्र से युक्त हो तो विशेष फलदायिनी होती है. भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है. क्योंकि कृतयुग (सतयुग) के कल्पभेद से त्रेतायुग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. इसमें जल से भरे कलश, पंखे, चरणपादुका (खड़ाऊं), जूता, छाता, गाय, भूमि, स्वर्णपात्र आदि का दान पुण्य कार्य माना गया है.

वाराणसी: आज (14 मई) अक्षय तृतीया के पावन पर्व है और अपने पुण्य को अक्षय रखने के लिए लोग दान पुण्य स्नान कर रहे हैं. हालांकि कोरोना महामारी के इस दौर में पड़े इस पर्व की चमक इस बार कुछ पीर की नजर आ रही है, लेकिन गंगा घाटों पर स्नान करने वालों की हल्की फुल्की भीड़ देखने को मिल रही है और लोग पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं.

लगा रहे लोग पुण्य की डुबकी

अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगा स्नान के साथ पुण्य कमाने के लिए लोग दान भी करते हैं, जो अति महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बारे में पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि वैशाख मास शुक्लपक्ष की तृतीया को मनाए जाने वाला अक्षय तृतीया परलोक में बहुश्रुत और बहुमान्य है. विष्णु धर्मसूत्र, मत्स्य पुराण, नारद पुराण तथा भविष्य पुराण आदि पुराणों में इसका विस्तृत उल्लेख मिलता है तथा इस व्रत की कई कथाएं भी हैं.

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ये चीजें होती हैं दान

सनातनधर्म को मानने वाले लोग अक्षय तृतीया को बड़े उत्साह से मनाते हैं. अक्षय तृतीया को दिए गए दान और स्नान, जप, हवन आदि कर्मों का शुभ और अनंत फल मिलता है. भविष्य पुराण के अनुसार सभी कर्मों का फल अक्षय हो जाता है, इसीलिए इसका नाम अक्षय पड़ा है. यदि यह तृतीया कृतिका नक्षत्र से युक्त हो तो विशेष फलदायिनी होती है. भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है. क्योंकि कृतयुग (सतयुग) के कल्पभेद से त्रेतायुग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. इसमें जल से भरे कलश, पंखे, चरणपादुका (खड़ाऊं), जूता, छाता, गाय, भूमि, स्वर्णपात्र आदि का दान पुण्य कार्य माना गया है.

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